शिया पी जी कालेज में आजादी के अमृत महोत्सव के अंतर्गत मनाया गया विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस
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विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस कार्यक्रम के अंतर्गत आज एक दिवसीय संगोष्ठी सेमिनार व देशभक्ति वृत्तचित्र आयोजन किया गया। कार्यक्रम के अंतर्गत विभाजन की त्रासदी के समय के विभिन्न पहलुओं पर चर्चा की गई एवं तत्कालीन समय के परिस्थितियों पर मंथन एवं उन परिस्थितियों के द्वारा भविष्य को और बेहतर बनाने के तमाम पहलुओं पर विस्तार से चर्चा की गई।
आज दिनांक 14/8/2022 को शिया पी जी कालेज में
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए शिया कालेज के प्राचार्य प्रोफेसर सैय्यद शबीहे रजा बाकरी अध्यक्षीय उद्बोधन में बोलते हुए कहा कि विभाजन की त्रासदी एवं विभाजन के फल स्वरुप विस्थापित हुए तमाम लोगों को ना केवल अपनी जान से हाथ धोना पड़ा बल्कि इस इस कारण काल के क्लास में समाए हुए लोगों की संवेदना होने आजादी के उल्लास को फीका कर दिया था। उन परिस्थितियों के बावजूद भारत न केवल मजबूती से खड़ा हुआ बल्कि पिछले 75 सालों में विकास के नए कीर्तिमान को स्थापित करते हुए जीवन की हर क्षेत्र में उत्तरोत्तर प्रगति कर रहा है।
कार्यक्रम की मुख्य वक्ता के रूप में उपस्थित इतिहास विभाग की प्रोफेसर डा0 अमीत राय ने विभाजन की त्रासदी पर विस्तार से प्रकाश डालते हुए ना केवल आजादी के विभिन्न चरणों पर विस्तार से प्रकाश डाला वरन कुछ अनछुए पहलुओं पर भी स्थिति स्पष्ट करते हुए बताया की इतिहास किसी भी देश किसी भी राष्ट्र की प्रगति का एक मजबूत स्तंभ है विभाजन जैसी त्रासदी से सबक लेते हुए हमें भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के मजबूत आयामों को प्रदान करता है विभाजन का दृश्य न केवल भारत की प्रगति में एक बड़ा सूर था बरन इसने कई ऐसे अनसुलझे सवालों को जन्म दिया जिनका समाधान आज भी एक चुनौती बना हुआ है।
कार्यक्रम में अपने विचार रखते हुए एम जे एम सी के निदेशक डा0 प्रदीप शर्मा ने आजादी के 75 वर्षों के इतिहास के जश्न में शामिल होते हुए हमें बुनियादी सवालों को भी ध्यान रखने और उनके निरंतर समाधान खोजने की आवश्यकता पर भी विचार करने की आवश्यकता है साथ ही देश की प्रगति एवं राष्ट्र के उत्थान में हर वर्ग समुदाय जाति एवं सामाजिक रुप से आखिरी व्यक्ति तक की महत्वपूर्ण भूमिका होने की बात कही।
वक्ता प्रोफेसर मिर्जा मोहम्मद आबू तैय्यब ने तत्कालीन विभाजन की के कारणों पर प्रकाश डालते हुए बताया कि मूल रूप से विभाजन के लिए उत्तरदाई कारणों में अंग्रेजों की नीतियां प्रमुख थी अंग्रेजों की मंशा भारत को ऐसे हाल में छोड़ जाने की थी जहां से भारत और पाकिस्तान आने वाले 50 वर्षों तक अपने अस्तित्व की लड़ाई में ही उलझे रहें।
विशिष्ट अतिथि के रुप में उपस्थित एन यस यस के कार्यक्रम अधिकारी डा0 वाहीद आलम ने सभी आमंत्रित वक्ताओं अतिथियों का स्वागत करते हुए कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 की मंशा के अनुरूप इस तरह के संयुक्त प्रयासों के माध्यम से चीजों को व्यापक स्तर पर चर्चा और परिचर्चा के माध्यम से अधिक से अधिक लोगों तक लाभ पहुंचाने की महती आवश्यकता है महाविद्यालयों के प्रयास इस कड़ी में एक महत्वपूर्ण आयाम को जोड़ते हैं जो भविष्य के लिए कई तरह की संभावना है और मौके प्रदान करने कि महज मात्र एक शुरुआत है। और बताया अंग्रेजों द्वारा धर्म के आधार पर विभाजन की जो नीति तत्कालीन समय में अपनाई गई थी उन नीतियों को अंग्रेजों के जाने के बाद भी तथाकथित धर्मावलंबियों राजनीतिज्ञों एवं सांप्रदायिकता को बढ़ावा देने वाली ताकतों द्वारा अभी भी अपनाया जा रहा है और अपने निजी स्वार्थ के लिए धर्म समुदाय जातियों के बीच वैमनस्य लगातार बढ़ाए जाने की कोशिश हो रही है विभाजन की वह त्रासदी ऐसी घटनाओं से सचेत रहने की एक प्रमुख चेतावनी के रूप में भारतीय इतिहास में दर्ज है हमें चिंतन मनन की आवश्यकता है।
परिचर्चा के उपरांत स्वतंत्रता संग्राम सेनानी से संबंधित देशभक्ति वृत्तचित्र शिया महाविद्यालय के शिक्षकों तथा कार्मचारीयो व छात्र एवं छात्राओं को दिखाया गया ।
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