आम इंसानों और अवाम को तकलीफ पहुंचाने वाले बंद या हड़ताल पर पूरी तरह से रोक लगनी चाहिए : इंजीनियर हया फातिमा
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लखनऊ : निकट सिटी स्टेशन, सल्तनत मंजिल, हामिद रोड, लखनऊ की रहने वाली इंजीनियर हया फातिमा बिटिया नवाबजादा सैय्यद मासूम रज़ा, एडवोकेट ने कहा कि अक्सर देखा गया है कि सियासी पार्टियां और दूसरे संगठनो के लिए आजकल बंद और हड़ताल करवाना आम बात हो चुकी है। अपनी मांगें पूरी करवाने के लिए आए दिन बंद और हड़ताल होती रहती है। आखिर यह बंद किस काम के ? दूकान बंद करवाना, आगजानी करना एवम सड़क को जाम करना और अवाम को तकलीफ पहुंचाना , यह कहां तक सही है ? पिछले दिनों महंगाई और पेट्रोल के बढ़े दामों को लेकर करीब करीब सभी स्यासी पार्टियों ने बंद का आयोजन किया था। महंगाई के नाम पर गरीबों तक कि दुकानें बंद करवाई गई, ट्रेनें रोकी गई, और रास्ता जाम किया गया। लोगों को कितनी परेशानियां हुई इसका उन्हें अंदाज़ा है ? इंजीनियर हया फातिमा ने आगे कहा कि मेंहगाई के लिए सरकार की तवज्जा अपनी तरफ खींचने का क्या यही एक वाहिद रास्ता है और दूसरा कोई रास्ता नहीं ? स्वतंत्र भारत में अपनी मांगे सरकार तक पहुंचाने का सही रास्ता अपनाना चाहिए। बिना जनता को तकलीफ दिए हुए और सरकारी संपत्ति का नुकसान पहुंचाए हुए अपनी बातें तहजीब के दायरे में खामोशी के साथ भी रख्खी जा सकती है। इस तरह बंद और हड़ताल से आम जनता को कितनी तकलीफ पहुंचती है इसके बारे में भी हम सभी को सोचना चाहिए। पूरा शहेर, सूबा, एवम देश के सारे काम ठप हो जाएं, क्या यह नुकसानदेह तरीक़ा सही है ?
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