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श्राद्ध पक्ष की समाप्ति वाले इस आखिरी दिन पितृ मोक्ष अमावस्या होती है

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आज अमावस्या* दिन शनिवार है यह अमावस्या बहुत महत्वपूर्ण है शनि अमावस्या होने के नाते एवं पितरों का विसर्जन के कारण प्रत्येक जनमानस के व्यक्ति के ऊपर इसका प्रभाव पड़ेगा
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धार्मिक एवं ज्योतिष शास्त्रों के अनुसार हर माह के कृष्ण पक्ष में आने वाली अमावस्या तिथि बहुत महत्वपूर्ण होती है। ऐसा माना जाता है कि अमावस्या के दिन प्रेतात्माएं ज्यादा सक्रिय रहती हैं इसीलिए चौदस और अमावस्या के दिन बुरे कार्यों तथा नकारात्मक विचारों से दूरी बनाए रखने में हमारी भलाई है और इन दिनों विशेषकर धार्मिक कार्यों तथा मंत्र जाप, पूजा-पाठ आदि पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता होती है।आज 28 सितंबर 2019- शनिवार- आश्विन अमावस्या (सर्व पितृ अमावस्या) है

 आज पितृ पक्ष 28 सिंतबर दिन शनिवार को समाप्त हो रहा है। श्राद्ध पक्ष की समाप्ति वाले इस आखिरी दिन पितृ मोक्ष अमावस्या होती है। जिसे काफी महत्वपूर्ण माना जाता है। इस दिन हर कोई श्राद्ध करता है। क्योंकि ऐसा माना जाता है कि जिन पितरों का श्राद्ध किसी कारण नहीं हो पाया है तो इस दिन श्राद्ध करने से उन सभी पितरों की आत्मा को शांति मिल जाती है। इसे सर्वपितृ अमावस्या भी कहा जाता है।

     *कई जगह इस अमावस्या को भूतहा  भूतड़ी  एवं शनि अमावस्या भी कहा जाता है।*

      दरअसल जिन लोगो को बाहरी समस्या रहती है या जिन लोगो को ऊपरी बाधा होती है वो सब आसपास किसी पवित्र नदी में स्नान कर समस्या से मुक्ति पाते हैं।

 *अमावस्या का श्राद्ध*
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सर्वपितृ अमावस्या को प्रात: स्नानादि कर गायत्री मंत्र का जाप करते हुए सूर्यदेव को जल अर्पित करें। पितरों के लिए शुद्ध होकर भोजन तैयार कर लें। इस बात का ध्यान रखें कि पितरों के निमित्त तैयार किये जाने वाले भोजन में लहसुन और प्याज का इस्तेमाल न करें। इस दिन किसी सात्विक और विद्वान ब्राह्मण को घर पर बुलाएं और उन्हें भोजन कराएं। श्राद्धभोज से गाय, कुत्ते, कौए, देव एवं चीटिंयों के लिए भोजन का अंश निकालकर उन्हें दें। इसके बाद ब्राह्मण को भोजन कराकर उन्हें अपनी सामर्थ्य अनुसार दान दक्षिणा भी दें। शाम के समय अपनी क्षमता अनुसार दो, पांच या फिर सोलह दीप भी प्रज्जवलित करने चाहियें।

सर्वपितृ अमावस्या के दिन पितरों की शांति और उनका आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए गीता के सातवें अध्याय का पाठ करें। साथ ही इस दिन पीपल की सेवा और पूजन भी करें क्योंकि इससे पितृ प्रसन्न होते हैं। पितृ अमावस्या वाले दिन स्टील के लोटे में, दूध, पानी, काले तिल, शहद और जौ मिला लें और पीपल की जड़ में अर्पित कर दें। ॐ सर्व पितृ देवताभ्यो नमः मंत्र का जाप भी सर्वपितृ अमावस्या वाले दिन लगातार करते रहना चाहिए।

 *क्या करें क्या ना करें*
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सर्वपितृ अमावस्या के दिन  निमंत्रित ब्राह्मण का पैर धोना चाहिए इस कार्य के समय पत्नी को दाहिनी तरफ होना चाहिए। जिसदिन आपको पितरों का श्राद्ध करना हो श्राद्ध तिथि के दिन तेल लगाने, दूसरे का अन्न खाने, और स्त्रीप्रसंग से परहेज करें। श्राद्ध में राजमा, मसूर, अरहर, गाजर, कुम्हड़ा, गोल लौकी, बैगन, शलजम, हींग, प्याज-लहसुन, काला नमक, काला जीरा, सिंघाड़ा, जामुन, पिप्पली, कैंथ, महुआ, और चना ये सब वस्तुएं श्राद्ध में वर्जित हैं।

*तामसिक वस्तु का सेवन नही करे*
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इस दिन किसी भी प्रकार की तामसिक वस्तुओं का सेवन नहीं करना चाहिए। इस दिन शराब आदि नशे से भी दूर रहना चाहिए। इसके शरीर पर ही नहीं, आपके भविष्य पर भी दुष्परिणाम हो सकते हैं। जानकार लोग तो यह कहते हैं कि चौदस, अमावस्या और प्रतिपदा उक्त 3 दिन पवित्र बने रहने में ही भलाई है।
🙏जे पी द्विवेदी समाज सेवक लखनऊ

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