अहिंसा के संदर्भ में गांधी को बुद्ध से आगे
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हिन्दी संस्थान में कहानी, कविता एवं निबंध प्रतियोगियों का हुआ सम्मान
लखनऊ (सं)। उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान में गांधी जयन्ती के अवसर पर मंगलवार को कहानी, कविता एवं निबन्ध प्रतियोगिता मेंं चयनित अभ्यर्थियों को पुरस्कृत किया गया। संस्थान के यशपाल सभागार में हिन्दी संस्थान के कार्यकारी अध्यक्ष डॉ. सदानन्दप्रसाद गुप्त की अध्यक्षता में हुए कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में वरिष्ठ साहित्यकार शैलेन्द्र नाथ कपूर, वक्ता के रूप में डॉ. हरिशंकर मिश्र, डॉ. श्रुति और डॉ. अचला पाण्डेय उपस्थित रहीं।
इस अवसर पर मुख्य अतिथि के रूप में पधारे शैलेन्द्र नाथ कपूर ने कहा कि महात्मा गांधी के पूरे जीवन चरित्र पर उनके परिवार का सम्पूर्ण प्रभाव था। डॉ0 श्रुति ने कहा कि रचनात्मक लेखन के लिए प्रतिभा की आवश्यकता होती है। उन्होंने कहा कि महात्मा गांधी अद्भुत प्रतिभा के धनी थे। डॉ. हरिशंकर मिश्र ने अपने सम्बोधन में कहा कि दिनकर ने कहा था कि अहिंसा के संदर्भ में मैं महात्मा गांधी को महात्मा बुद्ध से आगे पाता हूं। उन्होंने कहा कि गांधी जी को गीता व रामचरित मानस से काफी प्रेरणा मिली थी। डॉ. अचला पाण्डेय ने कहा कि गांधी जी की जीवन यात्रा मोहन से महात्मा तक है। गांधी जी ने विश्व को मानवता का संदेश दिया। डॉ. सदानन्दप्रसाद गुप्त ने कहा कि निबंधों में सूत्र वाक्यों का प्रयोग आवश्यक है। आचार्य रामचन्द्र शुक्ल के निबंध पूर्ण निबंध हैं। उन्होंने कहा कि लेखन में सटीक शब्दों का प्रयोग करना चाहिए। डॉ. गुप्त ने कहा कि पुस्तक से अधिक मित्र कोई दूसरा नहीं हो सकता है। इस अवसर पर कहानी प्रतियोगिता में प्रथम पुरस्कार से पुरस्कृत शताब्दी गरिमा को उत्तरीय व प्रशस्तिपत्र, धनराशि सात हजार रुपये, द्वितीय पुरस्कार उपेन्द्र केशवानी को उत्तरीय व प्रशस्तिपत्र व पांच हजार रुपये और तृतीय पुरस्कार से उत्कर्ष कौल को उत्तरीय व प्रशस्तिपत्र के साथ चार हजार रुपये देकर सम्मानित किया गया। कविता प्रतियोगिता में प्रथम पुरस्कार मोहम्मद आनिस नूर को उत्तरीय व प्रशस्तिपत्र और सात हजार रुपये, द्वितीय पुरस्कार रामगोपाल पाल को उत्तरीय व प्रशस्तिपत्र और पांच हजार रुपये और तृतीय पुरस्कार श्याम जी अवस्थी को उत्तरीय व प्रशस्तिपत्र और चार हजार रुपये दिया गया। वहीं निबंध प्रतियोगिता में प्रथम पुरस्कार आशांशु त्रिपाठी को उत्तरीय व प्रशस्तिपत्र के साथ सात हजार रुपये, द्वितीय पुरस्कार दिव्या जैन को उत्तरीय व प्रशस्तिपत्र व पांच हजार रुपये और तृतीय पुरस्कार सुदीप सिंह को उत्तरीय व प्रशस्तिपत्र और चार हजार रुपये पुरस्कार के रूप में दिये गये।
हिन्दी संस्थान में कहानी, कविता एवं निबंध प्रतियोगियों का हुआ सम्मान
लखनऊ (सं)। उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान में गांधी जयन्ती के अवसर पर मंगलवार को कहानी, कविता एवं निबन्ध प्रतियोगिता मेंं चयनित अभ्यर्थियों को पुरस्कृत किया गया। संस्थान के यशपाल सभागार में हिन्दी संस्थान के कार्यकारी अध्यक्ष डॉ. सदानन्दप्रसाद गुप्त की अध्यक्षता में हुए कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में वरिष्ठ साहित्यकार शैलेन्द्र नाथ कपूर, वक्ता के रूप में डॉ. हरिशंकर मिश्र, डॉ. श्रुति और डॉ. अचला पाण्डेय उपस्थित रहीं।
इस अवसर पर मुख्य अतिथि के रूप में पधारे शैलेन्द्र नाथ कपूर ने कहा कि महात्मा गांधी के पूरे जीवन चरित्र पर उनके परिवार का सम्पूर्ण प्रभाव था। डॉ0 श्रुति ने कहा कि रचनात्मक लेखन के लिए प्रतिभा की आवश्यकता होती है। उन्होंने कहा कि महात्मा गांधी अद्भुत प्रतिभा के धनी थे। डॉ. हरिशंकर मिश्र ने अपने सम्बोधन में कहा कि दिनकर ने कहा था कि अहिंसा के संदर्भ में मैं महात्मा गांधी को महात्मा बुद्ध से आगे पाता हूं। उन्होंने कहा कि गांधी जी को गीता व रामचरित मानस से काफी प्रेरणा मिली थी। डॉ. अचला पाण्डेय ने कहा कि गांधी जी की जीवन यात्रा मोहन से महात्मा तक है। गांधी जी ने विश्व को मानवता का संदेश दिया। डॉ. सदानन्दप्रसाद गुप्त ने कहा कि निबंधों में सूत्र वाक्यों का प्रयोग आवश्यक है। आचार्य रामचन्द्र शुक्ल के निबंध पूर्ण निबंध हैं। उन्होंने कहा कि लेखन में सटीक शब्दों का प्रयोग करना चाहिए। डॉ. गुप्त ने कहा कि पुस्तक से अधिक मित्र कोई दूसरा नहीं हो सकता है। इस अवसर पर कहानी प्रतियोगिता में प्रथम पुरस्कार से पुरस्कृत शताब्दी गरिमा को उत्तरीय व प्रशस्तिपत्र, धनराशि सात हजार रुपये, द्वितीय पुरस्कार उपेन्द्र केशवानी को उत्तरीय व प्रशस्तिपत्र व पांच हजार रुपये और तृतीय पुरस्कार से उत्कर्ष कौल को उत्तरीय व प्रशस्तिपत्र के साथ चार हजार रुपये देकर सम्मानित किया गया। कविता प्रतियोगिता में प्रथम पुरस्कार मोहम्मद आनिस नूर को उत्तरीय व प्रशस्तिपत्र और सात हजार रुपये, द्वितीय पुरस्कार रामगोपाल पाल को उत्तरीय व प्रशस्तिपत्र और पांच हजार रुपये और तृतीय पुरस्कार श्याम जी अवस्थी को उत्तरीय व प्रशस्तिपत्र और चार हजार रुपये दिया गया। वहीं निबंध प्रतियोगिता में प्रथम पुरस्कार आशांशु त्रिपाठी को उत्तरीय व प्रशस्तिपत्र के साथ सात हजार रुपये, द्वितीय पुरस्कार दिव्या जैन को उत्तरीय व प्रशस्तिपत्र व पांच हजार रुपये और तृतीय पुरस्कार सुदीप सिंह को उत्तरीय व प्रशस्तिपत्र और चार हजार रुपये पुरस्कार के रूप में दिये गये।
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