Breaking News

बलवान सिर्फ कमजोर पर करता है जुल्म


नाटक मांस का रूदन का हुआ मंचन
लखनऊ (सं)। क्या बलवान सिर्फ कमजोर पर जुल्म करने के लिए ही पैदा हुए है। इसी सवाल के साथ शनिवार को नाटक मांस के रूदन का मंचन हुआ। लखनऊ महोत्सव नाट्य समारोह के तहत राय उमानाथ बली प्रेक्षागृह में मनोज ङ्क्षसह टाइगर की प्रस्तुति का निर्देशन पार्थ सार्थी राय ने किया।
नाटक की कहानी एक कुत्ते डोरा और हिरण जेरी की कहानी है। जेरी और डोरा गांव के के ठाकुर के यहां पले हैं। दोनों एक दूसरे से बेहद प्रेम करते हैं। वहीं डोरा बिना मांस के नहीं रह पाता और जेरी को मांस से नफरत है। एक बार ठाकुर साहब के घर डीआईजी साहब दावत पर आते हैं। तरह तरह के पकवान होने के बावजूद डीआईजी की नजर जेरी पर लगी होती है। आखिरकार ठाकुर साहब रुतबे की वजह से अपनी चहेती जेरी को कटवा देते हैं। जिसके बाद डोरा को इसका काफी सदमा लगता है और वो जोर जोर से भौंकता है और ठाकुर साहब से सवाल करता है कि आखिरकार कमजोर को ही क्यों अपनी बलि देनी पड़ती है। 

नाटक के जरिये दिया गंगा को साफ रखने का संदेश

लखनऊ महोत्सव नाट्य समारोह में हुआ हमारी व्यथा का मंचन
लखनऊ (सं)। थियेटर एवं फिल्म वेलफेयर एसोसियेशन की ओर से आयोजित अतुल्य अटल लखनऊ महोत्सव नाट्य उत्सव में शनिवार को राजकीय अभिलेखागार महानगर में संस्था विजय बेला एक कदम खुशियों की ओर से नाटक हमारी व्यथा का मंचन किया गया। 
नाटक हमारी व्यथा के जरिये नदियों की बदहाली व प्रदूषण से उत्पन्न पीड़ा को बताने की कोशिश की गयी है। नाटक में प्रतीकात्मक रूप से भागीरथ प्रदूषण से पीडि़त अपने पूर्वजों को मुकित दिलाने के लिए मां गंगा के पास आते हैं। मगर वह देखते हैं कि मां गंगा खुद ही अपने अस्तित्व के लिए लड़ रही हैं। मां गंगा की हालत को देखकर भागीरथ बहुत दुखी होते हैं और वह मां गंगा को निर्मल कराने के लिए अभियान चलाते हैं। भागीरथ द्वारा अपने पूर्वजों को मुक्त कराने के लिए मां गंगे का आवाहन किया जाता है मगर मां गंगे आने से मना कर देती हैं और कहती हैं कि अगर तुम मुझे मुक्तकराना चाहते हो तो लोगों को संकल्प दिलाओ कि वह प्लास्टिक से बने सामानों का प्रयोग ना करें ज्यादा से ज्यादा वृक्ष लगाये, उन्हें बचाएं जल का संरक्षण करें और कूड़े को सही स्थान पर डालें तथा अपने आसपास सफाई रखें। उधर स्वच्छता तथा गंगा सफाई के नाम पर पैसा कमाने वाला सूत्रधार भगीरथ को मुफ्त में सफाई अभियान चलाने से मना करता है। इसी दौरान दोनों में हाथापाई होती है और भगीरथ को मार देता है। भागीरथ के पूर्वजों के आवाहन पर मां गंगे भगीरथ को बचाने के लिए पृथ्वी पर अवतरित होती हैं। मुकेश वर्मा की कहानी की परिकल्पना और निर्देशन चंद्रभाष सिंह से किया। नाटक में चंद्रभाष सिंह, अंजली सिंह, माधुरी सिंह, मोहन सोनी, सुरजीत कुमार, पंकज श्रीवास्तव, विशाल मिश्रा और  रुचि सिंह ने अभिनय किया। 

No comments