जंगली हाथियों के बड़े झुंड ने शारदा नदी पार कर मैलानी के जंगलों में किया प्रवेश
HTN Live
टाइगर ,तेंदुओं के बाद अब जंगली हाथियों की चहल कदमी से इलाके में दहशत का माहौल
आदेश शर्मा जिला ब्यूरो जनपद लखीमपुर खीरी
भारत नेपाल सीमा से सटे जनपद लखीमपुर खीरी के दुधवा नेशनल पार्क के अंदर का हराभरा शांत जंगल व पानी के स्रोतों के नजदीक बसेरा बनाकर रहने वाले नेपाल के जंगली हाथियों को अब पार्क से बाहर गन्ने व धान के खेतों की मिठास के चलते लखीमपुर खीरी इतना रास आने लगा है कि अब इन नेपाली हाथियों ने यही पर अपना डेरा बना लिया है
अब तक इन नेपाली हाथियों का झुंड दुधवा नेशनल पार्क व उत्तर खीरी वन प्रभाग के निघासन, मझगई व बेलरायां ,पलिया ,संपूर्णा नगर आदि क्षेत्रों में बराबर आताजाता रहता है और इनके झुंडो की बराबर लोकेशन वन कर्मियों द्वारा ट्रेश किए जाने के साथ ही जंगल किनारे के गावों में अघोषित अलर्ट किया जाता रहा है पर इस वर्ष इन जंगली हाथियों ने भी मानो अपना इलाका बढ़ाना प्रारम्भ कर दिया है
इसी क्रम में विगत चार पांच दिन पूर्व ऐक 32 हाथियों के बड़े दल ने शारदा नदी पर कर दक्षिण खीरी वन प्रभाग के मैलानी रेंज में प्रवेश कर हंसपुर, सुआबोज, खारेटा, चाचा पुर, काकोरी ,आदि ग्रामों में तहलका मचा दिया है सैकड़ों एकड़ धान ,गन्ने की फसल को इन नेपाली हाथियों ने बुरी तरह से नष्ट कर दिया है
इसी वर्ष निघासन के पास इन हाथियों के हमले कई ग्रामीणों के मारे जाने के बाद उत्तर खीरी वन प्रभाग के डीएफओ डा अनिल पटेल द्वारा इन नेपाली हाथियों के उत्पात से इंसानों को बचाने हेतु छत्तिस गढ़ गजराज परियोजना के हाथी विशेषज्ञ डा आदित्य को आमन्त्रित कर उत्तर खीरी वन प्रभाग के नेपाली जंगली हाथी कारीडोर से सटे नागरिक इलाकों में कुछ स्थानों पर वाकायदा आम ग्रामीणों के समक्ष हाथियों से बचाव की कार्यशाला व प्रशिक्षण दिलाया गया था एवम् ग्रामीणों को जंगली हाथियों से बचाव के तरीके बताए गए थे जिसके परिणाम भी सार्थक निकल रहे है
परन्तु दक्षिण खीरी वन प्रभाग में अब तक हाथियों की नई मुसीबत से बचाव के लिए
कोई ज़रूरत ही नहीं पड़ने से आज तक कोई ऐसी प्रशिक्षण की कार्यशाला संपन्न ही नहीं की गई
सच बात यह भी है कि नेपाली हाथियों के इतने बड़े दल ने लगभग ऐक शतक बाद शारदा नदी पार कर इस इलाके में प्रवेश किया है
बताया जा रहा है कि लगभग सौ वर्षों बाद नेपाली जंगली हाथियों के किसी बड़े समूह ने इस तरह शारदा नदी पार कर मैलानी क्षेत्र में प्रवेश किया है
जंगली हाथियों के इस बड़े समूह के चलते लगता है कि मैलानी रेंज के माहुरेना बीट के जंगल में रहने वाले टाइगर भी डर कर जंगल से बाहर खेतों फार्मों में रहने के लिए मजबुर हो गए है
आज सुबह गोला खुटार मार्ग पर स्थित ग्राम छ त्ति पुर में गांव से दूर खेतों में ही झाला बनाकर रह रहे सिख फार्म सुख विदर सिंह के झाले के बाहर युवा टाइगर द्वारा भ्रमण करने के निशान देखे जाने का पता चलने के बाद इलाके में दहशत का माहौल वन गया है
यहां पर टाइगर के पंजे के निशान झाले के नजदीक ही पाए गए है
आज इन जंगली हाथियों के ग्रुप ने काकोरी ग्राम सभा में कई खेतों में धान और गन्ने की खेती बिल्कुल वर्वाद कर दी है
इसके बाद हाथियों का यह ग्रुप महुरेन बीट से लगी शारदा नहर को पार कर जटपुरा बीट के कम्पार्टमेन्ट पांच की तरफ निकल गया
हाथियों द्वारा जटपुरा बीट में प्रवेश की सूचना पाकर रेंजर मैलानी के निर्देशन में कई वन कर्मियों ने जंगल में कांबिंग की
इन हाथियों के जटपुरा बीट में प्रवेश करने की सूचना मिलते ही इस बीट से सटे ग्राम पुरन पुर, सुनहरा भुड, पहाड़ नगर,जटपुरा, आदि में रहने वाले ग्रामीण सदमे में आगए है
ग्रामीणों को अपनी धान और गन्ने की फसलों की सुरक्षा को लेकर चिंता सताने लगी है
टाइगर ,तेंदुओं के बाद अब जंगली हाथियों की चहल कदमी से इलाके में दहशत का माहौल
आदेश शर्मा जिला ब्यूरो जनपद लखीमपुर खीरी
भारत नेपाल सीमा से सटे जनपद लखीमपुर खीरी के दुधवा नेशनल पार्क के अंदर का हराभरा शांत जंगल व पानी के स्रोतों के नजदीक बसेरा बनाकर रहने वाले नेपाल के जंगली हाथियों को अब पार्क से बाहर गन्ने व धान के खेतों की मिठास के चलते लखीमपुर खीरी इतना रास आने लगा है कि अब इन नेपाली हाथियों ने यही पर अपना डेरा बना लिया है
अब तक इन नेपाली हाथियों का झुंड दुधवा नेशनल पार्क व उत्तर खीरी वन प्रभाग के निघासन, मझगई व बेलरायां ,पलिया ,संपूर्णा नगर आदि क्षेत्रों में बराबर आताजाता रहता है और इनके झुंडो की बराबर लोकेशन वन कर्मियों द्वारा ट्रेश किए जाने के साथ ही जंगल किनारे के गावों में अघोषित अलर्ट किया जाता रहा है पर इस वर्ष इन जंगली हाथियों ने भी मानो अपना इलाका बढ़ाना प्रारम्भ कर दिया है
इसी क्रम में विगत चार पांच दिन पूर्व ऐक 32 हाथियों के बड़े दल ने शारदा नदी पर कर दक्षिण खीरी वन प्रभाग के मैलानी रेंज में प्रवेश कर हंसपुर, सुआबोज, खारेटा, चाचा पुर, काकोरी ,आदि ग्रामों में तहलका मचा दिया है सैकड़ों एकड़ धान ,गन्ने की फसल को इन नेपाली हाथियों ने बुरी तरह से नष्ट कर दिया है
इसी वर्ष निघासन के पास इन हाथियों के हमले कई ग्रामीणों के मारे जाने के बाद उत्तर खीरी वन प्रभाग के डीएफओ डा अनिल पटेल द्वारा इन नेपाली हाथियों के उत्पात से इंसानों को बचाने हेतु छत्तिस गढ़ गजराज परियोजना के हाथी विशेषज्ञ डा आदित्य को आमन्त्रित कर उत्तर खीरी वन प्रभाग के नेपाली जंगली हाथी कारीडोर से सटे नागरिक इलाकों में कुछ स्थानों पर वाकायदा आम ग्रामीणों के समक्ष हाथियों से बचाव की कार्यशाला व प्रशिक्षण दिलाया गया था एवम् ग्रामीणों को जंगली हाथियों से बचाव के तरीके बताए गए थे जिसके परिणाम भी सार्थक निकल रहे है
परन्तु दक्षिण खीरी वन प्रभाग में अब तक हाथियों की नई मुसीबत से बचाव के लिए
कोई ज़रूरत ही नहीं पड़ने से आज तक कोई ऐसी प्रशिक्षण की कार्यशाला संपन्न ही नहीं की गई
सच बात यह भी है कि नेपाली हाथियों के इतने बड़े दल ने लगभग ऐक शतक बाद शारदा नदी पार कर इस इलाके में प्रवेश किया है
बताया जा रहा है कि लगभग सौ वर्षों बाद नेपाली जंगली हाथियों के किसी बड़े समूह ने इस तरह शारदा नदी पार कर मैलानी क्षेत्र में प्रवेश किया है
जंगली हाथियों के इस बड़े समूह के चलते लगता है कि मैलानी रेंज के माहुरेना बीट के जंगल में रहने वाले टाइगर भी डर कर जंगल से बाहर खेतों फार्मों में रहने के लिए मजबुर हो गए है
आज सुबह गोला खुटार मार्ग पर स्थित ग्राम छ त्ति पुर में गांव से दूर खेतों में ही झाला बनाकर रह रहे सिख फार्म सुख विदर सिंह के झाले के बाहर युवा टाइगर द्वारा भ्रमण करने के निशान देखे जाने का पता चलने के बाद इलाके में दहशत का माहौल वन गया है
यहां पर टाइगर के पंजे के निशान झाले के नजदीक ही पाए गए है
आज इन जंगली हाथियों के ग्रुप ने काकोरी ग्राम सभा में कई खेतों में धान और गन्ने की खेती बिल्कुल वर्वाद कर दी है
इसके बाद हाथियों का यह ग्रुप महुरेन बीट से लगी शारदा नहर को पार कर जटपुरा बीट के कम्पार्टमेन्ट पांच की तरफ निकल गया
हाथियों द्वारा जटपुरा बीट में प्रवेश की सूचना पाकर रेंजर मैलानी के निर्देशन में कई वन कर्मियों ने जंगल में कांबिंग की
इन हाथियों के जटपुरा बीट में प्रवेश करने की सूचना मिलते ही इस बीट से सटे ग्राम पुरन पुर, सुनहरा भुड, पहाड़ नगर,जटपुरा, आदि में रहने वाले ग्रामीण सदमे में आगए है
ग्रामीणों को अपनी धान और गन्ने की फसलों की सुरक्षा को लेकर चिंता सताने लगी है
No comments