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सैय्यद और इमाम के हक का लुटेरा कहा जाएगा खुम्स न देने वाला

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लखनऊ।
कार्यालय आयतुल्लाह उज़मा सैय्यद सादिक हुसैन शीराजी की ओर से रोजा, नमाज, हज, खुम्स, जकात आदि समस्याओं के समाधान के लिए हेल्पलाइन पर सवाल पूछे जा  सकते हैं। हेल्पलाइन पर शिया चांद कमेटी के अध्यक्ष मौलाना सैफ अब्बास नकवी ने सवालों के जवाब दिये। हेल्पलाइन पर सवाल पूछने के लिए मोबाइल नम्बर 9415580936 और 9839097407 पर सुबह 10 बजे से दोपहर 12 बजे तक फोन और ई-मेल द्वड्डह्यड्डद्गद्य७८६ञ्चद्दद्वड्डद्बद्य.ष्शद्व पर सम्पर्क किया जा सकता है। हेल्पलाइन पर महिलाएं मोबाइल नम्बर 6386897124 पर सुबह 10 से 12 बजे के बीच सम्पर्क कर अपने सवालों के जवाब महिला जानकार से प्राप्त कर सकती हैं। 
सवाल:- क्या मगरिब की अजान खत्म होने के फौरन बाद रोजा खोला जा सकता है?
जवाब:- वक्त पूरा हो जाए तो रोजा खोला जा सकता है, चाहे अजान हो या न हो। अजान एक बुलावा और पहचान है कि अब नमाज का वक्त हो गया है। अगर कोई शख्स ऐसी जगह है जहां अजान नहीं होती या मस्जिद नहीं है तो वहां वक्त देखकर रोजा खोल सकता है। 
सवाल:- क्या कोई पिता अपने पुत्र को जकात का पैसा दे सकता है?
जवाब:- जकात का पैसा पुत्र को उस वक्त दिया जा सकता है, जब पुत्र कर्जदार हो और उसका खर्च पूरा न होता हो। 
सवाल:- अगर कोई अपनी बचत से खुम्स का पैसा नहीं देता तो क्या हुक्म है?
जवाब:- अगर कोई खुम्स का पैसा नहीं देता है तो उसका पैसा पाक नहीं होता है और वह सैय्यदों और इमामे जमाना के हक का लुटेरा कहा जाएगा। 
सवाल:- क्या हज पर जाने के लिए रखे पैसों पर खुम्स दिया जाएगा?
जवाब:- अगर मजकूरा पैसे पर खुम्स नहीं दिया गया है तो उस पर भी खुम्स दिया जाएगा। 
सवाल:- क्या ऐतिकाफ की तरह ही रोजे की हालत में खुशबू लगाना नाजायज है?
जवाब:- रोजे की हालत में हर तरह की खुशबू लगाई जा सकती है, इससे रोजा नहीं टूटेगा। 
अफजल है धीरे दुआ मांगना, नमाज का हिस्सा नहीं है दुआ
लखनऊ। रमजान में रोजेदारों के रोजा, नमाज, जकात आदि और दीनी मसलों से संबंधित सवालों के जवाब देने के लिए इस्लामिक सेंटर ऑफ इंडिया की ओर से हेल्पलाइन का आगाज किया गया। वर्ष 2002 में आरम्भ हुई हेल्पलाइन पर न सिर्फ देश बल्कि बड़ी संख्या में विदेशों से भी रोजेदार सम्पर्क कर अपने सवालों के जवाब हासिल करते हैं। हेल्पलाइन पर रोजेदारों के सवाल इमाम ईदगाह मौलाना खालिद रशीद फरंगी महली के नेतृत्व में उलमा की एक कमेटी देती है। हेल्पलाइन पर सवाल पूछने के लिए मोबाइल नम्बर 9415023970, 9335929670, 9415102947, 7007705774 और ई-मेल ह्म्ड्डद्व5ड्डठ्ठद्धद्गद्यश्चद्यद्बठ्ठद्ग२००५ञ्चद्दद्वड्डद्बद्य.ष्शद्व तथा वेबसाइट 222.द्घड्डह्म्ड्डठ्ठद्दद्बद्वड्डद्धड्डद्य.द्बठ्ठ पर भी सम्पर्क कर सकते हैं। 
सवाल:- किसी का ट्रेवल एजेंसी का कारोबार है और कई चार पहिया गाडिय़ां हैं तो क्या इन गाडिय़ों पर भी जकात है?
जवाब:- इन सभी गाडिय़ों पर जकात नहीं है। 
सवाल:- हाफिज साहब ने तरावीह की नमाज में सज्दा तिलावत को नमाज के सज्दे के साथ यानि तीन सज्दे अदा किये तो क्या नमाज सही होगी?
जवाब:- नमाज में जिस वक्त सज्दे वाली आयत पढ़े, उसी वक्त सज्दा कर लिया जाए और देर किया और नमाज के सज्दों के साथ किया तो सज्दा सहू लाजिम है। सज्दा सहू के बाद नमाज हो जाएगी।
सवाल:- क्या इमाम को धीमी आवाज में दुआ मांगना चाहिए या बुलंद आवाज से और क्या दुआ नमाज का हिस्सा है?
जवाब:- दुआ धीरे मांगना अफजल है, बुलंद आवाज से भी मांगें तो कोई हर्ज नहीं, लेकिन दूसरे नमाजी को दिक्कत न हो। नमाज सलाम पर खत्म हो जाती है। दुआ नमाज का हिस्सा नहीं है। 
सवाल:- तम्बाकू का पत्ता जला कर उसकी राख से रमजान में दांत मांजना कैसा है?
जवाब:- अगर दांतों को मल कर धो लिया जाए कि पेट में न उतरे तो रोजे पर कोई असर नहीं होगा। 
सवाल:- कर्ज लेने वाला कर्ज से इंकार कर रहा है और कोई गवाह भी नहीं है तो क्या कर्ज दी गयी इस रकम पर जकात है?
जवाब:- वसूल होने से पहले कर्ज दी गयी रकम पर जकात लाजिम नहीं है और वसूल होने के बाद भी पिछले सालों की जकात नहीं है। 

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