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मेंस्ट्रुअल हाइजीन : टेक्सटुअल एंड कंटेक्सटुअल पर्सपेक्टिव्स विषय पर अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी

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मेंस्ट्रुअल हाइजीन दिवस  28मई   के अवसर पर  एक्सप्रेशंस इन लैंग्वेजेज एंड आर्ट्स फाउंडेशन लखनऊ ने "मेंस्ट्रुअल हाइजीन : टेक्सटुअल एंड कंटेक्सटुअल पर्सपेक्टिव्स "  विषय पर एक ऑनलाइन अंतर्राष्ट्रीय सेमिनार का आयोजन किया।

सेमिनार में डॉ राम मनोहर लोहिया राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय लखनऊ की शिक्षक डॉ  अलका सिंह ने बीज व्याख्यान देते हुए  रजोधर्म के सामाजिक , सांस्कृतिक और व्यावहारिक पक्ष पर प्रकाश डाला । उन्होंने कहा  कि "जहाँ इक्कीसवीं शताब्दी के  भारतवर्ष में जहाँ कोरोना महामारी की त्रासदी  स्वस्थ और स्वच्छ  भारत के समक्ष  गत्यवरोध की विवशता उत्पन्न कर रहा है , वहीँ महिलाओं में मासिकधर्म सम्बन्धी जागरूकता और इस दिशा में किये गए सामाजिक और संस्थागत प्रयासों पर विश्व मेंस्ट्रुअल हाइजीन दिवस पर आकलन जरुरी बन जाता है। यह कोई प्रश्न नहीं अपितु सृष्टि को  जीवन प्रदान करने वाली महिला के सम्मान में सही मायनों में मेंस्ट्रुअल हाइजीन दिवस को समझने का अवसर है।अंतर्राष्ट्रीय मेंस्ट्रुअल हाईजीन दिवस का उत्सव सामाजिक ढांचे में महिला के केंद्र धुरी के स्थान को गरिमामयी और सम्मानित बनाने , रजोधर्म  के प्रति जागरूकता लाने और  इसकी महत्ता और इससे उत्पन्न होने वाली आवश्यकताओं के प्रति संवेदनशीलता की एक चेतना का परिचायक है ।  अंतर्राष्ट्रीय मेंस्ट्रुअल हाईजीन दिवस पर  इस व्यापक चेतना में मानव जीवन में रजोधर्म सम्बन्धी प्रश्नो पर एक सोच बनती हैं।

ऑनलाइन सेमिनार के संयोजक डॉ मुहम्मद तारिक़ ने बताया कि सेमिनार में देश विदेश के  लगभग  789  लोगों ने ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन किया।

 फ़ेडरल यूनिवर्सिटी लोकोजा ,नाइजीरिया के अंग्रेजी और साहित्यिक अध्ययन विभाग की सीनियर फैकल्टी डॉ अफुरे वो ऍम अयतू ने हेल्थ कल्चर एंड लिटरेचर विषय पर अपना व्याख्यान देते हुए  बताया कि समाज में रजोधर्म पर फैली भ्राँतियाँ महिलाओं को दोयम दिखाने के लिए किये पुरुष वर्ग के प्रयास का द्योतक हैं ।

उन्होंने साहित्यिक नरेटिव का जिक्र करते हुए रजोधर्म कि विभिन्न अवधारणाओं एवं अभिव्यंजनाओं कि चर्चा किया

नाइजीरिया की लागोस स्टेट यूनिवर्सिटी ओजो लेगोस की एसोसिएट प्रोफेसर डॉ ओमोलोला ए लैडेले  ने अफ्रीकी साहित्य और संस्कृति में मासिक धर्म की चर्चा किया और अफ़्रीकी समाज में इस विषय पर सोच की समीक्षा की ।

स्वतंत्र लेखक एवं  पत्रकार चन्द्राणी बनर्जी ने मासिक धर्म , संचार एवं मीडिया पर  अपने व्याख्यान में एक अन्तर्सम्बन्ध मूलक विश्लेषण प्रस्तुत किया ।

एक्सप्रेशंस इन इन लैंग्वेजेज एंड आर्ट्स फाउंडेशन के सचिव कुलवंत सिंह के अनुसार यह सेमिनार रजोधर्म सम्बन्धी विषयों पर महिलाओं और पुरुषों को संवेदनशील बनाने हेतु एक सम्यक प्रयास है ।  उक्त कार्यक्रम में महिलाओं एवं पुरुषों कि लगभग सामान भागीदारी ऐसे मुद्दों पर अकादमिक आयोजनों कि सफलता के परिचायक हैं । कार्यक्रम के आयोजन सचिव वैदूर्य जैन ने बताया कि मासिकधर्म जैसे टैबू  विषयों को आम बहस एवं चर्चा में लाने का हमारा प्रयास ऐसे कार्यक्रमों से फलीभूत होगा।

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