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एलडीए व जिला पंचायत के बीच नक्शा पास करने की रार 307गांवों में जिला पंचायत नहीं पास कर सकेगा नक्शा

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लखनऊ। एलडीए के क्षेत्र के अंतर्गत लखनऊ नगर निगम क्षेत्र को सम्मिलित करते हुए 307 गांवों को बिना नक्शा के निर्माण नहीं कर सकेंगे। हालांकि इस पर पहले से प्रतिबंध है मगर जिला पंचायत से लोग नक्शा पास कर निर्माण करा रहे थे। एलडीए और जिला पंचायत के बीच यह विवाद लंबे समय समय से चला आ रहा है। उन्नीस साल बाद भी आठ विकासखंडों के 197 ग्राम पंचायतों में जमीन खरीदने वाले परेशान हैं। नगर निगम सीमा के भी गांवों को मिलाकर कुल 307 गांव में प्राधिकरण व पंचायत के बीच रार कम नहीं हो रही है। मानचित्र स्वीकृति के लिए जोनल व्यवस्था नहीं लागू है। इससे यहां भवनों के मानचित्र को लेकर विवाद की स्थिति बनी हुई है। शहरी क्षेत्र के बढऩे पर वर्ष जनवरी 2009 में लखनऊ विकास प्राधिकरण की सीमा को संशोधित किया गया था। इस संशोधन में 197 गांवों को एलडीए में शामिल किया गया। आवास एवं शहरी नियोजन विभाग ने नगर नियोजन एवं विकास अधिनियम-1973 के अतंर्गत अधिसूचनाओं के जरिये इस बात की घोषणा की थी। लखनऊ विकास क्षेत्र की सीमा के अतंर्गत किसी भी विकास एवं निर्माण कार्य के लिए उक्त अधिनियम की सुसंगत धाराओं में लखनऊ विकास प्राधिकरण को अधिकार दिये गये हैं। एलडीए की अधिसूचना जारी होने के बाद भी जिला पंचायत अनाधिकृत तरीके से भवन निर्माणों की मंजूरी देकर अवैध निर्माणों को बढ़ावा दे रहा है। उत्तर प्रदेश नगर नियोजन एवं विकास अधिनियम-1973 की धारा तीन के अतंर्गत उत्तर प्रदेश शासन द्वारा जारी अधिसूचना के तहत 11 सितंबर 1974 को लखनऊ नगर पालिका की सीमा को सम्मिलित करते हुए नगर पालिका की सीमा से प्रत्येक दिशा में 8 किमी आगे तक की सीमा क्षेत्र को लखनऊ विकास क्षेत्र में घोषित किया गया था। इसके बाद वर्ष 1999 में अधिसूचना जारी की गईए इसके अनुसार पूर्व में जारी अधिसूचना को संशोधित करते हुए फैजाबाद मार्ग एवं सीतापुर मार्ग पर 16 गांवों को लखनऊ विकास क्षेत्र की सीमा में सम्मिलित किया गया था। उत्तर प्रदेश नगर नियोजन एवं विकास अधिनियम-1973 की धारा-59 में उत्तर प्रदेश क्षेत्र पंचायत, जिला पंचायत अधिनियम-1961 की धारा-162 से 171 तक निलंबित कर दिया गया है। संशोधित विकास क्षेत्र की सीमा मानचित्र पर प्रदर्शित भी है। इसके बाद भी जिला पंचायत इस क्षेत्र में समय-समय पर विभिन्न विकास एवं निर्माण से संबंधित मानचित्र स्वीकृत कर रहा है। ऐसे विधिक रूप से शून्य मानचित्रों के विरुद्ध किया गया विकास व निर्माण कार्य दंडनीय अपराध है। साथ ही ऐसे आवेदकों के साथ भ्रम की स्थिति पैदा करते हुए धोखाधड़ी की जारी है। हालांकि जिला पंचायत का कहना है कि एलडीए की ओर से विधिक प्रक्रिया पूरी न किये जाने से इस क्षेत्र में उसका कोई अधिकार नहीं है। करीब पांच साल पहले एलडीए की बोर्ड ने यह निर्णय दिया था कि निर्माणकर्ता व कोई भी संस्था जिला पंचायत से पास नक्शे के आधार पर निर्माण कराता है तो एलडीए उसके विरुद्ध नियमानुसार कार्रवाई करेगा। हाल यह है कि इन गांवों में प्रधानमंत्री आवास योजना के नाम पर जिला पंचायत से मकान बनाकर बेचे जा रहे हैं। अपार्टमेंट बनाकर फ्लैट बेचकर धोखाधड़ी की जा रही है। लखनऊ विकास क्षेत्र के अंतर्गत विकास व निर्माण के मानचित्रों को लेकर हाईकोर्ट भी सख्त आपत्ति कर चुका है। जिला पंचायत से स्वीकृति लेकर मानचित्र पास होने को एलडीए पहले ही अवैध बता चुका है। महायोजना 2021 में शामिल 197 गांवों में भवन निर्माण करने वालों के लिए परेशानी दूर नहीं हो रही है। इससे पहले तत्कालीन प्रमुख सचिव ने भी जिला पंचायत से नक्शे पास होने पर रोक लगायी थी। एलडीए बोर्ड के निर्णय की प्रोसेडिंग के अनुसार लखनऊ विस्तारित विकास क्षेत्र के अंतर्गत विकास व निर्माण के लिए प्राप्त मानचित्रों के निस्तारण के लिए उपाध्यक्ष लखनऊ विकास प्राधिकरण की अध्यक्षता में समिति को अधिकार दिये गश्े हैं। इस समिति में जिलाधिकारी की ओर से अपर जिलाधिकारी प्रशासन को भी सदस्य के रूप में सम्मिलित किया गया था। इस समिति में सचिव एलडीएए मुख्य अभियंता व संबंधित जोन के अधीक्षण अभियंता भी शामिल हैं। उत्तर प्रदेश नगर योजना एवं विकास अधिनियम, 1973 के अनुसार महायोजना बनने पर अथवा इसके लागू करने के बाद धारा-9 के अधीन जोनल डेवलपमेंट प्लान्स बनाना अनिवार्य है। इसके बाद ही प्राधिकरण संबंधित क्षेत्र में विकास कार्य कर सकता है। महायोजना-2031 को लागू कर दिया गया है मगर जोनल डेवलपमेंट प्लान अभी तक नहीं बना है। सीतापुर रोड, कुर्सी रोड, फैजाबाद व सीतापुर रोड पर अनियोजित तरीके से निर्माण होते जा रहे हैं। लखनऊ विकास प्राधिकरण के क्षेत्र में इन अवैध निमार्णों को जिला पंचायत की ओर से स्वीकृति दी जा रही है।

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