शबे-कद्र में इबादत कर मांगी दुआएं, नमाजियों से गुलजार रही मस्जिदें
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लखनऊ।
मुबारक रमजान की 23वीं शब, शबे-कद्र पर मंगलवार को शहर की मस्जिदें रात भर नमाजियों से गुलजार रही। मस्जिदों से रात भर इबादत, तस्बीह और तिलावते कुरान की आवाजें आती रही। रात भर रोजेदारों ने शबे-कद्र के विशेष आमाल अदा कर 100 रकअत नमाज अदा की और तिलावते कलामे पाक, शबे-कद्र की विशेष दुआएं पढ़ कर अपने गुनाहों की माफी और दुआएं मांगी। इस मौके पर मस्जिदों में रोजेदारों के लिए सहरी का भी इंतजाम किया गया था। इस मौके पर मस्जिदों में रोशनी करने के साथ ही रोजेदारों के लिए सेहरी का भी इंतजाम किया गया था।
रमजान के आखिरी अशरे की 23वीं रात शबे-कद्र को शहर की मस्जिदों में खास इंतजाम किये गये थे। रात में मस्जिदों में लोगों ने एकत्रित होकर विशेष आमाल और नमाजें अदा की। इस मौके पर लोगों ने रात भर जागकर तिलावते कलामे पाक और दुआएं पढ़कर दुआएं मांगी। पुराने लखनऊ से लेकर गोमती पार के इलाकों की मस्जिदों से रात भर नमाज, तिलावत और दुआएं पढऩे की आवाजें आती रही। लोगों ने शबे-कद्र में इबादत कर अपने परवरदिगार से अपने गुनाहों की माफी और दुआएं मांगी। इस मौके पर मस्जिदों में नमाजियों की सुविधाओं के लिए विशेष इंतजाम और रोशनी का खास इंतजाम किया गया था। मौलाना सैफ अब्बास नकवी ने बताया कि इस रात कुरान नाजिल किया गया। इस रात इबादत करने पर हजारों रातों की इबादत का सवाब मिलता है। रसूल फरमाते हैं कि जो शख्स शबे-कद्र में ईमान के साथ इबादत के लिए खड़ा हो उसके पिछले सारे गुनाह माफ कर दिये जाते हैं। शिया समुदाय रमजान मुबारक की 19, 21 और 23वीं रात को शबे-कद्र के रूप में विशेष इबादत करते हैं। 23वीं रमजान की शब को मस्जिदों में इबादतों का विशेष इंतजाम किया जाता है और रात भर नमाज, तिलावते कलामे पाक और अलग-अलग दुआएं पढ़ी जाती हैं। वहीं सुन्नी समुदाय रमजान के आखिरी दस दिनों में 21वीं, 23वीं, 25वीं, 27वीं और 29वीं रात विशेषकर 27वीं रात को शबे-कद्र के रूप में जागकर इबादत करता है।
लखनऊ।
मुबारक रमजान की 23वीं शब, शबे-कद्र पर मंगलवार को शहर की मस्जिदें रात भर नमाजियों से गुलजार रही। मस्जिदों से रात भर इबादत, तस्बीह और तिलावते कुरान की आवाजें आती रही। रात भर रोजेदारों ने शबे-कद्र के विशेष आमाल अदा कर 100 रकअत नमाज अदा की और तिलावते कलामे पाक, शबे-कद्र की विशेष दुआएं पढ़ कर अपने गुनाहों की माफी और दुआएं मांगी। इस मौके पर मस्जिदों में रोजेदारों के लिए सहरी का भी इंतजाम किया गया था। इस मौके पर मस्जिदों में रोशनी करने के साथ ही रोजेदारों के लिए सेहरी का भी इंतजाम किया गया था।
रमजान के आखिरी अशरे की 23वीं रात शबे-कद्र को शहर की मस्जिदों में खास इंतजाम किये गये थे। रात में मस्जिदों में लोगों ने एकत्रित होकर विशेष आमाल और नमाजें अदा की। इस मौके पर लोगों ने रात भर जागकर तिलावते कलामे पाक और दुआएं पढ़कर दुआएं मांगी। पुराने लखनऊ से लेकर गोमती पार के इलाकों की मस्जिदों से रात भर नमाज, तिलावत और दुआएं पढऩे की आवाजें आती रही। लोगों ने शबे-कद्र में इबादत कर अपने परवरदिगार से अपने गुनाहों की माफी और दुआएं मांगी। इस मौके पर मस्जिदों में नमाजियों की सुविधाओं के लिए विशेष इंतजाम और रोशनी का खास इंतजाम किया गया था। मौलाना सैफ अब्बास नकवी ने बताया कि इस रात कुरान नाजिल किया गया। इस रात इबादत करने पर हजारों रातों की इबादत का सवाब मिलता है। रसूल फरमाते हैं कि जो शख्स शबे-कद्र में ईमान के साथ इबादत के लिए खड़ा हो उसके पिछले सारे गुनाह माफ कर दिये जाते हैं। शिया समुदाय रमजान मुबारक की 19, 21 और 23वीं रात को शबे-कद्र के रूप में विशेष इबादत करते हैं। 23वीं रमजान की शब को मस्जिदों में इबादतों का विशेष इंतजाम किया जाता है और रात भर नमाज, तिलावते कलामे पाक और अलग-अलग दुआएं पढ़ी जाती हैं। वहीं सुन्नी समुदाय रमजान के आखिरी दस दिनों में 21वीं, 23वीं, 25वीं, 27वीं और 29वीं रात विशेषकर 27वीं रात को शबे-कद्र के रूप में जागकर इबादत करता है।
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