ईमानदार छवि वाले पुलिस कमिश्नर सुजीत कुमार पांडे की मेहनत पर पानी फेर रहे हैं
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लखनऊ
यह दौर पत्रकारिता का सबसे बुरा दौर है। जहां एक तरफ पत्रकारिता चुनौती बनकर रह गई है ।
वही पत्रकारिता में सिर्फ मिल रही है तो बदनामी।
पूरा मामला थाना गुडंबा अंतर्गत का है एक पत्रकार को ब्रेकिंग चलाना पड़ा भारी।
स्पेक्टर गुडंबा ब्रेकिंग देखकर हुए आगबबूला साहब कैसे चलेगा कमिश्नरी सिस्टम।
जहां एक तरफ डीसीपी नार्थ सर्वश्रेष्ठ त्रिपाठी व एडिशनल डीसीपी राजेश कुमार श्रीवास्तव लगातार इमानदारी और साफ-सुथरी छवि से मेहनत कर रहे हैं और उत्तरी क्षेत्र में आम जनता से मिलकर कानून व्यवस्था बनाए रखने की अपील कर रहे हैं वहीं स्पेक्टर गुडंबा घोर संवेदनहीनता दिखाते हुए एक पत्रकार को ही पत्रकारिता सिखाते नजर आ रहे है।
पत्रकार ने एक पीड़ित महिला की ब्रेकिंग चलाई जिसमें लिखा गया कि उसकी सास और देवर ने महिला को मिलकर मारा यह महिला का आरोप था।
थाने पर पत्रकार को मौजूद देख स्पेक्टर गुडंबा आग बबूला हो गए और और आपा खो बैठे।
कहा कि आप लोगों को सम्मान देते हैं तो जो मन में आएगा वो लिखेंगे सुधर जाएं नहीं तो फिर पछताना पड़ेगा।
साहब अगर यही कमिश्नरी सिस्टम है तो बदल दीजिए सिस्टम को ।
कमिश्नरी सिस्टम तो इसलिए लागू किया गया था कि आम जनमानस को तत्काल न्याय मिले।
पुलिस व्यवस्था सही हो और क्राइम कंट्रोल में रहे।
पर यह क्या इस्पेक्टर गुड़म्बा अगर ऐसे पत्रकार को धमकाएंगे तब कैसे होगी पत्रकारिता
आला अधिकारियों के इस मामले पर संज्ञान लेकर तत्काल करनी होगी कार्रवाई।
अगर कमिश्नरी सिस्टम में एक इस्पेक्टर का इस तरह का बर्ताव रहेगा वही पत्रकार के साथ ।
तो आम जनता के सात स्पेक्टर गुडंबा कैसे करते होंगे बर्ताव आप अंदाजा लगा सकते है।
लखनऊ
यह दौर पत्रकारिता का सबसे बुरा दौर है। जहां एक तरफ पत्रकारिता चुनौती बनकर रह गई है ।
वही पत्रकारिता में सिर्फ मिल रही है तो बदनामी।
पूरा मामला थाना गुडंबा अंतर्गत का है एक पत्रकार को ब्रेकिंग चलाना पड़ा भारी।
स्पेक्टर गुडंबा ब्रेकिंग देखकर हुए आगबबूला साहब कैसे चलेगा कमिश्नरी सिस्टम।
जहां एक तरफ डीसीपी नार्थ सर्वश्रेष्ठ त्रिपाठी व एडिशनल डीसीपी राजेश कुमार श्रीवास्तव लगातार इमानदारी और साफ-सुथरी छवि से मेहनत कर रहे हैं और उत्तरी क्षेत्र में आम जनता से मिलकर कानून व्यवस्था बनाए रखने की अपील कर रहे हैं वहीं स्पेक्टर गुडंबा घोर संवेदनहीनता दिखाते हुए एक पत्रकार को ही पत्रकारिता सिखाते नजर आ रहे है।
पत्रकार ने एक पीड़ित महिला की ब्रेकिंग चलाई जिसमें लिखा गया कि उसकी सास और देवर ने महिला को मिलकर मारा यह महिला का आरोप था।
थाने पर पत्रकार को मौजूद देख स्पेक्टर गुडंबा आग बबूला हो गए और और आपा खो बैठे।
कहा कि आप लोगों को सम्मान देते हैं तो जो मन में आएगा वो लिखेंगे सुधर जाएं नहीं तो फिर पछताना पड़ेगा।
साहब अगर यही कमिश्नरी सिस्टम है तो बदल दीजिए सिस्टम को ।
कमिश्नरी सिस्टम तो इसलिए लागू किया गया था कि आम जनमानस को तत्काल न्याय मिले।
पुलिस व्यवस्था सही हो और क्राइम कंट्रोल में रहे।
पर यह क्या इस्पेक्टर गुड़म्बा अगर ऐसे पत्रकार को धमकाएंगे तब कैसे होगी पत्रकारिता
आला अधिकारियों के इस मामले पर संज्ञान लेकर तत्काल करनी होगी कार्रवाई।
अगर कमिश्नरी सिस्टम में एक इस्पेक्टर का इस तरह का बर्ताव रहेगा वही पत्रकार के साथ ।
तो आम जनता के सात स्पेक्टर गुडंबा कैसे करते होंगे बर्ताव आप अंदाजा लगा सकते है।
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