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मातृभाषा दिवस पर एला फाउंडेशन की काव्यगोष्ठी " मातृभाषा हृदयस्पर्शी " में बही बहु भाषाभाषी काव्यधारा

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मातृभाषा दिवस   21  फरवरी  2021 के शुभ अवसर पर   एक्सप्रेशंस इन लैंग्वेजेज एंड आर्ट्स  फाउंडेशन लखनऊ के तत्वावधान में आयोजित ऑनलाइन  कवि सम्मलेन    "  मातृभाषा हृदयस्पर्शी " में  विभिन्न  भाषा संस्कृति से जुड़े  कवियों ने  अपनी मातृभाषा  में काव्यपाठ किया।  इसमें मराठी कवि एवं समीक्षक प्रो संजय विट्ठल बाविस्कर , उर्दू लेखिका एवं कवियत्री लखनऊ से सुश्री वसफ़िया हसन नक़वी , रूस की  भाषा विद सुश्री एलीना स्टोइकिना, हिंदी के जाने माने कवि एवं समीक्षक ब्रजेश , डॉ
 राम मनोहर लोहिया राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय की शिक्षक , कवि  एवं निबंधकार डॉ   अलका सिंह , लखनऊ से  कवियत्री   श्रुति मिश्रा आदि ने अपनी रचनाएँ साझा की।

डॉ ब्रजेश ने संगोष्ठी की अध्यक्षता की
डॉ अलका सिंह ने समीक्षाक्रम में कहा , " मातृभाषा  में लिखे गौरवशाली इतिहास एवं साहित्य का आमेलन लेखकों  और कवियों के संवाद में  झलकती  और धड़कती ऊर्जा है , उत्साह है और रचना की अनंत गाथा है।  मानवीय मूल्यों और गुणों  के सामाजिक सरोकार को बांधते स्वर शब्द और छंद की अभिव्यक्ति  जीवन का आनंद , ज्ञान विज्ञान और दर्शन है।"
 मगध विश्वविद्यालय बोधगया  से जुड़े    श्रोता  राहुल कुमार  कहते हैं ,  "एला फाउंडेशन लखनऊ के द्वारा आयोजित मातृभाषा हृदयस्पर्शी काव्यगोष्ठी बहुत ही सुंदर और आकर्षक रही ,  रशियन कवियत्री की  हिंदी और रूसी में पढ़ी  गयी  रचना  काफी मार्मिक लगी। " मराठी कवि संजय बाविस्कर कहते हैं ,  साहित्य  जो समाज की दहलीज से आता है और समाज मानव के  समूह  से समूह  मानव से जुडा है तो उनकी संस्कृति , व्यवहार, परंपरा और जीवन की गतिविधियाँ  ही इनका आविष्कार है, साहित्य है।इसी साहित्य का नया रुप है,एला फॉन्डेशन। जो आज देश - विदेश से भाषा एवम् बोलीयाँ की माध्यम ने एक रिश्ता ही बना लिया है, मुझे आशा है की, आज जो अंतर्राष्ट्रीय  मातृभाषा  दिन मनाया गया  इसी अवसर जो देश- विदेश की कवि जनो ने अपनी रचनाएँ पेश की वह रचनाओं का सिंगार भविष्य मे दुनियाँ  का मात्रुभाषाओं का सौंदर्य बनकर रह जायेगा, इसमें यही एला फॉन्डेशन अपनी अहम् भूमिका  निभायेगी ।
 फाउंडेशन के अध्यक्ष प्रो रवीन्द्र प्रताप सिंह ने बताया कि   एक्सप्रेशंस इन लैंग्वेजेज एंड आर्ट्स  फाउंडेशन भाषाओँ के विकास एवं साहित्य संकलन एवं सृजन में निरंतर सक्रिय है , और यह साहित्य कला और संस्कृति के क्षेत्र में नयी प्रतिभाओं एवं स्थापित विद्वानों को एक मंच प्रदान करता है। कार्यक्रम में  शाहजहांपुर से    डॉ अरुण कुमार यादव  ने तथा हैवरा  इटावा से डॉ भास्कराचार्य , गोरखपुर से अंकिता पांडेय , महाराष्ट्र से अंजलि सिंह आदि ने सहभागिता की।

 कार्यक्रम का सञ्चालन सुश्री अनुकृति राज और   समन्वय डॉ वैदूर्य जैन ने   किया । एक्सप्रेशंस इन लैंग्वेजेज एंड आर्ट्स  फाउंडेशन    के  सचिव   डॉ कुलवंत सिंह ने पंजाबी भाषा का तड़का लगाते हुए सभी का धन्यवाद ज्ञापित किया।

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