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होली के गीतों से गुलजार रहा कार्यशाला के पहला दिन

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लखनऊ (सं)। होरी खेलत हैं गिरधारी चंदन केसर छिड़कत, छैल छबीले नवल कान्हा, फाग जु खेलत रसिक सांवरों और हिन्द में कैसो फाग मचो री, होली के इन गीतों को सुनकर दर्शक होली के रंग में घुल गये। संगीत नाट्य अकादमी में शुक्रवार को गायकों ने होली के रंगों को बिखेरकर होली के गीतों को पेश किया। संस्कार भारती और दीप सामाजिक संस्थान की ओर से होली गीत गायन कार्यशाला का हुआ। पन्द्रह दिनों तक ख्लने वाली कार्यशाला में  पहले दिन महिलाओं और बेटियों में उत्साह देखने को मिला। वरिष्ठ संगीतकार शरदमणि त्रिपाठी के निर्देशन में कार्यशाला में सुषमा अग्रवाल, अनुपमा चित्रवंशी, आर मीनाक्षी, भारती श्रीवास्तव, मनीषा, मधू श्रीवास्तव, सौरभ कमल, भूषण अग्रवाल, मंजू चक्रवर्ती और दिलीप कुमार सहित कई प्रतिभागी मौजूद रहे। ढोलक पर मुन्ना अनवर और संगीतकार शरदमणि त्रिपाठी के निर्देशन में कलाकारों ने कई होलीगीतों को गाकर पेश किया। जिसमें बहादुर शाह जफर की रचना हिन्द में कैसो फाग, सखी मैं तो बरजत बरजत हारी, मत मारो श्याम पिचकारी, होली खेलत हैं गिरधारी आदि गीतों की प्रस्तुति की। 14 दिवसीय कार्यशाला में कलाकार विलुप्त होती चैती गायकी को प्रर्दशित करेंगे।

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