तंजानिया: प्रोफेशनल बाक्सिंग में तराए इस्लाम से कल होगी विपिन की जंग
HTN Live
मेरठ के वल्र्ड चैम्पियन विपिन की निगाह टोक्यो ओलम्पिक पर
तिरंगा मेरी शान पर यूपी ने नहीं दिया सम्मान और सर्पोट
लखनऊ। गरीबी में पला बसा। सात साल का हुआ तो शरारत करते करते बाक्सिंग सीखनें की ललक पैदा हो गयी। छोटी उम्र से ही बाक्सिंग के जुनून में डूब गया। माता-पिता ने जो हो सकता था सर्पोट किया। मैंने भी मेहनत की। वल्र्ड चैम्पियन बना। अब ओलम्पिक 2020 में भारत की झोली में स्वर्ण पदक डालने का सपना है। अफसोस इस बात का है कि यूपी से खेलने के बावजूद आज तक न किसी पुरस्कार से नवाजा गया और न ही कोई प्रायोजक मिला। यह बात अफ्रीका के तंजानिया में चल रही प्रोफेशनल बाक्सिंग में हिस्स ले रहे मेरठ के मुक्केबाज विपिन कुमार ने HTN LIVE के संवाददाता से हुई बातचीत में कही।
बातचीत के दौरान विपिन ने बताया कि अफ्रीका के तंजानिया में चल रही प्रोफेशनल बाक्सिंग में उन्होंने दमदार प्रदर्शन करते हुए तीसरे राउण्ड में जगह बना ली है। उन्होंने बताया कि 12 अक्टूबर को उनका मुकाबला ईस्ट अफ्रीका के तराए इस्लाम से होगा। इसके लिए हमारी मेहनत जारी है। मुझे उम्मीद है कि प्रोफेशनल बाक्सिंग में देश का नाम रोशन करुं। मुझे यह भी उम्मीद है कि आगामी 2020 टोक्यो ओलम्पिक में उन्हें टिकट मिल सकता है। फिलहाल
अफ्रीकी देश तंजानिया में हो रही प्रोफेशनल बॉक्सिंग में मेरठ के बॉक्सर विपिन कुमार अपना जलवा बरकरार रखे हैं। वहां विपिन को तीन मैच खेलने हैं। जबकि दो मैच में जीत हासिल कर मेजबान मुक्केबाजों को धूल चटाने में कामयाब रहे।
विपिन 60 किलो भार वर्ग में खेल रहे हैं। विपिन के साथ ही प्रयागराज के बॉक्सर अनुज कुमार सिंह भी तंजानिया में 69 किलो वर्ग में टाइटल फाइट का हिस्सा हैं। मेरठ छावनी में रजबन निवासी विपिन कुमार ने साल 1997 में महज सात साल की आयु में बॉक्सिंग की ट्रेनिंग शुरू की थी। शुरुआती ट्रेनिंग कोच हीरा सिंह बिष्ट से मिली। उसके बाद स्टेडियम में ट्रेनिंग ली। इसके बाद साईं स्पोट्र्स हॉस्टल काशीपुर में चयन हुआ। यहां ट्रेनिंग और पढ़ाई करते हुए विपिन ने 2004, 2005, 2006, 2007 और 2015 में नेशनल बॉक्सिंग चैंपियन रहे। 2010 में सीनियर नेशनल में रजत पदक जीता। 2007 में छठे आइबा कैडेट वल्र्ड बॉक्सिंग चैंपियनशिप में गोल्डन पंच जतने के साथ ही बेस्ट बॉक्सर का खिताब भी जीता। दिल्ली में हुए कॉमनवेल्थ गेम्स में पासपोर्ट न होने के कारण विपिन बॉक्सिंग में हिस्सा नहीं ले सके थे। आर्थिक तंगी के बावजूद उन्होंने हिम्मत नहीं हारी और सफलता की सीढ़ी चढ़ते गये। साल 2012 से सेना में हवलदार पद पर तैनात विपिन कुमार लगातार प्रतियोगिताओं में हिस्सा ले रहे हैं। उन्होंने अब प्रोफेशनल बॉक्सिंग की ओर रुख किया है। वह देश-विदेश के बॉक्सरों को चैलेंज करना चाहते हैं।
विपिन ने बताया कि कोच हीरा सिंह ने बाक्सिंग के बेसिक का प्रशिक्षण दिया। इसके बाद कोच अभिषेक धानुक ने बेहतर तरीेके से हमको तराश कर तैयार किया। विपिन ने कहा कि यूपी सरकार और केन्द्र सरकार को भले ही न पता हो कि हमने किन मुश्किलों में खेल का सफर तय किया है। मगर मैं, मेरा परिवार और हमारे गुरु बेहतर तरीके से जानते हैं। उन्होंने बताया कि मैं इस प्रोफेशनल बाक्ंिसग में खुद के खर्चे पर आया हूं। हमारे पास न तो कोई प्रायोजक है और न ही कोई अन्य मददगार। विपिन ने यह भी बताया कि देश प्रदेश के सम्मान के लिए मैंने मेहनत कर जो पदक जीते उस पर मुझे गर्व है। इसके साथ ही मुझे अपने तिरंगे पर नाज है। उन्होंने बताया कि 12 अक्टूबर को तंजानिया के मुक्केबाज तराए इस्लाम से मेरी जंग है। मुझे पूरा विश्वास है कि इस जीत के साथ ओलम्पिक का टिकट हासिल कर सकूंगा।
मेरठ के वल्र्ड चैम्पियन विपिन की निगाह टोक्यो ओलम्पिक पर
तिरंगा मेरी शान पर यूपी ने नहीं दिया सम्मान और सर्पोट
लखनऊ। गरीबी में पला बसा। सात साल का हुआ तो शरारत करते करते बाक्सिंग सीखनें की ललक पैदा हो गयी। छोटी उम्र से ही बाक्सिंग के जुनून में डूब गया। माता-पिता ने जो हो सकता था सर्पोट किया। मैंने भी मेहनत की। वल्र्ड चैम्पियन बना। अब ओलम्पिक 2020 में भारत की झोली में स्वर्ण पदक डालने का सपना है। अफसोस इस बात का है कि यूपी से खेलने के बावजूद आज तक न किसी पुरस्कार से नवाजा गया और न ही कोई प्रायोजक मिला। यह बात अफ्रीका के तंजानिया में चल रही प्रोफेशनल बाक्सिंग में हिस्स ले रहे मेरठ के मुक्केबाज विपिन कुमार ने HTN LIVE के संवाददाता से हुई बातचीत में कही।
बातचीत के दौरान विपिन ने बताया कि अफ्रीका के तंजानिया में चल रही प्रोफेशनल बाक्सिंग में उन्होंने दमदार प्रदर्शन करते हुए तीसरे राउण्ड में जगह बना ली है। उन्होंने बताया कि 12 अक्टूबर को उनका मुकाबला ईस्ट अफ्रीका के तराए इस्लाम से होगा। इसके लिए हमारी मेहनत जारी है। मुझे उम्मीद है कि प्रोफेशनल बाक्सिंग में देश का नाम रोशन करुं। मुझे यह भी उम्मीद है कि आगामी 2020 टोक्यो ओलम्पिक में उन्हें टिकट मिल सकता है। फिलहाल
अफ्रीकी देश तंजानिया में हो रही प्रोफेशनल बॉक्सिंग में मेरठ के बॉक्सर विपिन कुमार अपना जलवा बरकरार रखे हैं। वहां विपिन को तीन मैच खेलने हैं। जबकि दो मैच में जीत हासिल कर मेजबान मुक्केबाजों को धूल चटाने में कामयाब रहे।
विपिन 60 किलो भार वर्ग में खेल रहे हैं। विपिन के साथ ही प्रयागराज के बॉक्सर अनुज कुमार सिंह भी तंजानिया में 69 किलो वर्ग में टाइटल फाइट का हिस्सा हैं। मेरठ छावनी में रजबन निवासी विपिन कुमार ने साल 1997 में महज सात साल की आयु में बॉक्सिंग की ट्रेनिंग शुरू की थी। शुरुआती ट्रेनिंग कोच हीरा सिंह बिष्ट से मिली। उसके बाद स्टेडियम में ट्रेनिंग ली। इसके बाद साईं स्पोट्र्स हॉस्टल काशीपुर में चयन हुआ। यहां ट्रेनिंग और पढ़ाई करते हुए विपिन ने 2004, 2005, 2006, 2007 और 2015 में नेशनल बॉक्सिंग चैंपियन रहे। 2010 में सीनियर नेशनल में रजत पदक जीता। 2007 में छठे आइबा कैडेट वल्र्ड बॉक्सिंग चैंपियनशिप में गोल्डन पंच जतने के साथ ही बेस्ट बॉक्सर का खिताब भी जीता। दिल्ली में हुए कॉमनवेल्थ गेम्स में पासपोर्ट न होने के कारण विपिन बॉक्सिंग में हिस्सा नहीं ले सके थे। आर्थिक तंगी के बावजूद उन्होंने हिम्मत नहीं हारी और सफलता की सीढ़ी चढ़ते गये। साल 2012 से सेना में हवलदार पद पर तैनात विपिन कुमार लगातार प्रतियोगिताओं में हिस्सा ले रहे हैं। उन्होंने अब प्रोफेशनल बॉक्सिंग की ओर रुख किया है। वह देश-विदेश के बॉक्सरों को चैलेंज करना चाहते हैं।
विपिन ने बताया कि कोच हीरा सिंह ने बाक्सिंग के बेसिक का प्रशिक्षण दिया। इसके बाद कोच अभिषेक धानुक ने बेहतर तरीेके से हमको तराश कर तैयार किया। विपिन ने कहा कि यूपी सरकार और केन्द्र सरकार को भले ही न पता हो कि हमने किन मुश्किलों में खेल का सफर तय किया है। मगर मैं, मेरा परिवार और हमारे गुरु बेहतर तरीके से जानते हैं। उन्होंने बताया कि मैं इस प्रोफेशनल बाक्ंिसग में खुद के खर्चे पर आया हूं। हमारे पास न तो कोई प्रायोजक है और न ही कोई अन्य मददगार। विपिन ने यह भी बताया कि देश प्रदेश के सम्मान के लिए मैंने मेहनत कर जो पदक जीते उस पर मुझे गर्व है। इसके साथ ही मुझे अपने तिरंगे पर नाज है। उन्होंने बताया कि 12 अक्टूबर को तंजानिया के मुक्केबाज तराए इस्लाम से मेरी जंग है। मुझे पूरा विश्वास है कि इस जीत के साथ ओलम्पिक का टिकट हासिल कर सकूंगा।
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