COVID-19 :करोना कल में ई शिक्षा एक जरूरत बन गई है पर दुष्प्रभावों का ?------- डा० परवेज आगा मसीह
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इस करोना कल में ईशिक्षा एक जरूरत बन गई है और और अधिकतर सरकारी व निजी विद्यालय इस ओर बढ़ चले हैं लेकिन इस सब आपाधापी में विद्यालय प्रबंध तंत्र और अभिभावक सब बच्चों के स्वास्थ्य को लेकर कम जागरूक दिख रहे हैं करोना से पहले भी कई शोध लेखो में बताया गया है कि बच्चों में वजन बढ़ने, कम सक्रियता के कारण वजन बढ़ने की समस्या और उससे जुड़ी बीमारियां बढ़ रही है। इसके अतिरिक्त कुछ बच्चे थायराइड और डायबिटीज जैसी गंभीर समस्या से भी जूझ रहे हैं।
ऐसी स्थिति में कुछ एक विद्यालयों को छोड़कर कोई भी विद्यालय, महाविद्यालय और विश्वविद्यालय छात्रों के स्वास्थ्य पर पड़ने वाले कुप्रभाव का जिक्र भी नहीं कर रहा है शायद छात्रों का स्वास्थ्य इन लोगों की प्राथमिकता सूची में नहीं आता है और अगर देखा जाए तो ज्यादातर महाविद्यालयों में शारीरिक विज्ञान विषय का शिक्षक ही नहीं है और जिन विद्यालयों में है उनसे शैक्षिक कार्यों के अलावा सभी प्रशासनिक कार्यों में लगा दिया जाता है।
हम अभिभावक तो इनसे दो हाथ आगे हैं । सोशल मीडिया पर फीस माफी का संदेश खूब जोर से भेजकर विद्यालय प्रबंधन पर दबाव बनाने की कोशिश कर रहे हैं लेकिन यह नहीं पूछ पा रहे हैं कि बच्चों को योगा, एरोबिक या हल्के व्यायाम रोज 30 मिनट क्यों नहीं कराए जा रहे हैं
कम सक्रियता होने के कारण बच्चों में मोटापा उससे संबंधित बीमारियां, कमजोर मांसपेशियाँ, हड्डियों में मुलायमपन, कमजोर आंखें, गर्दन की बीमारी और गर्दन दर्द आदि बीमारियों का खतरा बना रहा है।
ईशिक्षा ने इस समस्याओ को अति गंभीर कर दिया है इसके अतिरिक्त कुछ ऐसे भी परिवार के बच्चे हैं जहां डायबिटीज, कोलेस्ट्रोल , उच्च रक्तचाप पारिवारिक रूप से पीढ़ी दर पीढ़ी चल रहा है ऐसे बच्चों में यह बीमारियां युवावस्था में ही आने का खतरा बना रहता है।
मैं आप सब से गुजारिश करता हूं कि अपने बच्चों को कुछ शारीरिक गतिविधियों जैसे हल्के व्यायाम, रस्सी कूदना, पतंग उड़ाना, घर की छत पर टहलना आदि हल्के खेलों में शामिल होने दिए। जिनके घर बड़े हैं उनके बच्चे सोशल डिस्टेंसिंग का ध्यान रखते हुए खुलकर दौड़ा भागी कर सकते हैं।
खेलने कूदने और शारीरिक गतिविधियों से बच्चों के जिस्म में कई तरह के हार्मोन व रसायन का स्राव होता है जोकि उनकी मस्तिष्क और शरीर की वृद्धि के लिए आवश्यक होता है। इसके अतिरिक्त विद्यालय भी कोशिश करें कि 1 हफ्ते में कम से कम 5 दिन योगा, एरोबिक या हल्के-फुल्के व्यायाम की कक्षाएं नियमित रूप से आयोजित की जाए और विज्ञान की शिक्षक बच्चों को पौष्टिक और शाकाहारी भोजन, योगा वाह व्यायाम से होने वाले फायदों के बारे में बताएं जिससे बच्चे भी इन गतिविधियों में खुशी-खुशी भाग ले ।
किस करो ना कॉल में हमें पढ़ाई लिखाई के साथ-साथ अपने बच्चों के शारीरिक विकास पर भी ध्यान देना होगा किसी भी परिवार की असल पूंजी उसकी अगली पीढ़ी ही होती है और यह बच्चे हमारे देश और समाज का भविष्य है । बच्चे स्वस्थ तो देश व समाज स्वस्थ होगा
मैं सरकार व प्रशासनिक अधिकारियों से अनुरोध करता हूं कि रोज शाम 5:00 बजे से 7:30 बजे तक दूरदर्शन व अन्य न्यूज़ चैनलों पर योगा व्यायाम व स्वास्थ्य संबंधी कार्यक्रम का प्रसारण किया जाए जिससे प्रत्येक आयु वर्ग के लोग लाभान्वित हो
जय हिंद जय भारत
डा. आगा परवेज़ मसीह
शिया महाविद्यालय, लखनऊ
इस करोना कल में ईशिक्षा एक जरूरत बन गई है और और अधिकतर सरकारी व निजी विद्यालय इस ओर बढ़ चले हैं लेकिन इस सब आपाधापी में विद्यालय प्रबंध तंत्र और अभिभावक सब बच्चों के स्वास्थ्य को लेकर कम जागरूक दिख रहे हैं करोना से पहले भी कई शोध लेखो में बताया गया है कि बच्चों में वजन बढ़ने, कम सक्रियता के कारण वजन बढ़ने की समस्या और उससे जुड़ी बीमारियां बढ़ रही है। इसके अतिरिक्त कुछ बच्चे थायराइड और डायबिटीज जैसी गंभीर समस्या से भी जूझ रहे हैं।
ऐसी स्थिति में कुछ एक विद्यालयों को छोड़कर कोई भी विद्यालय, महाविद्यालय और विश्वविद्यालय छात्रों के स्वास्थ्य पर पड़ने वाले कुप्रभाव का जिक्र भी नहीं कर रहा है शायद छात्रों का स्वास्थ्य इन लोगों की प्राथमिकता सूची में नहीं आता है और अगर देखा जाए तो ज्यादातर महाविद्यालयों में शारीरिक विज्ञान विषय का शिक्षक ही नहीं है और जिन विद्यालयों में है उनसे शैक्षिक कार्यों के अलावा सभी प्रशासनिक कार्यों में लगा दिया जाता है।
हम अभिभावक तो इनसे दो हाथ आगे हैं । सोशल मीडिया पर फीस माफी का संदेश खूब जोर से भेजकर विद्यालय प्रबंधन पर दबाव बनाने की कोशिश कर रहे हैं लेकिन यह नहीं पूछ पा रहे हैं कि बच्चों को योगा, एरोबिक या हल्के व्यायाम रोज 30 मिनट क्यों नहीं कराए जा रहे हैं
कम सक्रियता होने के कारण बच्चों में मोटापा उससे संबंधित बीमारियां, कमजोर मांसपेशियाँ, हड्डियों में मुलायमपन, कमजोर आंखें, गर्दन की बीमारी और गर्दन दर्द आदि बीमारियों का खतरा बना रहा है।
ईशिक्षा ने इस समस्याओ को अति गंभीर कर दिया है इसके अतिरिक्त कुछ ऐसे भी परिवार के बच्चे हैं जहां डायबिटीज, कोलेस्ट्रोल , उच्च रक्तचाप पारिवारिक रूप से पीढ़ी दर पीढ़ी चल रहा है ऐसे बच्चों में यह बीमारियां युवावस्था में ही आने का खतरा बना रहता है।
मैं आप सब से गुजारिश करता हूं कि अपने बच्चों को कुछ शारीरिक गतिविधियों जैसे हल्के व्यायाम, रस्सी कूदना, पतंग उड़ाना, घर की छत पर टहलना आदि हल्के खेलों में शामिल होने दिए। जिनके घर बड़े हैं उनके बच्चे सोशल डिस्टेंसिंग का ध्यान रखते हुए खुलकर दौड़ा भागी कर सकते हैं।
खेलने कूदने और शारीरिक गतिविधियों से बच्चों के जिस्म में कई तरह के हार्मोन व रसायन का स्राव होता है जोकि उनकी मस्तिष्क और शरीर की वृद्धि के लिए आवश्यक होता है। इसके अतिरिक्त विद्यालय भी कोशिश करें कि 1 हफ्ते में कम से कम 5 दिन योगा, एरोबिक या हल्के-फुल्के व्यायाम की कक्षाएं नियमित रूप से आयोजित की जाए और विज्ञान की शिक्षक बच्चों को पौष्टिक और शाकाहारी भोजन, योगा वाह व्यायाम से होने वाले फायदों के बारे में बताएं जिससे बच्चे भी इन गतिविधियों में खुशी-खुशी भाग ले ।
किस करो ना कॉल में हमें पढ़ाई लिखाई के साथ-साथ अपने बच्चों के शारीरिक विकास पर भी ध्यान देना होगा किसी भी परिवार की असल पूंजी उसकी अगली पीढ़ी ही होती है और यह बच्चे हमारे देश और समाज का भविष्य है । बच्चे स्वस्थ तो देश व समाज स्वस्थ होगा
मैं सरकार व प्रशासनिक अधिकारियों से अनुरोध करता हूं कि रोज शाम 5:00 बजे से 7:30 बजे तक दूरदर्शन व अन्य न्यूज़ चैनलों पर योगा व्यायाम व स्वास्थ्य संबंधी कार्यक्रम का प्रसारण किया जाए जिससे प्रत्येक आयु वर्ग के लोग लाभान्वित हो
जय हिंद जय भारत
डा. आगा परवेज़ मसीह
शिया महाविद्यालय, लखनऊ
Good
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