सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र बीकापुर... यहां इलाज नहीं बस रेफर किए जाते हैं मरीज
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बीकापुर_अयोध्या प्रथम संदर्भन इकाई का दर्जा प्राप्त सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में चिकित्सा सेवाओं का हाल बदहाल है।
सीएचसी पूरी तरह रेफरल यूनिट बनकर रह गई है। इमरजेंसी में आने वाले अधिकांश मरीजों को जिला अस्पताल रेफर कर दिया जाता है। चिकित्सकों की कमी से अस्पताल बरसों से जूझ रहा है।
शुक्रवार सुबह नौ बजे तक अस्पताल के ओपीडी में चिकित्सक न होने से तमाम मरीज चिकित्सक के इंतजार में ओपीडी हाल में बैठे रहे। करीब साढ़े नौ बजे पहुंचे डॉ. दीपक सिंह और डॉ. सतीश चंद्रा ने मरीजों को परीक्षण शुरू किया।
दवा वितरण और रजिस्ट्रेशन काउंटर सुबह 8.30 बजे खुला मिला। चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी फूलचंद पांडेय बैठे थे। पैथोलॉजी कक्ष खुला मिला। लैब टेक्नीशियन अनिल कुमार और जयराम त्रिपाठी मौजूद मिले। एक्सरे रूम में टेक्निशियन रामसूरत और डार्क रूम सहायक गुलाब यादव मौजूद मिले। भर्ती वार्ड का कमरा खुला था, लेकिन कोई मरीज भर्ती नहीं था। अस्पताल में सर्जन, महिला चिकित्सक, फिजीशियन, बाल रोग सहित विशेषज्ञों के सात पद सृजित हैं, लेकिन तैनाती एक की भी नहीं है। अधीक्षक डॉ. वेदप्रकाश, डॉ. दीपक सिंह, डॉ. सतीश चंद्रा ही तैनात हैं। इन्हीं पर इमरजेंसी और ओपीडी दोनों की जिम्मेदारी रहती है।
इमरजेंसी के लिए सप्ताह में दो दिन सोमवार और शुक्रवार को प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र चौरेबाजार और प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र कोछाबाजार में तैनात आयुर्वेदिक चिकित्सा अधिकारी डॉ. रामनाथ और डॉ. आरसी दुबे को बुलाया जाता है।
स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ. प्रभा सिंह दो माह पूर्व यहां से चली गई है। पेयजल के लिए समुचित व्यवस्था अस्पताल में नहीं है।
अधीक्षक डॉ. वेदप्रकाश से उनके मोबाइल फोन पर संपर्क किया गया तो संपर्क नहीं हो सका। बताया गया कि वे अवकाश पर हैं।
बाहर से खरीदनी पड़ी रहीं दवाएं
-गर्मी के मौसम में उल्टी-दस्त, जुकाम-बुखार सहित मौसमी बीमारियों से पीड़ित मरीजों की संख्या में इजाफा हुआ है, लेकिन अस्पताल में दवाइयां पर्याप्त मात्रा में नहीं हैं, जिसके चलते लोगों को बाहर से दवा खरीदनी पड़ती है। ग्लूकोज की बोतल तक लोगों को नसीब नहीं हो पाती हैं।
अस्पताल में कचरा एवं गंदगी
-मेडिकल वेस्ट कचरे के निस्तारण का सटीक उपाय नहीं किया जाता है। दवा की खाली शीशियां, डिस्पोजल सिरिज, प्रसूता वार्ड से निकलने वाला कचरा दीवारों के किनारे फेंक दिया जाता है। सामान्य सफाई भी सवालों के घेरे में है
छलका मरीजों का दर्द
-शुक्रवार सुबह अस्पताल में दवा कराने आए जलालपुरमाफी निवासी प्रदीप पांडेय, सरायभनोली के बुजुर्ग लल्लन पांडेय, असकरनपुर निवासी बाबूलाल तिवारी के अलावा नवीन कुमार, कुलदीप, विपिन, अर्जुन, शशिदेवी, बबीता मिश्रा आदि को काफी देर इंतजार करना पड़ा तो उनका दर्द व्यवस्था के खिलाफ छलक पड़ा।
बीकापुर_अयोध्या प्रथम संदर्भन इकाई का दर्जा प्राप्त सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में चिकित्सा सेवाओं का हाल बदहाल है।
सीएचसी पूरी तरह रेफरल यूनिट बनकर रह गई है। इमरजेंसी में आने वाले अधिकांश मरीजों को जिला अस्पताल रेफर कर दिया जाता है। चिकित्सकों की कमी से अस्पताल बरसों से जूझ रहा है।
शुक्रवार सुबह नौ बजे तक अस्पताल के ओपीडी में चिकित्सक न होने से तमाम मरीज चिकित्सक के इंतजार में ओपीडी हाल में बैठे रहे। करीब साढ़े नौ बजे पहुंचे डॉ. दीपक सिंह और डॉ. सतीश चंद्रा ने मरीजों को परीक्षण शुरू किया।
दवा वितरण और रजिस्ट्रेशन काउंटर सुबह 8.30 बजे खुला मिला। चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी फूलचंद पांडेय बैठे थे। पैथोलॉजी कक्ष खुला मिला। लैब टेक्नीशियन अनिल कुमार और जयराम त्रिपाठी मौजूद मिले। एक्सरे रूम में टेक्निशियन रामसूरत और डार्क रूम सहायक गुलाब यादव मौजूद मिले। भर्ती वार्ड का कमरा खुला था, लेकिन कोई मरीज भर्ती नहीं था। अस्पताल में सर्जन, महिला चिकित्सक, फिजीशियन, बाल रोग सहित विशेषज्ञों के सात पद सृजित हैं, लेकिन तैनाती एक की भी नहीं है। अधीक्षक डॉ. वेदप्रकाश, डॉ. दीपक सिंह, डॉ. सतीश चंद्रा ही तैनात हैं। इन्हीं पर इमरजेंसी और ओपीडी दोनों की जिम्मेदारी रहती है।
इमरजेंसी के लिए सप्ताह में दो दिन सोमवार और शुक्रवार को प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र चौरेबाजार और प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र कोछाबाजार में तैनात आयुर्वेदिक चिकित्सा अधिकारी डॉ. रामनाथ और डॉ. आरसी दुबे को बुलाया जाता है।
स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ. प्रभा सिंह दो माह पूर्व यहां से चली गई है। पेयजल के लिए समुचित व्यवस्था अस्पताल में नहीं है।
अधीक्षक डॉ. वेदप्रकाश से उनके मोबाइल फोन पर संपर्क किया गया तो संपर्क नहीं हो सका। बताया गया कि वे अवकाश पर हैं।
बाहर से खरीदनी पड़ी रहीं दवाएं
-गर्मी के मौसम में उल्टी-दस्त, जुकाम-बुखार सहित मौसमी बीमारियों से पीड़ित मरीजों की संख्या में इजाफा हुआ है, लेकिन अस्पताल में दवाइयां पर्याप्त मात्रा में नहीं हैं, जिसके चलते लोगों को बाहर से दवा खरीदनी पड़ती है। ग्लूकोज की बोतल तक लोगों को नसीब नहीं हो पाती हैं।
अस्पताल में कचरा एवं गंदगी
-मेडिकल वेस्ट कचरे के निस्तारण का सटीक उपाय नहीं किया जाता है। दवा की खाली शीशियां, डिस्पोजल सिरिज, प्रसूता वार्ड से निकलने वाला कचरा दीवारों के किनारे फेंक दिया जाता है। सामान्य सफाई भी सवालों के घेरे में है
छलका मरीजों का दर्द
-शुक्रवार सुबह अस्पताल में दवा कराने आए जलालपुरमाफी निवासी प्रदीप पांडेय, सरायभनोली के बुजुर्ग लल्लन पांडेय, असकरनपुर निवासी बाबूलाल तिवारी के अलावा नवीन कुमार, कुलदीप, विपिन, अर्जुन, शशिदेवी, बबीता मिश्रा आदि को काफी देर इंतजार करना पड़ा तो उनका दर्द व्यवस्था के खिलाफ छलक पड़ा।
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