Breaking News

जानिए, क्यों बढ रहा है भारत नेपाल सीमा विवाद?

HTN Live
आदेश शर्मा 

भारत नेपाल की सीमा पर वने सीमा पिलरो के गायब होने का वासत्विक जिम्मेदार कौन ? 




क्या वास्तव मे  चीन के इशारे पर नेपाल की सरकार  सीमा पिलर गायब करा रही है अथवा सच्चाई कुछ और ही है  ?

कहीं सामान्य लापरवाही ही नहीं  है वास्तविक जिम्मेदार?




भारत नेपाल सीमापर अचानक एक दो नहीं वल्कि सैकडो सीमापिलरो के गायब हो जाने से दोनो देशो के बीच सीमा के कयी स्थानो पर नये नये विवाद जन्म लेने लगे है जिनके चलते दोनो देशो के आपसी संबंधो को व नागरिको के बीच सौहार्दिक माहौल को भी खतरा पैदा हो गया है ।

भारत नेपाल के बीच सत्रह सौ किलोमीटर की खुली सीमा है 

 सन् 1858 के प्रथम स्वाधीनता संग्राम मे नेपाल के गोरखा शासको द्वारा अंग्रेजो की सैनिक मदद के बाद अंग्रेजो द्वारा  तरायी का भूभाग जिसे अब मधेश कहा जाता है इनाम स्वरूप नेपाली साशको के हवाले कर दिया गया था।

जिस पर तत्कालीन ब्रिटिश सरकार व नेपाल सरकार ने    लगभग 2554 सीमापिलरो को स्थापित कर के दोनो देशो के बीच सीमांकंन कर दिया था ।

 उन्नीस सौ सैंतालिस मे भारत की आजादी के बाद आजाद भारत की सरकार व नेपाल सरकार के बीच परस्पर दोस्ताना संबंधो के चलते दोनो ही देशो द्वारा सीमा पर न तो सीमा पिलरों की   देखभाल की कभी आवश्यकता महसूस की गयी न ही उचित देखभाल की गयी जिसके परिणाम स्वरूप डेढ सौ वर्षो के कालांतर मे बडी संख्या मे सीमा पिलर छतिग्रस्त हो कर गायब होते रहे ।
सूत्रो की माने तो
इनमे लगभग 1445 पिलर छतिग्रस्त हो गये जिनमे से अधिकांश पिलरों को दोनो देशो के सहयोग से पुनर्निमाण का कार्य चल रहा है ।

लगभग 2224 पिलर गायब हो गये थे जिनमे से 1800 के लगभग पिलर अथवा पिलरो का स्थान दोनो देशो के राजस्व अधिकारियो के आपसी सहयोग व तालमेल से खोजा जा चुका है ।

शेष गायब सीमा पिलरो की खोज का काम जारी है 


   गायब पिलरो के बारे जानकारी मिल रही है कि ज्यादातर पिलर नदियों के किनारे होने के चलते बाढ कटान की भेट चढ कर नदियों मे समा गये ।
अस्सी के दशक मे कुछ लोभी तांत्रिको द्वारा यह अफवाहे फैलायी गयी कि विभिन्न राज्यों के सिहद्दो सीमा पिलरो की नींव मे स्वर्ण मुद्रायें रखी होती है ।
इन अफवाहो के चलते लालची लोगो ने देश के अंदर पुराने राजाओ के राज्यो के सीमापिलरो को सोने चांदी के सिक्को की तलाश मे उखाड फेंका और लालची लोगो की इस पृवत्ति का शिकार भारत नेपाल सीमा पर स्थापित पिलर भी हो सकते हैं ।
 दो दशक तक लालची लोगो ने सीमापिलरो और देवी देवताओ के तमाम चबूतरो और ऐकांत मे वनी समाधियों तक को गडे खजाने की खोज के नाम पर  निशाना वना कर नष्ट भृष्ट कर डाला था ।

वहीं कुछ पिलरो को भारत व नेपाल के सीमा वर्ती किसानो ने अधिकारिक देखभाल का अभाव व उपेक्छा के चलते व बढते परिवार की जरूरतो को पूरा करने के लिये कृषि योग्य जमीन से धीरे धीरे पिलरो को उखाड कर दूर फेंक देने के बाद अपनी जमीनो के रकवे मे बृद्धि की गयी।   

पर वास्तव मे देखा जाये तो इसके लिये न नेपाल सरकार जिम्मेदार दिखाई पडती है न भारत सरकार 


हां वास्तव मे सीमापिलरो के गायब होने का कोई जिम्मेदार अगर है तो प्रथम तो जिम्मेदार है वह सुरक्छा वल ही है। जिनके कंधो पर देश की सीमाओ की सुरक्छा की जिम्मेदारी है और अपने छेत्र के अंतर्गत आने वाले सीमा पिलरो तक नियमित गश्त व देखभाल की भी जिम्मेदारी है ।

यदि नियमित गश्त व देखभाल होती रहे तो किसी भी सीमा पिलर के साथ छेडछाड या पिलर को गायब करने या गायब हो जाने जैसी समस्या कभी पैदा हो ही नहीं सकती ।

यदि बाढ कटान या दैवीय आपदा के चलते सीमापिलर अगर छतिग्रस्त या बाढ मे वह जायें तो दोनो देशो के अधिकारियों के संज्ञान मे डाल कर विना विवाद दोनो देशो के अधिकारियो द्वारा परस्पर सहमति के बाद पिलर पुन: स्थापित किये जासकते हैं ।

पर देखा जारहा है कि वास्तव मे इस मामले अभी तक घोर लापरवाही वरती जा रही है

अभी हाल जनपद लखीमपुर खीरी के थाना सम्पूर्णा नगर के मिर्चिया बार्डर पर पिलर संख्या के पास नेपाली किसान बहादुर द्वारा न केवल जमीन साफ की गयी वरन नो मैंस लैंड कब्जा करके वाकायदा गन्ने की फसल बोकर खेत तैयार कर लिया गया

अब यह सब चमत्कार कोई एक दिन मे तो नहीं हो गया पर अभी हाल बिहार के सीतामढी से सटे नेपाल बार्डर पर अकारण नेपाल पुलिस द्वारा सत्रह राउंड गोलियां दाग कर एक भारतीय युवक की गोली मार कर हत्या किये जाने और कयी भारतीयो को घायल करने के साथ एक अधेड भारतीय नागरिक का नेपाल पुलिस द्वारा जबरन अपहरन किये जाने के बाद उतपन्न ताजा विवादो के चलते जब सीमा सुरक्छा मे लगे विभागो द्वारा गश्त लगाने के दौरान सीमा पिलर चेक किये गये तब भेद खुला कि वहां तो नेपाली नागरिको द्वारा अबैध कब्जा किया जारहा है ।

   यदि भारतीय सीमा पर सीमा की रक्छा के लिये तैनात सुरक्छा बल यदि अपने कार्य को निष्ठा पूर्वक पालन करते रहते होते तो शायद यह नौबत ही नही आती ।

फिलहाल इस ताजा मामले को लेकर कल लखीमपुर के जिलाधिकारी व एसपी ने गौरीफंटा वार्डर पर बैठक कर नेपाल के समकक्छ अधिकारियो को वस्तुस्थिति से अवगत करा दिया है ।

वहीं भारत सरकार के उच्चाधिकारियों को भी अवगत कराया जा चुका है ।

बताते चलें   दोनो देशो के बीच हजारो वर्षो वल्कि पौराणिक काल से ही रोटी, बेटी ,रोजगार, के अतिरिक्त धार्मिक व अध्यात्मिक संबंध कुछ इस प्रकार के वने हुये हैं जिन्हें नकार पाना दोनो देशो के नागरिको व सरकारो को लगभग असम्भव ही है ।

सनातन धर्म के पौराणिक ग्रंथो की वास्तविक विषय वस्तु का आधार केंद्र दोनो देशो के बीच ही स्थापित है ।

जहां सनातन धर्म के प्रणेता  आशुतोष भगवान शिव का निवास स्थान नेपाल के सगरमाथा स्थित कैलाश पर्वत पर है ।

वहीं पौपाणिक सनातन हिंदू धर्म गृंथ रामायण के प्रमुख पात्र सनातन हिंदुओ के आराध्य  कोशलाधीश भगवान राम की पत्नी सीता जी का मायका नेपाल अधिराज्य के जनक पुर मे ही है ।

विश्व मे शांति की विचारधारा के प्रणेता गौतम बुद्ध की जन्म स्थली अगर नेपाल के कपिल वस्तु मे है तो ज्ञानस्थली, कार्यस्थली भारत के बौद्ध गया, सारनाथ, पाटलिपुत्र,श्रावस्ती आदि भारत मे ही है ।

नेपाल मे 1 जून 2001 की मध्य रात्रि को कुछ अज्ञात हमलावरो द्वारा नेपाल के तत्कालीन महाराजा व विश्व के एक मात्र हिंदू सम्राट राजाधिराज महाराज वीरेंद्र बीर विक्रम शाहदेव की सम्पूर्ण परिवार सहित नृशंश हत्या की खबर मिलते ही न केवल नेपाल मे शोक की लहर व्याप्त हो गयी थी वरन भारत के सनातन धर्मी वृहद हिंदू समाज भी शोकाकुल हो कर रह गया था ।

  इस घटना के बाद नेपाल मे तेजी से बदलते घटनाक्रमो के चलते जिनमे नेपाल मे विगत आठ सौ वर्षो पूर्व से चली आरही  राजशाही का अंत नेपाल मे चीन समर्थित माओवादी बिचारधारा की एक बडे सशष्त्र संघर्ष के बाद जीत के चलते साम्यवादी विचारधारा आधारित लोक तंत्र की स्थापना के बाद अब विगत तीन चार वर्षो से नेपाल की राजनीति मे लगातार होरहा उठापटक के बाद साम्यवादी ड्रेगन चीन की विस्तारवादी कुटिल नीति विकास के नाम पर कर्जा दो

फिर उस देश को कर्जे मे दी गयी रकम को समझौते के तहत संपन्न किये जाने वाले सडक, पुल,इंफ्रास्टेक्चर, भवन आदि के निर्माण के ठेके चीनी कंपनियो को ही देने की बाध्यता के बहाने दिये गये कर्जे की बडी रकम लेवरी, महंगे दरों पर चीनी सामानो की आपूर्ति, लाभांश  के बहाने पुन: चीन मे ही वापस लिये जाने और संबंधित देश पर चीनी कर्जे के तले दवाकर धीरे धीरे वहां की राजनीति मे दखल देते हुये उस देश की अर्थ व्यवस्था पंगू कर देता है ।
पडोसी देश पाकिस्तान इसका प्रतय्क्छ उदाहरण है जहां सीपैक के नाम पर कर्जा देकर आज चीन ने पाकिस्तानी सरकार और नागरिको को बंधुआ मजदूर वनाकर बलूचिस्तान की वेश कीमती सोने की खानो पर चीनी कब्जा कर लिया है
वहीं आम पाकिस्तानी नागरिक कर्जो के बोझ के चलते चीनी कुटिल नींतियो का शिकार वन कर डेढ सौ रुपये किलो आटा चीनी खरीद कर अपना व अपने बच्चो का महज आधा पेट भर ही पालने को मजबूर है ।
कोरोना की वैश्विक महामारी के दौर मे पाकिस्तान की सरकार अपने नागरिको का जीवन वचाने के लिये न तो लाकडाउन ही करवा पारही है न कोरोना से मरते अपने नागरिकों को उचित इलाज उपलव्ध करा पारही है न सस्ती दवायें है वहां न सस्ता राशन ।

कर्ज के जाल मे फंसा कर  चीनी साम्यवादी विचारधारा का प्रचार प्रसार करते हुये वहां कठपुतली सरकारो के माध्यम से चीनी उपनिवेश की स्थापना करने वाले चीन की कुटिल दृष्टि अब नेपाल पर पड गयी है

  चीन के द्वारा नेपाल के वर्तमान शाशको को नेपाल मे विकास हेतु बडी मात्रा मे धन कर्जे के रूप मे देकर नेपाल की कम्यूनिष्ट सरकार के कंधे पर रख कर नया नक्शा जारी करा कर एक नये सीमा विवाद को पैदा कराकर नेपाल की जनता को भडका कर भारत के खिलाफ करने का षडयंत्र रचा जा रहा है

जिससे दोनो ही देशो के नागरिको व शासको को सावधान रहने  व जारी सीमा विवाद को आपसी बातचीत के द्वारा सबूतो के आधार पर समाप्त किये जाने की आवश्यकता है 

No comments