अयोध्या मामले की सुनवाई सातवें दिन सुनवाई पूरी, अगली सुनवाई सोमवार को
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रामलला की ओर से पेश सीनियर एडवोकेट एस वैद्यनाथन ने विवादित ज़मीन के नक्शे और फोटोग्राफ कोर्ट को दिखाए, कहा कि खुदाई के दौरान मिले खम्भों में श्री कृष्ण, शिव तांडव और श्री राम के बाल रूप की तस्वीर नज़र आती है।
सीएस वैद्यनाथन ने कहा कि जहां तीन गुम्बद बनाए गए थे, वहां बाल रूप में राम की मूर्ति थी।
सीएस वैद्यनाथन ने कहा कि सिर्फ नमाज़ पढ़ने से वह जगह उनकी नहीं हो सकती जब तक वह आपकी सम्पति न हो
वैद्यनाथन- विवादित जगह पर भले ही अपने कब्ज़े को सही ठहराने के लिए इसे कभी मस्ज़िद के तौर पर इस्तेमाल किया गया हो,पर शरीयत कानून के लिहाज से ये कभी वैध मस्ज़िद नहीं रही। वहाँ मिले स्तम्भों पर मिली तस्वीरे इस्लामिक आस्था और विश्वास के अनुरूप नहीं है
सीएस वैद्यनाथन ने कहा कि मस्जिद में मानवीय या जीव जंतुओं की मूर्तियां नहीं हो सकती हैं, मस्जिदें सामूहिक साप्ताहिक और दैनिक प्रार्थना के लिए होती हैं।
सुन्नी वक्फ बोर्ड के वकील राजीव धवन ने इस पर आपत्ति करते हुए कहा कि कहीं पर भी नमाज़ अदा करने की बात गलत है, यह इस्लाम की सही व्याख्या नहीं है।
सीएस वैद्यनाथन ने कहा कमिश्नर की रिपोर्ट में खंबों पर राम जन्मभूमि यात्रा लिखा है।
रामलला के वकील- मस्ज़िद किसी खाली पड़ी ज़मीन पर नहीं बनाई गई थी, वहां 200 ईसा पूर्व एक विशालकाय निर्माण था
जस्टिस बोबड़े - ये कैसे साबित होगा कि ये निर्माण धार्मिक था।
वकील- खुदाई के दौरान मिले सबूतों से साफ है कि ये विशालकाय निर्माण श्रीराम जन्मस्थान पर भव्य मंदिर था
जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ - विवादित जगह पर एक कब्र भी पाई गई थी। इसको कैसे देखा जाये।
रामलला के वकील सी एस वैद्यनाथन का जवाब- वो कब्र बहुत बाद के(मंदिर के समय से) वक्त की है
सीएस वैद्यनाथन ने कहा कि ASI की रिपोर्ट से साफ है की मस्जिद किसी खाली पड़ी ज़मीन या एग्रीकल्चर ज़मीन पर नही बनी, मस्जिद एक बहुत बड़े ढांचे के ऊपर बनी है।
सुप्रीम कोर्ट ने रामलला के वकील से कहा कि वह साबित करें कि बाबरी मस्ज़िद मंदिर या किसी धार्मिक ईमारत की ऊपर बनी है
रामलला की ओर से पेश सीनियर एडवोकेट एस वैद्यनाथन ने विवादित ज़मीन के नक्शे और फोटोग्राफ कोर्ट को दिखाए, कहा कि खुदाई के दौरान मिले खम्भों में श्री कृष्ण, शिव तांडव और श्री राम के बाल रूप की तस्वीर नज़र आती है।
सीएस वैद्यनाथन ने कहा कि जहां तीन गुम्बद बनाए गए थे, वहां बाल रूप में राम की मूर्ति थी।
सीएस वैद्यनाथन ने कहा कि सिर्फ नमाज़ पढ़ने से वह जगह उनकी नहीं हो सकती जब तक वह आपकी सम्पति न हो
वैद्यनाथन- विवादित जगह पर भले ही अपने कब्ज़े को सही ठहराने के लिए इसे कभी मस्ज़िद के तौर पर इस्तेमाल किया गया हो,पर शरीयत कानून के लिहाज से ये कभी वैध मस्ज़िद नहीं रही। वहाँ मिले स्तम्भों पर मिली तस्वीरे इस्लामिक आस्था और विश्वास के अनुरूप नहीं है
सीएस वैद्यनाथन ने कहा कि मस्जिद में मानवीय या जीव जंतुओं की मूर्तियां नहीं हो सकती हैं, मस्जिदें सामूहिक साप्ताहिक और दैनिक प्रार्थना के लिए होती हैं।
सुन्नी वक्फ बोर्ड के वकील राजीव धवन ने इस पर आपत्ति करते हुए कहा कि कहीं पर भी नमाज़ अदा करने की बात गलत है, यह इस्लाम की सही व्याख्या नहीं है।
सीएस वैद्यनाथन ने कहा कमिश्नर की रिपोर्ट में खंबों पर राम जन्मभूमि यात्रा लिखा है।
रामलला के वकील- मस्ज़िद किसी खाली पड़ी ज़मीन पर नहीं बनाई गई थी, वहां 200 ईसा पूर्व एक विशालकाय निर्माण था
जस्टिस बोबड़े - ये कैसे साबित होगा कि ये निर्माण धार्मिक था।
वकील- खुदाई के दौरान मिले सबूतों से साफ है कि ये विशालकाय निर्माण श्रीराम जन्मस्थान पर भव्य मंदिर था
जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ - विवादित जगह पर एक कब्र भी पाई गई थी। इसको कैसे देखा जाये।
रामलला के वकील सी एस वैद्यनाथन का जवाब- वो कब्र बहुत बाद के(मंदिर के समय से) वक्त की है
सीएस वैद्यनाथन ने कहा कि ASI की रिपोर्ट से साफ है की मस्जिद किसी खाली पड़ी ज़मीन या एग्रीकल्चर ज़मीन पर नही बनी, मस्जिद एक बहुत बड़े ढांचे के ऊपर बनी है।
सुप्रीम कोर्ट ने रामलला के वकील से कहा कि वह साबित करें कि बाबरी मस्ज़िद मंदिर या किसी धार्मिक ईमारत की ऊपर बनी है
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