Lakhimpur Kheri : मुर्गे का मीट खाने से सात लोग बीमार एक वालिका की मौत
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आदेशशर्मा जिला व्यूरो लखीमपुर-खीरी
कोतवाली निघासन अंतर्गत क्षेत्र के गांव पढुआ में मुर्गे का बासी मीट खाने से एक ही परिवार के सात लोग बीमार हो गए। हालत खराब होने पर सभी को रमियाबेहड़ सीएचसी में भर्ती कराया गया। जहां से डॉक्टर ने उन्हें जिला अस्पताल रेफर कर दिया। आसपास के लोग उन्हें लेकर जिला अस्पताल गए जहां दो लोगों की हालत गंभीर होने पर उन्हें लखनऊ रेफर कर दिया। लखनऊ में शनिवार रात को 11 वर्षीय बालिका की मौत हो गई। वहां दूसरी बालिका और यहां निजी अस्पताल में भर्ती पांच अन्य लोगों की हालत में सुधार बताया जा रहा है।
जानकारी के अनुसार पढुआ निवासी पलटू ने बताया कि वह ढखेरवा पुलिस चौकी में निजी रूप से खाना बनाता है। शुक्रवार रात कस्बे में लगने वाली साप्ताहिक बाजार से वह मुर्गे का मीट लेकर आया। रात में मीट बनने के बाद चौकी पर मौजूद कुछ सिपाहियों ने मीट खाया। बचा हुआ मीट अपने साथ लेकर वह घर आ गया। वहां पर उसने कुछ मीट खाया और बाकी रख दिया। शनिवार की सुबह सोयाबीन की सब्जी और चावल बनवाए और रात का बचा हुआ मीट भी परिवार समेत खाया। मीट खाने के करीब एक घंटे बाद परिवार के लोगों के पेट में तेज दर्द होने लगा और उल्टी दस्त शुरू हो गए। पड़ोसियों ने सभी लोगों को सीएचसी रमियाबेहड़ पहुंचाया, जहां से सभी को लखीमपुर के लिए रेफर कर दिया गया। यहां जिला अस्पताल में पलटू की 11 वर्षीय पुत्री रोहनी और सात वर्षीय मोहिनी की हालत नाजुक होने पर उन्हें लखनऊ रेफर कर दिया गया। बाद में लखनऊ के मेडिकल कॉलेज में इलाज के दौरान रोहिनी की मौत हो गई जबकि मोहिनी की हालत में सुधार है। इधर, पलटू और उसकी पत्नी रामसहेली, बेटे विशाल (8), बेटी सोहनी (5), आशिकी (3) जिला अस्पताल में इलाज कराने के बजाए निजी अस्पताल में भर्ती हो गए। जहां उनकी हालत में सुधार है।
बासी मीट खाने से फूड प्वाइजनिंग हुई है। बीमार सभी लोगों को जिला अस्पताल रेफर किया गया था। उसके बाद वह लोग कहां गए। इस बात की जानकारी नहीं है।
-सुभाष वर्मा, सीएचसी अधीक्षक रमियाबेहड़
मामले की जानकारी मिली है। खुले में बिक रहे मीट आदि की जांच कर कार्रवाई की जाएगी।
-कुलदीप दीक्षित, फूड इंस्पेक्टर
बताते चलें कि समूचे निघासन तहसील क्षेत्र में बिना लाइसेंस खुलेआम अवैध व असुरक्षित तरीके से मीट की बिक्री की जा रही है। बाजारो में खुले में जमीन पर बैठकर मुर्गों और बकरों को काटकर बेचा जाता है।खाद्ध एवं औषधि विभाग भी इन सब बातों को भली भांति जानता है फिर भी अंजान बना रहता है। मीट की दुकानों पर गंदगी होने से मक्खियां भिनभिनाती रहती हैं। जिससे संक्रामक रोग फैलने की आशंका बनी रहती है। समझा जाता है कि पलटू ने यहीं से मुर्गे का मीट खरीदा, जिसको खाने से परिवार के लोग बीमार हुए और एक बालिका की मौत भी हो गई।
निघासन कस्बे के लालपुर रोड पर मीट बिक्री का सिर्फ एक लाइसेंस है। इसके विपरीत सिंगाही, बेलरायां, तिकुनियां, खैरीगढ़, झंडी, ढखेरवा, दुबहा, बम्हनपुर, सलीमाबाद, छेदुई पतिया, पढुआ आदि कस्बों और यहां लगने वाले साप्ताहिक बाजारों में खुलेआम बिना लाइसेंस मीट की बिक्री होती है। इन दुकानों पर गंदगी का अंबार लगा रहता है। यही नहीं जानवर काटने के बाद उसके बाद निकलने वाला खून और अवशेष छिछडे भी खुले में पड़े सड़ते रहते हैं , जिससे बीमारी फैलने का डर बना रहता है।
बैसे यह हैं मीट मुर्गा काटने बेचने के नियम ।
फूड विभाग के नियमानुसार जानवर काटने के लिए सलाटर हाउस, इसके अलावा मीट बेचने के लिए पक्की दुकान, फ्रीजर, दुकान के सामने कवर या शीशा लगा होना अनिवार्य है। इसके अलावा जानवर काटने के लिए स्टील के औजार होना आवश्यक है।
तहसील में मीट बिक्री का मात्र एक लाइसेंस हैं। अन्य लोगों से लाइसेंस लेने को कहा गया है। तहसील क्षेत्र में चल रही बेकरियों की हालत और भी खस्ता है कुछ स्थानों पर तो पैरों से मैदा गूंथी जाती है खमीर पर मख्खियां भिनभिनाती है फिर उसी से वने विस्कुट छोटे बच्चों को बेच दिये जाते हैं
बिना लाइसेंस वाली दुकानों पर छापा मारकर कार्रवाई की जाएगी।
-कुलदीप दीक्षित, खाद्य निरीक्षक
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