हमीरपुर : विविधता और अनेकता में एकता की शक्ति से लिखें एक नयी इबारत
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" विविधता और अनेकता में एकता कि शक्ति से लिखें एक नयी इबारत... हमारी संस्कृति का अजस्र प्रवाह एवं इसकी लोच और गतिशीलता हमारी सबसे बड़ी पूँजी है। " राजकीय महिला महाविद्यालय हमीरपुर के एक भारत श्रेष्ठ भारत क्लब द्वारा आयोजित राष्ट्रीय वेबिनार "देखो अपना देश " में की नोट स्पीकर के तौर पर बोलते हुए ये बातें लखनऊ विश्वविद्यालय में अंग्रेजी के प्रोफेसर डॉ आर पी सिंह ने कहीं। उन्होंने स्पष्ट करते हुए कहा कि संस्कृति व्यापक अवधारणा है। यह कोई बाह्य वास्तु नहीं है ,अपितु मानव का वह रूप है जो उसे मानव बनाती है।संस्कृति जीवन शैली , विश्वास, परम्पराओं , भौतिकता एवं आध्यात्मिकता से लगातार जुडी रहती है , यह हमें जीवन का लक्ष्य और उस लक्ष्य को पाने का तरीका सिखाती है। मानव संस्कृति का निर्माण करते हैं , और संस्कृति मानव का, आम तौर पर लोग सभ्यता और संस्कृति को एक मानते हैं लेकिन संस्कृति आतंरिक पक्ष है और सभ्यता वाह्य रूप। प्रोफेसर सिंह ने बताया कि
जहाँ तक " देखो अपना देश" अभियान कि बात है यह देश कि विविधता में एकता देखने का महाभियान है। इस सन्दर्भ में हमें यह भी देखने कि आवश्यकता है कि देश को किस नजरिये से देखें। यह सोच कर कि देश हमसे ही बना है , हमें आत्मानुसंधान एवं आत्मविश्लेषण करने कि जरुरत है। देश के लिए रूमानियत कि जरुरत नहीं है बल्कि विश्लेषण एवं समन्वय कि जरुरत है। हमारे पास बहुत कुछ है अपनी चीज़ों पर गर्व करने हेतु , भावों में बहकर खंडन मंडान करने कि नहीं , ऊर्जा , संसाधन एवं विचारों को समन्वय करने कि जरूरत है। हमें अपने अस्तित्व , अपनी क्षमता , अपनी विविधता और अपनी शक्ति को महसूस करना है और विश्व पटल पर एक नयी इबारत लिखनी है।
राष्ट्रीय वेबिनार में देश के कोने कोने से वक्ता और श्रोता जुड़े।
" विविधता और अनेकता में एकता कि शक्ति से लिखें एक नयी इबारत... हमारी संस्कृति का अजस्र प्रवाह एवं इसकी लोच और गतिशीलता हमारी सबसे बड़ी पूँजी है। " राजकीय महिला महाविद्यालय हमीरपुर के एक भारत श्रेष्ठ भारत क्लब द्वारा आयोजित राष्ट्रीय वेबिनार "देखो अपना देश " में की नोट स्पीकर के तौर पर बोलते हुए ये बातें लखनऊ विश्वविद्यालय में अंग्रेजी के प्रोफेसर डॉ आर पी सिंह ने कहीं। उन्होंने स्पष्ट करते हुए कहा कि संस्कृति व्यापक अवधारणा है। यह कोई बाह्य वास्तु नहीं है ,अपितु मानव का वह रूप है जो उसे मानव बनाती है।संस्कृति जीवन शैली , विश्वास, परम्पराओं , भौतिकता एवं आध्यात्मिकता से लगातार जुडी रहती है , यह हमें जीवन का लक्ष्य और उस लक्ष्य को पाने का तरीका सिखाती है। मानव संस्कृति का निर्माण करते हैं , और संस्कृति मानव का, आम तौर पर लोग सभ्यता और संस्कृति को एक मानते हैं लेकिन संस्कृति आतंरिक पक्ष है और सभ्यता वाह्य रूप। प्रोफेसर सिंह ने बताया कि
जहाँ तक " देखो अपना देश" अभियान कि बात है यह देश कि विविधता में एकता देखने का महाभियान है। इस सन्दर्भ में हमें यह भी देखने कि आवश्यकता है कि देश को किस नजरिये से देखें। यह सोच कर कि देश हमसे ही बना है , हमें आत्मानुसंधान एवं आत्मविश्लेषण करने कि जरुरत है। देश के लिए रूमानियत कि जरुरत नहीं है बल्कि विश्लेषण एवं समन्वय कि जरुरत है। हमारे पास बहुत कुछ है अपनी चीज़ों पर गर्व करने हेतु , भावों में बहकर खंडन मंडान करने कि नहीं , ऊर्जा , संसाधन एवं विचारों को समन्वय करने कि जरूरत है। हमें अपने अस्तित्व , अपनी क्षमता , अपनी विविधता और अपनी शक्ति को महसूस करना है और विश्व पटल पर एक नयी इबारत लिखनी है।
राष्ट्रीय वेबिनार में देश के कोने कोने से वक्ता और श्रोता जुड़े।
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