हार के बाद कांग्रेस संगठन में बड़े बदलाव के आसार, कई पुराने नेताओं को संगठन की बड़ी जिम्मेदारी से हो सकती है छुट्टी
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नई दिल्ली । कांग्रेस में हार के बाद आकार मचा हुआ है। खुद कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी अपने पद से इस्तीफा देने की पेशकश कर चुके हैं। वहीं कई प्रदेशों के कांग्रेस अध्यक्ष भी इस्तीफा हाईकमान को भेज चुके हैं।इसी बीच राहुल गांधी के करीबी सूत्रों का कहना है कि अगले सप्ताह से शुरू होने जा रहे ऑपरेशन क्लीन का असर सीडब्ल्यूसी पर भी देखने को मिलेगा। चूंकि कांग्रेस में बड़े निर्णय इसी कमेटी द्वारा लिए जाते हैं, इसलिए राहुल गांधी सीडब्ल्यूसी में भी बड़े बदलाव के पक्षधर हैं। कमेटी के कई सदस्य ऐसे हैं, जो केवल बैठक में हाजिरी के लिए आते हैं। इसके अलावा वे जमीनी स्तर पर कोई दूसरा काम नहीं करते हैं।
सोनिया गांधी, डॉ. मनमोहन सिंह, एके एंटनी, अंबिका सोनी, मोतीलाल वोरा, मल्लिकार्जुन खड़गे, तरुण गोगोई और हरीश रावत सहित कई दूसरे सदस्य स्वास्थ्य कारणों से ज्यादा सक्रिय भूमिका नहीं निभा पा रहे हैं। इसके अलावा स्थायी आमंत्रित सदस्यों में पी चिदंबरम, शीला दीक्षित, बालासाहेब थारोट, तारीक हमीद व मीरा कुमार आदि भी ज्यादा सक्रिय नहीं हैं। इतना ही नहीं, सीडब्ल्यूसी में कई ऐसे सदस्य भी हैं जो अभी 60 साल से ऊपर नहीं गए हैं, लेकिन वे बतौर वीवीआईपी भूमिका में ही ज्यादातर नजर आते हैं। इनमें केसी वेणुगोपाल, अशोक गहलोत, मुकुल वासनिक, रघुवीर सिंह मीणा, कुमारी शैलजा, जितेंद्र सिंह, पीसी चाको, आरपीएन सिंह, शक्ति सिंह, गौरव गोगोई व सचिन राव आदि शामिल हैं। ये सभी सदस्य लंबे समय से पार्टी संगठन में बैठे हैं। इनमें से कई चेहरे राहुल गांधी के ऑपरेशन क्लीन की चपेट में आ सकते हैं। सभी रिपोर्ट, सूचनाएं और अनुमान गलत कैसे साबित हो गए।पार्टी सूत्र बताते हैं, राहुल गांधी इससे काफी आहत हैं कि चुनाव के दौरान मिली सभी रिपोर्ट, सूचनाएं और अनुमान गलत साबित कैसे हो गए। कांग्रेस पार्टी द्वारा भ्रष्टाचार को लेकर दर्जनों प्रेसवार्ताएं की गई और राफेल पर तो खुद राहुल गांधी ने कई बार मोदी पर निशाना साधा, लेकिन नतीजों में ये सब मुद्दे साफ हो गए। इसके बाद न्याय योजना यानी 72 हजार रुपये को लेकर जब फील्ड रिपोर्ट एकत्रित की गई तो उसमें भी सब अच्छा बताया गया। कहा गया कि जनता में 'न्याय योजना' हिट हो गई है।
नई दिल्ली । कांग्रेस में हार के बाद आकार मचा हुआ है। खुद कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी अपने पद से इस्तीफा देने की पेशकश कर चुके हैं। वहीं कई प्रदेशों के कांग्रेस अध्यक्ष भी इस्तीफा हाईकमान को भेज चुके हैं।इसी बीच राहुल गांधी के करीबी सूत्रों का कहना है कि अगले सप्ताह से शुरू होने जा रहे ऑपरेशन क्लीन का असर सीडब्ल्यूसी पर भी देखने को मिलेगा। चूंकि कांग्रेस में बड़े निर्णय इसी कमेटी द्वारा लिए जाते हैं, इसलिए राहुल गांधी सीडब्ल्यूसी में भी बड़े बदलाव के पक्षधर हैं। कमेटी के कई सदस्य ऐसे हैं, जो केवल बैठक में हाजिरी के लिए आते हैं। इसके अलावा वे जमीनी स्तर पर कोई दूसरा काम नहीं करते हैं।
सोनिया गांधी, डॉ. मनमोहन सिंह, एके एंटनी, अंबिका सोनी, मोतीलाल वोरा, मल्लिकार्जुन खड़गे, तरुण गोगोई और हरीश रावत सहित कई दूसरे सदस्य स्वास्थ्य कारणों से ज्यादा सक्रिय भूमिका नहीं निभा पा रहे हैं। इसके अलावा स्थायी आमंत्रित सदस्यों में पी चिदंबरम, शीला दीक्षित, बालासाहेब थारोट, तारीक हमीद व मीरा कुमार आदि भी ज्यादा सक्रिय नहीं हैं। इतना ही नहीं, सीडब्ल्यूसी में कई ऐसे सदस्य भी हैं जो अभी 60 साल से ऊपर नहीं गए हैं, लेकिन वे बतौर वीवीआईपी भूमिका में ही ज्यादातर नजर आते हैं। इनमें केसी वेणुगोपाल, अशोक गहलोत, मुकुल वासनिक, रघुवीर सिंह मीणा, कुमारी शैलजा, जितेंद्र सिंह, पीसी चाको, आरपीएन सिंह, शक्ति सिंह, गौरव गोगोई व सचिन राव आदि शामिल हैं। ये सभी सदस्य लंबे समय से पार्टी संगठन में बैठे हैं। इनमें से कई चेहरे राहुल गांधी के ऑपरेशन क्लीन की चपेट में आ सकते हैं। सभी रिपोर्ट, सूचनाएं और अनुमान गलत कैसे साबित हो गए।पार्टी सूत्र बताते हैं, राहुल गांधी इससे काफी आहत हैं कि चुनाव के दौरान मिली सभी रिपोर्ट, सूचनाएं और अनुमान गलत साबित कैसे हो गए। कांग्रेस पार्टी द्वारा भ्रष्टाचार को लेकर दर्जनों प्रेसवार्ताएं की गई और राफेल पर तो खुद राहुल गांधी ने कई बार मोदी पर निशाना साधा, लेकिन नतीजों में ये सब मुद्दे साफ हो गए। इसके बाद न्याय योजना यानी 72 हजार रुपये को लेकर जब फील्ड रिपोर्ट एकत्रित की गई तो उसमें भी सब अच्छा बताया गया। कहा गया कि जनता में 'न्याय योजना' हिट हो गई है।
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