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अंधे की चौकी का नाम बदलने पर दृस्टिबाधितों ने दिया महापौर को धन्यवाद। दिव्यांगजनो में होती है दिव्य शक्ति : महापौर

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आज दिनाँक 15/09/2019 को लखनऊ की महापौर श्रीमती संयुक्ता भाटिया ने डॉ शकुंतला मिश्रा राष्ट्रीय पुनर्वास विश्वविद्यालय के प्रांगण में आयोजित राष्ट्रीय दृस्टिबाधित संस्था एवं राष्ट्रीय दृष्टिहीन परिसंघ नई दिल्ली के संयुक्त तत्वाधान में आयोजित दृस्टिबाधित छात्राओं की उच्च शिक्षा पर आधारित द्विदिवसीय विचार गोष्ठी के समापन अवसर पर मुख्य अतिथि के रूप में दृस्टिबाधित छात्राओं की मार्गदर्शन दिया ।

इस अवसर पर महापौर श्रीमती संयुक्ता भाटिया का स्वागत पुष्पगुच्छ देकर संस्था के महासचिव एस०के० सिंह  (दृस्टिबाधित) ने एवं डीआरडीओ में कार्यरत गोरी सेन (दृस्टिबाधित) ने अंगवस्त्र पहना कर किया।

इस मौके पर संस्था ने दुबग्गा स्थित *अंधे की चौकी* का नाम बदलकर दृस्टिबाधित समाज सेवी   बृजानंद चौकी किये जाने पर महापौर का आभार जताकर उनको धन्यवाद दिया।
संस्था के महासचिव एस०के० सिंह ने कहा कि अंधे की चौकी एक तरह से हम दृस्टिबाधितो के लिए गाली के समान था, जिस कलंक को आपने मिटा कर हमें लखनऊ में सम्मान से जीने का अधिकार प्रदान किया हैं । उन्होंने महापौर को दृस्टिबाधितो के हित में नगर निगम के माध्यम से किये जाने हेतु 10 सूत्रीय मांगों का ज्ञापन भी सौंपा।

इस अवसर पर महापौर ने कहा कि दिल्ली विश्वविद्यालय में सहायक प्रोफेसर श्रीमती मंजुला रथ ने महापौर को बताया कि दृस्टिबाधितो को चलने मैब आसानी हो इसके लिए साइन बोर्ड लगा दिए जाएं ।

इस अवसर पर महापौर श्रीमती संयुक्ता भाटिया ने कहा कि पूर्व में जैसी ही उन्हे पता चला कि *अंधे की चौकी* और *लंगड़ा फाटक* नाम की जगह भी कोई लखनऊ में है, तुरंत ही मैने ऐसे नामो से निजात दिलाने के लिए संकल्प किया था और कार्यकारिणी आते ही इसे बदल दिया गया। इसके अतरिक्त बाहर से आने वाले हमारे दिव्यांग साथियों को विश्वविद्यालय तक पहुँचने के लिए परेशानी का सामना करना पड़ता था । उसके लिए 2 स्थानों में साइनबोर्ड लगवा दिए गए है, अन्य स्थानों पर भी जल्दी ही लगवा दिए जाएंगे। ब्रेल लिपि के जनक लुईस  ब्रेल की मूर्ति भी जल्दी ही लगवाई जाएगी। आगे महापौर ने कहा कि मा० प्रधानमंत्री आदरणीय नरेंद्र मोदीजी ने आपकी दिव्य शक्ति को पहचान कर ही आपको दिव्यांग कहा था। महापौर ने कहा कि वह और नगर निगम पूरी तरह से उनके साथ है।   दिव्यांगजनो के लिए मेरे घर के दरवाजे 24 घण्टे खुले हैं।

इस मौके पर श्रीमती संयुक्ता भाटिया संग दिल्ली विश्वविद्यालय में सहायक प्रोफेसर  श्रीमती मंजुला रथ(दृस्टिबाधित), डीआरडीओ में कार्यरत गोरी सेन (दृस्टिबाधित), संस्था के महासचिव एस०के० सिंह  (दृस्टिबाधित), वासुदेव गिरी (दृस्टिबाधित) सहित दृस्टिबाधित छात्राएं उपस्थित रही।

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