मध्यप्रदेश में मरीजों के पास उडक़र ड्रोन से पहुंचेगी दवाईयां
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अब मध्यप्रदेश में मरीजों के पास उडक़र ड्रोन से पहुंचेगी दवाईयां
चुनिंदा महानगरों में जल्दी मिलेगी मानव रहित हवाई वाहन (यूएवी) सेवा, ऑपरेटर का किया जाना है चयन
भोपाल
मध्यप्रदेश में चुनिंदा स्थानों पर अब दवाईयों को एक स्थान से दूसरे स्थान पर भेजने के लिए जल्दी ही हवाई सेवा यानि ड्रोन सेवा का उपयोग किया जाएगा। इसके माध्यम से दवाओं, रक्त, रक्त उत्पादों को बड़े अस्पतालों से छोटे अस्पतालों को भेजा जा सकेगा। मध्यप्रदेश में इस सेवा का नाम यूएवी दिया गया है। जिसका मतलब मानव रहित हवाई वाहन (यूएवी) से है। इसमें आपरेटर का चयन करने के लिए स्वास्थ्य और परिवार कल्याण विभाग की ओर से पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप (पीपीपी) मोड पर प्रदेश, डीएचएस स्वास्थ्य या अन्य क्षेत्रों में यूएवी ऑपरेशन, यूएवी विनिर्माण, यूएवी आधारित प्रणाली में प्रासंगिक अनुभव रखने वाले पात्र और प्रतिष्ठित बोलीदाताओं से एक्सप्रेशन ऑफ इंटरेस्ट (यूएवी) आमंत्रित की गई है।
सिविल वर्क होना शेष
मरीजों तक मानव रहित हवाई वाहन (यूएवी) यानि ड्रोन से दवाओं, रक्त, रक्त उत्पादों को पहुंचाने के लिए प्रतिष्ठित और पात्र जो भी अपनी रुचि दिखाऐंगे, पहले उनकी पद्धति को समझने के लिए भारत सरकार की सीडल्यूसी के ड्रोन विशेषज्ञ प्रोजेक्ट इस बात पर सिविल वर्क करेंगे कि ड्रोन की गति कितनी होगी, ड्रोन कितनी ऊंचाई पर उड़ेगा, ड्रोन से दवाएं, रक्त और रक्त उत्पादों को कैसे पहुंचाएंगे, खराब मौसम पर ड्रोन कैसे कार्य करेगा, किस लाइन पर चलेगा, इत्यादि।
महानगरों से हागी शुरूआत
ड्रोन से बड़े अस्पतालों से छोटे अस्पतालों को दवाएं पहुंचाने की शुरूआत छिंदवाड़ा, इंदौर, जबलपुर, ग्वालियर, भोपाल में से चुनिंदा महानगरों से की जा सकती है। मुख्यमंत्री और स्वास्थ्य मंत्री तय करेंगे कि कौन से महानगरों में ड्रोन से दवाईयां पहुंचाने की सुविधा पहलीे चरण में दी जाना है। हालांकि ड्रोन से दवाएं पहुंचाने के लिए सिविल अनुमति मध्यप्रदेश को मिल चुकी है और सिविल एविएशन रेगलुरेशन-दो (सीएआर-2) का ड्राफ्ट भी तैयार किया जा चुका है।
समय की होगी बचत
आपातकालीन स्थिति पर ड्रोन से दवाएं भेजने की सुविधा आज के समय की मांग इसीलिए है, क्योंकि अगर कोई मरीज छोटे अस्पताल में रक्त, रक्त उत्पाद, या फिर दवा के आभाव में जान को खो रहा है, इस स्थिति में बड़े अस्पताल में संपर्क कर संबंधित दवा को समय रहते मंगाई जाती है तो समय रहते ड्रोन से बगैर यातायात बाधित हुए भिजवा सकेगी। इससे समय पर मरीज को दवा मिलने से उसकी जान को बचाया जा सकेगा।
अफ्रीका के रावांडा में है सुविधा
ड्रोन से सभी प्रकार की सुविधा अफ्रीका के रावांडा में पूरी तरह से सफल है। विपलाइन कंपनी इस व्यवस्था को संभाल रही है। उत्तर प्रदेश के कानपुर में आईटी कंपनी ड्रोन से सुविधा पहुंचाने के लिए अभ्यास कर रही है, वहीं बैंगलूरु में भी ड्रोन से ही खान-पान की सामग्रियां ऑन लाइन बुकिंग करने पर पहुंचाने का कार्य किया जा रहा है। ड्रोन से मरीजों तक दवाईयां पहुंचाने का कार्य देश में मध्यप्रदेश पहला राज्य माना जाएगा।
आवश्यक है ड्रोन सेवा
सडक़ों पर वाहनों का बढ़ते यातायात से समय पर मांग के अनुसार सुविधा मिलने में देरी होने को दूर करने के लिए इसका दूसरा विकल्प ड्रोन सेवा ही मानी जा रही है, जो अपने आपमें एक आवश्यक सेवा ही है। ड्रोन का उपयोग अब पश्चिमी देशों तक ही सीमित नहीं रहेगा। वर्तमान तकनीकी युग में दुनियाभर में विभिन्न कार्यों में इसकी मदद ली जा रही है। ऐसे कार्य जिसमें ड्रोन की सेवाएं ली जा रहीं है, इनमें सामान की डिलीवरी, अपराध की निगरानी, सीमाओं की सुरक्षा, वनीय इलाकों की निगरानी, पर्यावरण की सुरक्षा, आपातकाल में सहायक, दवाओं को तेजी से पहुंचाना इत्यादि।
अब मध्यप्रदेश में मरीजों के पास उडक़र ड्रोन से पहुंचेगी दवाईयां
चुनिंदा महानगरों में जल्दी मिलेगी मानव रहित हवाई वाहन (यूएवी) सेवा, ऑपरेटर का किया जाना है चयन
भोपाल
मध्यप्रदेश में चुनिंदा स्थानों पर अब दवाईयों को एक स्थान से दूसरे स्थान पर भेजने के लिए जल्दी ही हवाई सेवा यानि ड्रोन सेवा का उपयोग किया जाएगा। इसके माध्यम से दवाओं, रक्त, रक्त उत्पादों को बड़े अस्पतालों से छोटे अस्पतालों को भेजा जा सकेगा। मध्यप्रदेश में इस सेवा का नाम यूएवी दिया गया है। जिसका मतलब मानव रहित हवाई वाहन (यूएवी) से है। इसमें आपरेटर का चयन करने के लिए स्वास्थ्य और परिवार कल्याण विभाग की ओर से पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप (पीपीपी) मोड पर प्रदेश, डीएचएस स्वास्थ्य या अन्य क्षेत्रों में यूएवी ऑपरेशन, यूएवी विनिर्माण, यूएवी आधारित प्रणाली में प्रासंगिक अनुभव रखने वाले पात्र और प्रतिष्ठित बोलीदाताओं से एक्सप्रेशन ऑफ इंटरेस्ट (यूएवी) आमंत्रित की गई है।
सिविल वर्क होना शेष
मरीजों तक मानव रहित हवाई वाहन (यूएवी) यानि ड्रोन से दवाओं, रक्त, रक्त उत्पादों को पहुंचाने के लिए प्रतिष्ठित और पात्र जो भी अपनी रुचि दिखाऐंगे, पहले उनकी पद्धति को समझने के लिए भारत सरकार की सीडल्यूसी के ड्रोन विशेषज्ञ प्रोजेक्ट इस बात पर सिविल वर्क करेंगे कि ड्रोन की गति कितनी होगी, ड्रोन कितनी ऊंचाई पर उड़ेगा, ड्रोन से दवाएं, रक्त और रक्त उत्पादों को कैसे पहुंचाएंगे, खराब मौसम पर ड्रोन कैसे कार्य करेगा, किस लाइन पर चलेगा, इत्यादि।
महानगरों से हागी शुरूआत
ड्रोन से बड़े अस्पतालों से छोटे अस्पतालों को दवाएं पहुंचाने की शुरूआत छिंदवाड़ा, इंदौर, जबलपुर, ग्वालियर, भोपाल में से चुनिंदा महानगरों से की जा सकती है। मुख्यमंत्री और स्वास्थ्य मंत्री तय करेंगे कि कौन से महानगरों में ड्रोन से दवाईयां पहुंचाने की सुविधा पहलीे चरण में दी जाना है। हालांकि ड्रोन से दवाएं पहुंचाने के लिए सिविल अनुमति मध्यप्रदेश को मिल चुकी है और सिविल एविएशन रेगलुरेशन-दो (सीएआर-2) का ड्राफ्ट भी तैयार किया जा चुका है।
समय की होगी बचत
आपातकालीन स्थिति पर ड्रोन से दवाएं भेजने की सुविधा आज के समय की मांग इसीलिए है, क्योंकि अगर कोई मरीज छोटे अस्पताल में रक्त, रक्त उत्पाद, या फिर दवा के आभाव में जान को खो रहा है, इस स्थिति में बड़े अस्पताल में संपर्क कर संबंधित दवा को समय रहते मंगाई जाती है तो समय रहते ड्रोन से बगैर यातायात बाधित हुए भिजवा सकेगी। इससे समय पर मरीज को दवा मिलने से उसकी जान को बचाया जा सकेगा।
अफ्रीका के रावांडा में है सुविधा
ड्रोन से सभी प्रकार की सुविधा अफ्रीका के रावांडा में पूरी तरह से सफल है। विपलाइन कंपनी इस व्यवस्था को संभाल रही है। उत्तर प्रदेश के कानपुर में आईटी कंपनी ड्रोन से सुविधा पहुंचाने के लिए अभ्यास कर रही है, वहीं बैंगलूरु में भी ड्रोन से ही खान-पान की सामग्रियां ऑन लाइन बुकिंग करने पर पहुंचाने का कार्य किया जा रहा है। ड्रोन से मरीजों तक दवाईयां पहुंचाने का कार्य देश में मध्यप्रदेश पहला राज्य माना जाएगा।
आवश्यक है ड्रोन सेवा
सडक़ों पर वाहनों का बढ़ते यातायात से समय पर मांग के अनुसार सुविधा मिलने में देरी होने को दूर करने के लिए इसका दूसरा विकल्प ड्रोन सेवा ही मानी जा रही है, जो अपने आपमें एक आवश्यक सेवा ही है। ड्रोन का उपयोग अब पश्चिमी देशों तक ही सीमित नहीं रहेगा। वर्तमान तकनीकी युग में दुनियाभर में विभिन्न कार्यों में इसकी मदद ली जा रही है। ऐसे कार्य जिसमें ड्रोन की सेवाएं ली जा रहीं है, इनमें सामान की डिलीवरी, अपराध की निगरानी, सीमाओं की सुरक्षा, वनीय इलाकों की निगरानी, पर्यावरण की सुरक्षा, आपातकाल में सहायक, दवाओं को तेजी से पहुंचाना इत्यादि।
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