नवआगन्तुक छात्र-छात्राओं की दो दिवसीय कार्यशाला शुरू भावातीत ध्यान से याददाश्त में होती हैं बढ़ोतरी: अदिति श्रीवास्तव
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लखनऊ। भाग दौड़ भरी जिंदगी में भावातीत ध्यान एकाग्रता पैदा करता है। यह एक वैज्ञानिक विधा है, जिसे लोग 60 वर्षों से कर रहे हैं। उक्त बातें मुख्य अतिथि अदिति श्रीवास्तव ने महर्षि सूचना प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय में नवआगन्तुक छात्र-छात्राओं के लिए आयोजित दो दिवसीय कार्यशाला भावातीत ध्यान एवं चेतना में कहीं। दो दिवसीय कार्यशाला भावातीत ध्यान एवं चेतना की शुरुआत महर्षि जी के चित्र पर पुष्प अर्पित कर दीप प्रज्जवलन से हुयी।
बतौर मुख्य अतिथि उपस्थित अदिति श्रीवास्तव ने अपने सम्बोधन में कहा कि भावातीत ध्यान से लोगों की याददाश्त में बढ़ोतरी हो रही है एवं तनाव कम हो रहे हैं। उन्होंने कहा कि विश्व में सभी धर्मों के लगभग दस मिलियन लोग भावातीत ध्यान कर रहे हैं तथा पिछले 30-40 वर्षों से भावातीत ध्यान पर शोध कार्य किये जा रहे हैं। इन शोधों पर लगभग 250 रिसर्च इंस्टीट्यूट काम कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि इससे तनाव एवं अन्य प्रकार की मानसिक समस्याएं जैसे नींद न आना, चीजों को भूलना आदि में सुधार होता है। अदिति श्रीवास्तव ने विद्यार्थियों एवं शिक्षकों को भावातीत ध्यान विषय पर बेहद ज्ञानवर्धक बाते बतायीं एवं उपस्थित सभी से नियमित ध्यान का अभ्यास करने के लिए प्रेरित किया।
वहीं महर्षि विश्वविद्यालय के कुलसचिव प्रोफेसर अखण्ड प्रताप सिंह ने उपस्थित शिक्षक एवं छात्र-छात्राओं का अभिवादन करते हुये कहा कि भावातीत ध्यान तनाव प्रबन्धन के लिए अत्यन्त उपयोगी वैज्ञानिक तकनीक है। कार्यशाला में मुख्यरूप से भावातीत ध्यान शिक्षक अरविन्द सक्सेना एवं रचना सक्सेना सहित प्रोफेसर सपना अस्थाना, प्रोफेसर एचके द्विवेदी, डॉ सिन्धुजा मिश्रा, संजीव श्रीवास्तवए डॉ अजय भारती, डॉ संतोष कुमार, सतेन्द्र कुमार, कोमल ठक्कर, रश्मि राकेश, डॉ कंचन अवस्थी, अंकित श्रीवास्तव, आशुतोष पाठक, अवनीश सिंह, अमित श्रीवास्तव, राजेश दुबे, राजेश सिंह एवं भारी संख्या में छात्र-छात्राएं मौजूद रहीं।
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