सगी बहनों की तरह हैं हिन्दी-उर्दू, झगड़ा छोड़ करें उत्थान के प्रयास: प्रो. अकील अहमद
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लखनऊ । हिन्दी और उर्दू दो सगी बहनों की तरह हैं। उर्र्दू के बहुत से शब्द ऐसे हैं, जिनकी हम हिन्दी बना नहीं सकते। इसलिए भाषा का झगड़ा समाप्त कर दोनों भाषाओं के उत्थान के प्रयास करने चाहिए, क्योंकि भाषा का संबंध किसी धर्म से नहीं होता। यह बात इंटीग्रल विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. अकील अहमद ने कही। वे रविवार को न्यूक्लियस एजूकेशनल एंड वेलफेयर सोसाइटी की ओर तथा उत्तर प्रदेश उर्दू अकादमी के सहयोग से आयोजित उर्दू और हिन्दी का रिश्ता विषयक सेमिनार को सम्बोधित कर रहे थे। कैसरबाग स्थित एक्सपो मार्ट खादी ग्रामोद्योग भवन में आयोजित सेमिनार की अध्यक्षता करते हुए उत्तर प्रदेश उर्दू अकादमी की चेयरपर्सन पद्मश्री प्रो. आसिफा जमानी ने कहा कि हिन्दी और उर्दू मुख्य भारतीय भाषाएं हैं।
प्रो. आसिफा जमानी ने कहाा कि यह महज संयोग नहीं है कि दोनों ही भाषाओं की उन्नति मुगल सरकार के पतन की आहट के साथ शुरू होती है। दोनों भाषाओं की व्याकरण लगभग एक जैसी होने की वजह से उन्हें बढ़ावा भी साथ मिला, लेकिन समय के साथ दोनों भाषाओं की शैली में थोड़ा-बहुत बदलाव होता रहा। इसलिए यह बात कही जा सकती है कि भाषाओं के स्तर पर जितना गहरा रिश्ता और नजदीकी उर्दू औै हिन्दी की है, दुनिया में किसी अन्य भाषाओं में यह नहीं है। लिखावट और आगे बढ़ कर साहित्य के क्षेत्र में उर्दू औैर हिन्दी अलग-अलग भाषाएं हैं, लेकिन हिन्दी और उर्दू एक दूसरे से सामान्य बोली में अलग नहीं हैं। इससे पहले सेमिनार का आगाज तिलावते कलामे पाक से हुआ। सेमिनार को मौलाना कौसर नदवी और प्रेमकांत तिवारी ने भी सम्बोधित किया। सेमिनार में डॉ. उमैर मंजर, डॉ. वसीउल्लाह खान, ओवैस संभली, जियाउल्लाह सिद्दीकी, अतिया बी. सईद अख्तर, मोहम्मद राशिद ने अपने शोध पत्र पेश किये। सेमिनार में विभिन्न क्षेत्रों में उत्कृष्टï कार्य करने के लिए कई लोगों को सम्मानित किया गया। सेमिनार में मोहम्मद शमीम, मोहम्मद युनूस सलीम, अब्दुल्लाह बुखारी, राशिद खान, आमना खातून, सारिका वर्मा, नईम कुरैशी, शाहिन्दा किदवई, सगीर अहमद, खावर अंसारी सहित अन्य लोग उपस्थित थे। सेमिनार में स्वागत भाषण सेमिनार संयोजक निसार अहमद ने देते हुए अतिथियों का आभार जताया।
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