चुनाव बाद अवैध निर्माण पर कार्रवाई
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नियोजित शहर की सूरत बिगाड़ रहे अपार्टमेंट
लखनऊ। महायोजना के विपरीत शहर व ग्रामीण इलाकों में बिल्डर अपार्टमेंट बना रहे हैं। एलडीए से बिना मानचित्र पास कराए ऐसे अपार्टमेंटों की गुणवत्ता भी अच्छी नहीं होती है। लोकसभा चुनाव समाप्त होने के बाद अवैध निर्माणों के खिलाफ कार्रवाई होगी। नोएडा में छह मंजिला इमारत गिरने से तीन लोगों की मौत हो गयी थी। शहर में भी ऐसी कई इमारतें बनी हुयी हैं। गुणवत्ताहीन अपार्टमेंटों में उत्तर प्रदेश में महायोजना के विपरीत हो रहे निर्माण शहरों की सूरत बिगाड़ रहे हैं। आवास एवं विकास परिषद व विकास प्राधिकरणों की मेहरबानियों से अवैध निर्माण पर रोक नहीं लग पा रही है। हाल यह है कि साल भर बाद ही फ्लैटों में दरारें पड़ रही हैं तो लीकेज की समस्या भी गुणवत्ता पर सवाल खड़े कर रही है। प्रदेश के विभिन्न विकास क्षेत्रों तथा उत्तर प्रदेश आवास एवं विकास क्षेत्रों के अंतर्गत 2,32,030 अवैध निर्माण चिन्हित किये गये। खास बात यह है कि इनमें से 1,45,770 से ज्यादा अवैध निर्माणों के ध्वस्तीकरण करने के भी आदेश हैं। इसके बाद भी प्राधिकरण में अवैध निर्माणों पर कार्रवाई ठंडे बस्ते में है। आलम यह है कि इंजीनियरों और बिल्डरों का गठजोड़ शहरों की खूबसूरती को बिगाड़ ही रहा है साथ ही लोगों की जान को भी जोखिम में डाल रहा है। विकास प्राधिकरणों तथा विकास परिषद की कार्यप्रणाली से परदा उठ चुका है। असल में कमीशनबाजी के चलते ध्वस्तीकरण की कार्रवाई लंबित रखी जाती है। एलडीए सचिव एमपी सिंह ने कहा कि ऐसे सभी निर्माणों की जांच करने के निर्देश दिये जायेंगे। प्रमुख सचिव आवास एवं शहरी नियोजन नितिन रमेश गोकर्ण ने कहा है कि इनके खिलाफ कार्रवाई के लिए कार्ययोजना बनायी जा रही है। चुनाव आचार संहिता समाप्त होने के बाद अभियान चलाया जायेगा। बिना ले आउट पास कराये कालोनी बसाने अथवा प्लाट बेचने वालों की संपत्ति जब्त करने की कार्रवाई ठंडे बस्ते में है। सीएम के आदेश के बाद एलडीए के विहित प्राधिकारी ने 11 अवैध अथवा अनाधिकृत कालोनियों को नोटिस जारी किया गया था। इन कालोनियों को विकसित करने वाले बिल्डर अथवा प्रापर्टी डीलर सामने नहीं आ रहे हैं। शहर में किसानों से जमीन लेकर प्रापर्टी डीलर अथवा बिल्डर प्लाट बेच रहे हैं। कहीं पर मकान बनवाकर अवैध कालोनियां बसायी जा रही हैं। ग्रीन सिटी, मेट्रो सिटी, गंगा बिहार, पिंक सिटी, आदिल नगर आदि कालोनियां सोसाइटियां विकसित कर रही हैं। जबकि इन कालोनियों का ले आउट पास नहीं कराया गया है। किसानों की खेती की जमीन को अधिग्रहण व कब्जा होने का भय दिखाकर विकासकर्ता फर्जी विज्ञापन से लोगों को धोखा दे रहे हैं। हाल यह है कि लोगों को धोखा देकर मास्टर प्लान में लेआउट के विपरीत किसानों से सीधे रजिस्ट्री करा देते हैं। इससे बिल्डर अथवा प्रापर्टी डीलर की जवाबदेही नहीं रहती है। वहीं ऐसी कालोनियों में न तो सड़कें बनी होती हैं और न ही नालियां और बिजली के खम्भे आदि अवस्थापना सुविधाएं मुहैया करायी जाती है। इसमें प्रापर्टी डीलर की मात्र बिचौलिये की भूमिका होती है। जमीन बेचने के बाद वह चलता बनता है और जमीन लेने वाला मकान बनाने के बाद फंस जाता है। इसके चलते शहरों में अवैध कालोनियां तेजी से बढ़ रही हैं। इनमें जरूरी सुविधाएं रहने वालों को नहीं मिलती हैं। 645 अवैध कालोनियां शहर में करीब 645 अवैध कालोनियां हैं। महायोजना 2021 में 241 अवैध कालोनियां दर्ज हैं जबकि महायोजना 2031 में 345 अवैध कालोनियां है। एलडीए व प्रशासन अवैध कालोनियों को रोक नहीं पा रहा है। मानक के अनुसार सडकें, ड्रेनेज सिस्टम, सीवर, पार्क व अन्य सुविधायें नहीं हैं।
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