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गन्ना किसान गन्ने की बंधाई का कार्य अवश्य करे : जिला गन्ना अधिकारी शाहजहांपुर


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         उत्तर प्रदेश :- शाहजहांपुर


    ब्यूरोचीफ अपराध :- अमन मिश्रा




♦️👉 लखनऊ :- चीनी मिल रोज़ा के गांव नागरपाल में गन्ने की बंधाई करते गन्ना किसान विपिन तिवारी

♦️👉 गन्ना किसान गन्ने की बंधाई का कार्य अवश्य करे** जिला गन्ना अधिकारी शाहजहांपुर


                         


♦️👉 जिला गन्ना अधिकारी शाहजहांपुर ने कहा कि किसान भाई अगस्त व सितंबर महा में गन्ने की बधाई का कार्य अवश्य करे। जिस प्रकार से जून जुलाई के महा में मिट्टी चढ़ाना गन्ने की फसल में लाभदायक रहता है। उसी प्रकार गन्ने की बधाई भी गन्ने की उत्पादकता एवम रिकवरी बढ़ाने में लाभदायक रहती है।

वैसे तो जनपद में लगभग 2 लाख गन्ना किसान है परंतु गन्ने बनने की बधाई मुश्किल से 30,000 किसान ही करते होंगे। बधाई ना करने से अगस्त एवं सितंबर माह में तेज हवा एवं वर्षा से गन्ना गिर जाता है। गन्ना गिरने से गन्ने का बढ़ना रुक जाता है। साथ ही चूहों एवं जंगली जानवरों के द्वारा नुकसान भी अत्यधिक होता है तथा उत्पादन भी कम मिलता है गिरे हुए गन्ने से 0.5 से 1.50 प्रतिशत कम हो जाती है। गन्ने की फसल 80% बढ़ना वर्षा के ही मौसम में होता है। गन्ना गिरने से प्रकाश संश्लेषण की क्रिया बाधित हो जाती है। जिसके कारण 25 से 30 परसेंट उत्पादन कम हो जाता है। गिरी हुई फसल में चूहों का प्रकोप बढ़ जाता है और कीट भी अत्यधिक लग जाते हैं। गिरी हुई फसल से गुण बनाने में गुड़ की गुणवत्ता में भी कमी आ जाती है। तथा गन्ने की गिरी हुई फसल को काटने में भी अत्यधिक कठिनाई होती है। साथ ही टेढ़े मेढे गन्ने होने के कारण ट्राली में भरने में भी कठिनाई आती है। गन्ना किसानों को इन नुकसानों से बचने के लिए अगस्त के अंतिम माह में बंधाई अवश्य करनी चाहिए। गन्ने की बधाई में निचले हिस्से की सूखी पत्तियों का उपयोग करना चाहिए। प्रथम बधाई 150 से 180 से० मी० की ऊंचाई पर एवं दो से तीन थानों को आपस मिलाकर बधाई करते हैं।


👉♦️ गन्ने में दूसरी बधाई अगस्त से सितंबर माह के प्रथम सप्ताह में आमने सामने की थानों को मिलाकर कैंची नुमा करते हैं। कैची नुमा बधाई करने से खेत में तेज हवा आसानी से पास हो जाती है। गन्ने को गिरने से बचाने हेतु बुवाई हमेशा पूर्व से पश्चिम दिशा में ट्रेंच विधि से 25 से 30 से० मी० गहराई में करनी चाहिए। बरसात में मिट्टी चढ़ाना एवं जल निकासी पर विशेष रुप से ध्यान रखना चाहिए।

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