25 सितम्बर देशव्यापी प्रतिरोध जरूरी! शामिल हो!
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CPI-M- भाजपा नीति मोदी सरकार द्वारा धींगा-मुस्ती से पारित कराये गये कृषि बिलों से किसानो के अधिकार छीनकर कृषि क्षेत्र को पूरी तरह से देशी-विदेशी कारपोरेटस के हवाले करने से एमएसपी सरकारी खरीद, स्वामीनाथन कृषि आयोग की सिफारिशों, सरकारी मण्डियां आदि अर्थहीन हो जायेगी, यही नही देश की खाद सुरक्षा खतरे में पड जायेगी, सार्वजनिक राशन वितरण प्रणाली खत्म हो जायेगी, जमाखोरी और मुनाफाखोरी का बोलबाला हो जायेगा, ठेका-कारपोरेटस खेती का द्वार खोल खेती को कारपोरेटस के हवाले कर किसानो को कंगाल बनाकर सस्ते मजदूरो में तब्दील कर दिया जायेगा।
भारतीय कृषि की आत्मनिर्भरता पर यह तीखा हमला है। भाजपा-आरएसएस नेतृत्व बाली केन्द्र सरकार का यह कदम अंगे्रजी राज में भारतीय किसानो के निर्मम शोषण जैसे दिनो की वापसी का खतरा पैदा किया जा रहा है। इस सबको नई आजादी का नाम देकर झूठे आश्वासन देकर आंखों मे धूल झोंककर किसानो के साथ विश्वासघात किया जा रहा है।
यह काले कानून संविधान के भी खिलाफ है क्योकि राज्य का विषय है। राज्यों से बिना चर्चा के इन्हे लाकर राज्य सभा में बिना मतदान के पास करा दिया है। यह कदम संविधान, संसद, किसानों के पीठ में छुरा भौकने जैसा है।
कोरोना महामारी से लडते हुए अन्नदाताओ नें प्राण हथेली पर रख देश को भोजन उपलब्ध कराया, किंतु मोदी सरकार द्वारा किसानो के प्रति हमदर्दी के बजाये घोर उपेक्षा और धोखा का रवैया अख्तियार किया गया है।
खेती किसानी को संकट से उबारने के लिए नव-उदारवादी नीतियों का रास्ता छोड किसानो की पक्षधर वैकल्पिक नीतियां ही कारगर उपाय है। फसलों मे लागत का डेढ गुना दाम का कानूनी अधिकार और सरकारी खरीद की गारण्टी पूर्ण कर्जा मुक्ति काले कानूनो को रदद करना, किसान सम्मान निधि बढाकर 18 हजार रू0 वार्षिक करना किसान पेंशन कारगर फसल बीमा आदि के साथ ही कारपोरेटस की लूट को सुविधाजनक बनाये जाने के बजाये सहकारी खेती का बढावा देने के लिए कानून आदि बेहद जरूरी है।
मुकुट सिंह
महामंत्री
उ0प्र0 किसान सभा
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