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टाइगर की दहशत के साये मे जनपद लखीमपुर खीरी आज एक और व्यक्ति को टाइगर ने वनाया अपना निवाला

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आदेश शर्मा जिला व्यूरो जनपद लखीमपुर खीरी

- उत्तर खीरी वन प्रभाग के उत्तर निघासन रेंज  अंतर्गत मझरा के जंगल के किनारे पालतू मवेशी चरा रहे ग्रामीण को टाइगर ने हमला कर दबोच लिया और जंगल मे लेजाकर खा गया 
एक सप्ताह मे इस इलाके मे टाइगर के हमले मे दूसरी मौत होने से आसपास के गांवो मे भी दहशत और गुस्से का माहौल वन गया है ।

जानकारी के अनुसार कल साम मझरा के जंगल के करीब पालतू मवेशी चरा रहे ग्रामीण प्यारे लाल यादव पुत्र इतवारी लाल यादव निवासी ग्राम मझरा को जंगल से निकले टाइगर ने अचानक हमला करके मार डाला और जंगल मे काफी गहरायी मे घसीट कर ले गया ।
घटना की सूचना मिलने पर ग्रामीणो ने प्यारे लाल को काफी तलास किया पर रात ढल जाने के चलते तलास किया बंद करनी पडी ।
सुबह होने पर ग्रामीणो ने इकट्ठा होकर पुन: प्यारे लालयादव की तलाश शुरू की तब जंगल के लगभग आधा किलो मीटर अंदर एक झाडी के पास प्यारे लाल का अधखाया शव मिला जिसे वन कर्मियो के सहयोग से ग्रामीणो ने जंगल से बाहर निकाला ।
समाचार लिखते समय तक शव जंगल से बाहर लाया जा चुका था और वन कर्मियो के साथ कोतवाली तिकोनिया इंस्पेक्टर हनुमान प्रसाद अन्य पुलिस कर्मियो के साथ मौके पर पहुंच चुके थे ।
शव को पंचनामा भरकर पोस्टमार्टम हेतु भेजे जाने की तैय्यारी चल रही थी 
ग्राम प्रधान जसवंत यादव ने बताया कि अबतक यह टाइगर कयी लोगो को अपना निवाला वना चुका है 
जसवंत यादव ने यह भी बताया है कि अभी गत सप्ताह इसी टाइगर ने यहां से तीन किलोमीटर दूर कविनगर दलराज पुर में भी एकसिख को साम के समय उस समय हमला कर जंगल मे घसीट कर ले गया था जब वह ग्रामीण अपना खेत बचा रहा था 
ग्रामीण ज्ञांन सिंह पुत्र सुंदर सिंह का शव दो दिन बाद जंगल के काफी अंदर मिला था जिसमे अवशेष के नाम पर सिर्फ सिर व कंकाल ही मिला था 
इसके पूर्व इसी वर्ष यह टाइगर मझरा व दलराज पुर के दो और लोगो को भी अपना निवाला वना चुका है।
दर असल जिस स्थान पर यह घटनायें हो रही है वह इलाका दुधवा नेशनल पार्क का वफर जोन एवं पडोसी राष्ट्र नेपाल के वर्दिया नेशनल पार्क व कतर्नियाघाट वन्य जीव विहार से वन्य जीवो के आने जाने वाला कारीडोर है इस कारीडोर होकर नेपाल से आने बाले जंगली हाथियो के छोटे बडे समूह,टाइगर,तेंदुये,गेंडे व अन्य वन्य जीवो का आवागमन दुधवा, कतरनियां घाट,वर्दिया नेपाल तक होता रहता है।
पर कुछ वर्षो से इस कारीडोर पर मानवीय दखल बढने व अबैध कब्जा कर कारीडोर मे फार्म व खेत विकसित होने के बाद वन्यजीवो के आवागमन मे गतिरोध उत्पन्न होने के चलते वन्य जीवो मे उत्तेजना बढती दिखाई दे रही है 
हाथी के हमले व टाइगरो के इंसानो पर हमलो की संख्या मे अचानक खासी बढोत्तरी देखी जा रही है वहीं कारीडोर के रास्ते मे फार्मो खेतो मे कंटीले धारदार व्लेड युक्त बाड लगाने व विजली करेंट प्रवाहित करने के चलते अब तक  जंगली हाथियो व अन्य वन्यजीवो की मौते भी हो चुकीं हैं पर जिम्मेदार विभाग इस कारीडोर को लेकर अभी तक संवेदन शून्य वने हुये हैं जिसका परिणाम आये दिन मानव वन्यजीव संघर्ष के रूप मे सामने आने लगा ह

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