मशरूम उत्पादन विषय पर कौशल विकास प्रशिक्षण संपन्न,
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जाग्रत मिश्रा
सिधौली।सीतापुर।खेती से अधिक लाभ प्राप्त ना होने के कारण एवं रोजगार के अभाव मे ग्रामीण युवा एवं किसान खेती से विमुख होकर रोजगार की तलाश में शहर की तरफ पलायन कर रहे हैं। इसके लिए आवश्यकता है की कृषि से संबंधित स्वरोजगार का विकास किया जाये जिससे गांव में रहकर खेती के साथ - साथ कृषि उद्यम का विकास हो और लोगों को पलायन न करना पड़े। इसी के क्रम मे भारतीय कृषि कौशल परिषद, नई दिल्ली द्वारा कृषि से संबंधित क्षेत्रों में उद्यम सृजन करके रोजगार प्रदान करने के उद्देश्य से किसानों एवं युवको का प्रशिक्षण के माध्यम से कौशल विकास किया जा रहा है। जिससे लोगो को रोजगार प्राप्त हो एवं उनके सामाजिक तथा आर्थिक स्तर में सुधार हो। इसी के अन्तर्गत कृषि विज्ञान केंद्र अम्बरपुर सीतापुर पर मशरुम उत्पादन के क्षेत्र में उद्यमी तैयार करने के उद्देश्य से मशरुम उत्पादक विषय पर 200 घंटे के प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम में जनपद सीतापुर के 20 चयनित एवं पंजीकृत अभ्यर्थियों को मशरूम उत्पादन, मूल्य संवर्धन एवं विपणन आदि विषयों पर विस्तारपूर्वक जानकारी प्रदान की गई। प्रशिक्षण कार्यक्रम में विकासखंड रामपुर मथुरा के 3, महमूदाबाद के 2, कसमंडा के 3, खैराबाद के 1, गोदलामऊ के 1, सिधौली के 10 अभ्यर्थियों ने भाग लिया। इस प्रशिक्षण का संचालन कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिक एवं भारतीय कृषि कौशल परिषद, नई दिल्ली द्वारा प्रमाणित प्रशिक्षक डॉ विनोद कुमार सिंह ने किया। डॉ सिंह ने मशरूम उत्पादन के विभिन्न पहलुओं: मशरूम का मानव जीवन में महत्व, पोषण एवं औषधीय गुण, मशरूम के प्रकार एवं उनकी पहचान, मशरूम की विभिन्न प्रजातियों की उत्पादन तकनीक, मशरूम के कीट - रोग एवं उनका प्रबंधन, मशरूम उत्पादन में आने वाली बाधाएं एवं उनका समाधान, मशरूम की तुड़ाई एवं पैकेजिंग तथा रख-रखाव, विपणन आदि विषयों का सैद्धांतिक एवं प्रयोगात्मक अध्ययन कराया। केंद्र के वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं अध्यक्ष डॉ सुरेश सिंह ने मशरूम के महत्व पर प्रकाश डालते हुए कृषि उद्योग में मशरूम की संभावनाओं पर चर्चा की। केंद्र की गृह वैज्ञानिक श्रीमती ऋचा सिंह ने मशरूम में मूल्य संवर्धन विषय पर चर्चा करते हुए मशरूम द्वारा बनाई जाने वाली विभिन्न उत्पादों का सैद्धांतिक एवं प्रायोगिक अध्ययन कराया। इस कार्यक्रम के अंतर्गत मशरूम प्रक्षेत्रों का शैक्षिक भ्रमण भी कराया गया जिसके अंतर्गत केंद्रीय उपोष्ण बागवानी संस्थान, रहमान खेड़ा, लखनऊ का भी भ्रमण कराया गया जहां पर प्रधान वैज्ञानिक डॉ० पी० के० शुक्ला ने जानकारी प्रदान की तथा जिज्ञासाओं का समाधान किया। प्रशिक्षण के उपरांत भारतीय कृषि कौशल परिषद द्वारा नामित संस्था द्वारा प्रशिक्षणार्थियों का मूल्यांकन भी किया गया। प्रत्येक प्रशिक्षणार्थी को घर पर जाकर ढिंगरी मशरूम का उत्पादन शुरू करने के उद्देश्य से स्पान एवं भूसे के शोधन हेतु फॉर्मलडिहाइड प्रदान किया गया जिससे वह अपने घर पर मशरूम उत्पादन की शुरुआत कर सकें।
जाग्रत मिश्रा
सिधौली।सीतापुर।खेती से अधिक लाभ प्राप्त ना होने के कारण एवं रोजगार के अभाव मे ग्रामीण युवा एवं किसान खेती से विमुख होकर रोजगार की तलाश में शहर की तरफ पलायन कर रहे हैं। इसके लिए आवश्यकता है की कृषि से संबंधित स्वरोजगार का विकास किया जाये जिससे गांव में रहकर खेती के साथ - साथ कृषि उद्यम का विकास हो और लोगों को पलायन न करना पड़े। इसी के क्रम मे भारतीय कृषि कौशल परिषद, नई दिल्ली द्वारा कृषि से संबंधित क्षेत्रों में उद्यम सृजन करके रोजगार प्रदान करने के उद्देश्य से किसानों एवं युवको का प्रशिक्षण के माध्यम से कौशल विकास किया जा रहा है। जिससे लोगो को रोजगार प्राप्त हो एवं उनके सामाजिक तथा आर्थिक स्तर में सुधार हो। इसी के अन्तर्गत कृषि विज्ञान केंद्र अम्बरपुर सीतापुर पर मशरुम उत्पादन के क्षेत्र में उद्यमी तैयार करने के उद्देश्य से मशरुम उत्पादक विषय पर 200 घंटे के प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम में जनपद सीतापुर के 20 चयनित एवं पंजीकृत अभ्यर्थियों को मशरूम उत्पादन, मूल्य संवर्धन एवं विपणन आदि विषयों पर विस्तारपूर्वक जानकारी प्रदान की गई। प्रशिक्षण कार्यक्रम में विकासखंड रामपुर मथुरा के 3, महमूदाबाद के 2, कसमंडा के 3, खैराबाद के 1, गोदलामऊ के 1, सिधौली के 10 अभ्यर्थियों ने भाग लिया। इस प्रशिक्षण का संचालन कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिक एवं भारतीय कृषि कौशल परिषद, नई दिल्ली द्वारा प्रमाणित प्रशिक्षक डॉ विनोद कुमार सिंह ने किया। डॉ सिंह ने मशरूम उत्पादन के विभिन्न पहलुओं: मशरूम का मानव जीवन में महत्व, पोषण एवं औषधीय गुण, मशरूम के प्रकार एवं उनकी पहचान, मशरूम की विभिन्न प्रजातियों की उत्पादन तकनीक, मशरूम के कीट - रोग एवं उनका प्रबंधन, मशरूम उत्पादन में आने वाली बाधाएं एवं उनका समाधान, मशरूम की तुड़ाई एवं पैकेजिंग तथा रख-रखाव, विपणन आदि विषयों का सैद्धांतिक एवं प्रयोगात्मक अध्ययन कराया। केंद्र के वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं अध्यक्ष डॉ सुरेश सिंह ने मशरूम के महत्व पर प्रकाश डालते हुए कृषि उद्योग में मशरूम की संभावनाओं पर चर्चा की। केंद्र की गृह वैज्ञानिक श्रीमती ऋचा सिंह ने मशरूम में मूल्य संवर्धन विषय पर चर्चा करते हुए मशरूम द्वारा बनाई जाने वाली विभिन्न उत्पादों का सैद्धांतिक एवं प्रायोगिक अध्ययन कराया। इस कार्यक्रम के अंतर्गत मशरूम प्रक्षेत्रों का शैक्षिक भ्रमण भी कराया गया जिसके अंतर्गत केंद्रीय उपोष्ण बागवानी संस्थान, रहमान खेड़ा, लखनऊ का भी भ्रमण कराया गया जहां पर प्रधान वैज्ञानिक डॉ० पी० के० शुक्ला ने जानकारी प्रदान की तथा जिज्ञासाओं का समाधान किया। प्रशिक्षण के उपरांत भारतीय कृषि कौशल परिषद द्वारा नामित संस्था द्वारा प्रशिक्षणार्थियों का मूल्यांकन भी किया गया। प्रत्येक प्रशिक्षणार्थी को घर पर जाकर ढिंगरी मशरूम का उत्पादन शुरू करने के उद्देश्य से स्पान एवं भूसे के शोधन हेतु फॉर्मलडिहाइड प्रदान किया गया जिससे वह अपने घर पर मशरूम उत्पादन की शुरुआत कर सकें।
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