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लखनऊ विश्वविद्यालाय की ज्ञान आभा की समष्टि एवं सतत ऊर्जा तथा उत्साह छात्र छात्राओं को हमेशा अपनी ओर आकृष्ट करती है ------डॉ अलका सिंह

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शिक्षण व्यवस्थाओं के निर्माण में  वैश्विक स्तर पर एक अजस्र  प्रेरणा स्रोत रहे लखनऊ विश्वविद्यालय का छात्र होना स्वतः ही गर्व की बात है। लखनऊ विश्वविद्यालायन की ज्ञान आभा  की समष्टि एवं सतत ऊर्जा   तथा  उत्साह छात्र छात्राओं को हमेशा अपनी ओर आकृष्ट करता रहा है। सही मायनों में विश्वविद्यालय को परिभाषित करता हुआ ,  अरस्तू ,प्लेटो और सुकरात जैसे विद्वानों द्वारा गढे गये  ज्ञान  की क्षमता का स्वरूप प्रदर्शित करता मूर्त रूप   एवं पूर्वार्त्य एवं पाश्चात्य का अनोखा आमेलन  लखनऊ विश्वविद्यालय  अपने  विभागों, भवनों ,पुस्तकालयों ,प्रयोगशालाओं, म्यूजियम तथा  अपनी  ऐतिहासिक सांस्कृतिक  एवं सामाजिक भूमिकाओं के निर्वहन कि एक परिपाटी बनाता  , सम्यक शिक्षा प्रदान कर निरन्तर   दीक्षित करता एक अनंत प्रवाह केंद्र है।  यहाँ से निकले  छात्र छात्राएं , प्रतिष्टित संस्थाओं और इकाइयों का नेतृत्व करते हुए  अर्जित  ज्ञान का विस्तार करते रहे हैं। यही बातें एक आम छात्र या छात्रा को ज्ञान के उस दरवाज़े पर लाकर खड़ा करती हैं जहां वह अपनी क्षमता का  आंकलन कर अपने भविष्य को निर्धारित करने में सफल पाता है।ऐसी ही छात्रा रहीं डॉ अलका सिंह ने लखनऊ विश्वविद्यालय से अपनी शिक्षा गृहण किया है। यहां से उन्होंने अपनी प्रारम्भिक शोध यात्रा का भी स्वरूप निर्धारित किया। आगे चलकर उन्होंने एफएमएस एच, पेरिस, फ्रांस द्वारा पोस्ट डॉक्टोरल फेलोशिप प्राप्त कर  कल्चरल एक्सचेंज के तहत जेंडर स्टडीज  एवं महिला मुद्दों पर किए गए शोध कार्यों को पठन-पाठन एवं शिक्षा क्षेत्र की इकाईयों से जोड़ अनेक सफल प्रयोगों  द्वारा इस दिशा में महतवपूर्ण योगदान किए। अपने प्रांगण के हर एक शिक्षक और समग्र विद्यार्थी  समुदाय को अकादमिक  संस्कृति निर्माण की इकाई के रूप में देखने वाली अलका सिंह के लिए लखनऊ विश्वविद्यालय का नाम ही उनके छात्रा जीवन की पहचान और परिचय है। बहुआयामी गुणों एवं ऐतिहासिक दीवारों  के साहित्यिक और सांस्कृतिक पक्षों और ज्ञान कोष को समझने और आत्मसात करने के प्रयासों से डॉ अलका सिंह ने अंग्रेजी साहित्य एवं भाषा में शिक्षण शोध  के साथ साथ लेखन में भी सक्रिय रहीं हैं। देश के प्रतिष्ठित डॉ राम मनोहर लोहिया राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय में वे  बतौर अंग्रेजी की शिक्षक के रूप में कार्यरत हैं।  शिक्षण एवं शोध के अतिरिक्त डॉ सिंह महिला  सशक्तीकरण , साहित्य तथा सांस्कृतिक   मुद्दों पर सक्रिय हैं।  इसके अतिरिक्त वे रजोधर्म सम्बन्धी संवेदनशील मुद्दों पर पिछले लगभग बारह वर्षों से शोध ,प्रसार एवं जागरूकता   का कार्य कर रही है। वे अंग्रेजी और हिंदी में समान रूप से लेखन कार्य करती है और  उनकी रचनाएँ   देश विदेश के पत्र पत्रिकाओं में निरंतर प्रकाशित होती हैं। वीमेन एम्पावरमेंट (2018) ,वीमेन : इश्यूज ऑफ़ एक्सक्लूशन एंड इन्क्लूज़न (2018),वीमेन ,सोसाइटी एंड कल्चर (2018),इश्यूज इन कैनेडियन लिटरेचर (2016),जेंडर रोल्स इन पोस्टमॉडर्न वर्ल्ड (2014),पोस्टमॉडर्निज़्म : टेक्स्ट्स एंड कॉन्टेक्ट्स (2008)  कलर्स ऑफ़ ब्लड (2020) जैसी उनकी  आठ पुस्तकें प्रकाशित हैं तथा शिक्षण एवं  लेखन हेतु दस  पुरस्कार/ सम्मान प्राप्त हैं। डॉ अलका सिंह  का मानना है कि शिक्षक का योगदान किसी एक विषय, संस्कृति या  भाषा के प्रति न केवल ज्ञानार्जन एवं विस्तार है अपितु सामाजिक सरोकारों  , आर्थिक परिवेशों और वातावरण के प्रति सम्यक समझ भी है। महिलाओं की  सम्यक सहभागिता , नीति निर्धारण में उनकी  भूमिका , छात्रों को समुचित अवसर किसी भी संस्थान कि संस्कृति के  निर्माण  के प्रमुख बिंदु होते हैं और लखनऊ विश्वविद्यलय में इसकी सतत परिपाटी है।  लखऊ विश्वविद्यालय शताब्दी   समारोह , उत्साह और उमंग एवम् उल्लास के माहौल पे कुछ यादें साझा करते हुए कहती हैं-

 


(डॉ अलका सिंह डॉ राम मनोहर लोहिया नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी लखनऊ में शिक्षक हैं )
विश्व विद्यालय के राजनीतिक माहौल ने महिला सशक्तिकरण एवं महिला मुद्दों पर लेखन हेतु प्रेरणा दी। मेरी प्रारम्भिक शोध यात्रा के दौरान, तब मैं एम फिल इंगलिश की छात्रा थी, सुजाता भट, कमला दास, वर्जिनिया वूल्फ, मैरी वोस्टन क्राफ्ट, जे एस मिल और अन्य लेखकों को पढ़ा, भारतीय ज्ञान दर्शन और वूमन ऑरिएंटेड दिस्कोर्सेस में    सिद्धांतों और व्यवहारिक पहलुओं के अंतर आत्मिक सवांद पर वूमन की जगह क आंकलन करना मेरे विचारों और रचनाओं का हिस्सा बना। ये कविताएं, रचनाए तब अपरिपक्व थीं जो आज एक सम्यक समझ को बलवती करती हैं। सरकार के मिशन शक्ति जैसे कार्यक्रमों को इस दिशा में देख स्वयं के लिए और समाज की अन्य महिलाओं के लिए संदर्भित दिशा निर्देशों में अपनी साहित्यिक कलम को सामाजिक सरोकार के स्वरूप में शास्वत शक्ति के प्रवाह को पाती हूं। (डॉक्टर अलका सिंह, डॉ राम मनोहर लोहिया नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी में बतौर अंग्रेजी की शिक्षक हैं।)

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