सैनिकों के शौर्य और पराक्रम से ही देश सुरक्षित शहीद मेजर अंशु सक्सेना के बलिदान दिवस पर ‘शहीद स्मृति सभा’ का आयोजन
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मुरलीनगर पार्क में हुआ आयोजन, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के पदाधिकारी भी पहुंचे
संज्ञा शर्मा ब्यूरो प्रमुख लखनऊ
सैनिकों के शौर्य और पराक्रम से ही देश सुरक्षित रहता है। समाज-राष्ट्र का कार्य करने के लिए प्रबल इच्छा शक्ति की जरूरत होती हैं और इच्छा शक्ति शहीदों के पुण्य स्मरण से ही आती है। यह बातें शहीद मेजर अंशु सक्सेना के बलिदान दिवस पर मुरलीगनर में आयोजित ‘शहीद स्मृति सभा’ में कमल ज्योति के प्रबंध संपादक राजकुमार ने कहीं। उन्होनें आगे कहा कि राष्ट्ररक्षा में तत्परता सभी का राष्ट्रीय कर्तव्य हैं। हर व्यक्ति को अपनी सोंच बदलानी होगी।
आयोजन कर्तव्या फाउण्डेशन की ओर से आयोजित किया गया। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के पदाधिकारी पवन पुत्र बादल ने कहा कि युवा ही राष्ट्र की रीढ़ है। युवाओं में राष्ट्रभक्ति जागृत कर राष्ट्र को ऊर्जावान बनाया जा सकता है। भाजपा नेता विंध्यवासिनी कुमार ने कहा कि शहीद मेजर अंशु सक्सेना से प्रेरणा लेकर हम सभी को अपने कार्य क्षेत्र में प्रमाणिकता और पारदर्शिता अपनानी चाहिए यही सच्ची श्रद्धांजलि होगी। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के संघचालक सुभाष चन्द्र अग्रवाल ने युवा पीढ़ी को देश की आशाओं का केन्द्र-बिन्दु बताते हुए कहा कि हमें शहीद मंजर अंशु सक्सेना से प्रेरणा लेकर अपने कार्य क्षेत्र में प्रमाणिकता से कार्य करते हुए समाज के लिए जीना चाहिए। स्मृति सभा में प्रमुख रूप से रामहौसला सिंह, कृष्ण मोहन, राजनरायन जायसवाल, राव नरेंद्र सिंह, अमित चौधरी, रोहित सैनी, राधेश्याम शर्मा सहित स्थानीय लोगों ने श्रद्धांजली अर्पित की।
जरा याद करो बलिदान
शहीद मेजर अंशू संक्सेना का जन्म 6 सितम्बर 1965 को मुरलीनगर में हुआ। लखनऊ विश्वविद्यालय से उन्होंने एमए केया। आईबी के बाद सीडीएस की परीक्षा में भी चयनित हुए। भारतीय सेना में भर्ती का निर्णय लिया। मद्रास स्थित ओटीएस में प्रशिक्षण प्राप्त किया। 1991 में उन्हें कमीशन मिला। सेकण्ड लेफ्टिनेंट, कैप्टन और मेजर जैसे महत्वपूर्ण पदों पर रहकर देश की सेवा की। मेजर सक्सेना को पैदल सेना इन्फैंट्री की शाखा मिली और आठ सिक्ख रेजीमेंट में कार्य करने का अवसर मिला। 36 वर्षीय मेजर अंशू सक्सेना करगिल युद्ध में टाइगर हिल पर उग्रवादियों से मुतभेड़ में 22 जून 2001 को शहीद हुए।
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