11 महीनों बाद आंगनबाड़ी केंद्रों पर फिर से शुरू हुआ अन्नप्राशन दिवस का आयोजन
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कोविड प्रोटोकॉल काल का पालन करते छह माह की आयु पूर्ण कर चुके लगभग 4600 बच्चों का करवाया गया अन्नप्राशन
रिपोर्ट सुशील कुमार द्विवेदी गोंडा,
कुपोषण दूर कर समुदाय को सुपोषित बनाने के उद्देश्य से आंगनवाड़ी केन्द्रों पर की जाने वाली सामुदायिक गतिविधियां कोरोना संक्रमण और लॉकडाउन के चलते पूरी तरह से बंद हो गयी थीं । 11 महीनों के लम्बे इंतजार के बाद जिले के आईसीडीएस विभाग ने एक बार फिर उन सभी गतिविधियों का पूर्व की भांति सञ्चालन शुरू कर दिया है । बीते 9 फ़रवरी को मंगलगीतों और पूरे रस्मों-रिवाज़ के साथ गोद भराई दिवस मनाने के बाद 23 फ़रवरी को जिले के 2920 आंगनवाड़ी केन्द्रों पर अन्नप्राशन दिवस मनाया गया । इस दौरान छः माह की आयु पूरी कर चुके बच्चों को कटोरी-चम्मच से खीर खिलाकर उनका अन्नप्राशन कराया गया ।इस दौरान कोविड प्रोटोकॉल का पूर्ण रूप से ध्यान रखा गया।
झंझरी ब्लॉक के आंगनवाड़ी केंद्र छावनी सरकार में डीपीओ मनोज कुमार ने तीन बच्चों भावेश, अयांश और यज्ञ देव को खीर खिलाकर उनका अन्नप्राशन कराया। इस मौके पर उन्होंने बताया कि छह माह तक बच्चे को कोई भी ऊपरी आहार नही देना होता है। यहाँ तक कि पानी, घुट्टी और शहद भी नहीं। बच्चे की उम्र छह माह होने के बाद बच्चे को माँ के दूध के साथ ऊपरी आहार भी देना आवशयक है, जैसे- मसला हुआ केला, दाल, दलिया, हरी पत्तेदार सब्जी, पोषाहार, आलू या उबला हुआ अंडा आदि। लगातार ऊपरी आहार के साथ-साथ दो साल तक बच्चे को स्तनपान कराना ज़रूरी है। उन्होंने कहा कि जिले को कुपोषण मुक्त बनाने हेतु हर स्तर से प्रयास किये जा रहे हैं।
बाल विकास परियोजना अधिकारी (सीडीपीओ) धर्मेन्द्र कुमार गौतम ने कहा कि आंगनबाड़ी केंद्र से इस समय सूखा राशन जैसे- गेहूं, चावल, दाल, घी और दूध वितरित किया जा रहा है ताकि गर्भवती महिलाओं, धात्री माताओं, किशोरियों और बच्चों को कुपोषण व एनीमिया से बचाया जा सके। उन्होंने कहा कि गर्भवस्था के दौरान माँ के शरीर के साथ-साथ उसके गर्भ में पल रहे शिशु का भी विकास माँ के आहार पर निर्भर होता है। ऐसे में हर गर्भवती महिला को प्रसव पूर्व चार जाँच (एएनसी) जरूर कराना चाहिए। इस दौरान किसी प्रकार का मानसिक तनाव नहीं लेना चाहिए तथा अपने दैनिक आहार में हरी पत्तेदार सब्जियां, साग, मौसमी फल, दूध, गुड़-चना, पोषाहार लेना चाहिए ।आयरन-फोलिक एसिड गोली का नियमित सेवन करना चाहिए। इससे माँ और बच्चा दोनों कुपोषित होने से बचे रहते हैं।
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