अवध गर्ल्स डिग्री कॉलेज में छात्र संगोष्ठी का आयोजन हुआ
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चौरी-चौरा शताब्दी महोत्सव के अवसर पर अवध गर्ल्स डिग्री कॉलेज के हिंदी विभाग, राजनीतिशास्त्र विभाग, मनोविज्ञान विभाग तथा अन्तर्विषयक अनुसंधान केंद्र के संयुक्त तत्वावधान में दिनांक 27 अक्टूबर, 2021 को *"स्वतंत्रता आंदोलन: हिंदी साहित्य, राजनीति एवं मनोविज्ञान के विशेष संदर्भ में" (Freedom Movement: In the Context of Hindi Literature, Politics and Psychology )* विषय पर छात्र-संगोष्ठी का आयोजन किया गया।
संगोष्ठी का शुभारंभ महाविद्यालय प्राचार्या डॉ उपमा चतुर्वेदी के द्वारा दीप प्रज्वलित कर के किया गया। महाविद्यालय प्राचार्या डॉ उपमा चतुर्वेदी जी ने स्वागत भाषण प्रस्तुत करते हुए चौरी-चौरा घटना पर प्रकाश डालते हुए घटना में शहीद हुए स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों के प्रति श्रद्धा सुमन अर्पित किए एवं प्रतियोगी छात्राओं को शुभकामनाएं प्रदान की।
विषय प्रवर्तन करते हुए मनोविज्ञान विभाग की डॉ सुप्रिया चतुर्वेदी जी ने घटना के ऐतिहासिक महत्व का उल्लेख करते हुए इस घटना से भारत की जनता की सामाजिक, सांस्कृतिक एवं मनोवैज्ञानिक परिस्थितियों पर पड़ने वाले प्रभाव की चर्चा की।
ततपश्चात तकनीकी सत्र में तीनों विभागों से कुल 16 छात्राओं ने विषय से सम्बंधित विविध पक्षों पर आधारित अपने-अपने शोध पत्रों का वाचन किया। अनघ मिश्रा, शताक्षी शुक्ला,तान्या केसरवानी, अपूर्वा शुक्ला, मुस्कान आदि छात्राओं ने स्वतंत्रता संग्राम की मनोवैज्ञानिक सन्दर्भों में व्याख्या करते हुए तत्कालीन जनता की मन:स्थिति पर पड़ने वाले प्रभाव पर प्रकाश डाला वही ऋषिका गोस्वामी, वनशिखा भारद्वाज व पूर्णिमा ने स्वतंत्रता संग्राम में महिलाओं की भूमिका को उजागर किया। महक जीवन तथा वैशाली यादव ने आजादी की लड़ाई में पत्रकारिता के योगदान पर प्रकाश डाला तो वहीं कोमल गुप्ता, खुशी सिंह एवं पूजा सैनी ने हिंदी के विकास में महात्मा गांधी जी की योगदान को चिन्हित करते हुए हिंदी साहित्य में गांधीवादी चेतना, स्वतंत्रता आंदोलन की झलक एवं देश-विभाजन की त्रासदी पर प्रकाश डाला।
संगोष्ठी के अंतिम तृतीय सत्र में डॉ प्रीति अवस्थी ने अपने अध्यक्षीय संबोधन में छात्राओं के शोध-पत्रों की समीक्षा करते हुए उनके द्वारा किये प्रयासों की सराहना की। उन्होंने स्वतंत्रता आंदोलन के संदर्भ में हिंदी साहित्य, तत्कालीन राजनीति के बदलते समीकरणों तथा तत्कालीन जनता की मन:स्थिति का विवेचन किया।
ततपश्चात डॉ रेखा गुप्ता के द्वारा धन्यवाद ज्ञापन करने के साथ ही इस संगोष्ठी का समापन हो गया।
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