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पेंशनर ने गांधी प्रतिमा, जीपीओ पर शान्तिपूर्ण धरना दिया


 प्राइवेट इलाज के भुगतान पर लगी रोक हटाने की मांग उठा

लखनऊ। सेवानिवृत्त कर्मचारी एवं पेंशनर्स एसोसिएशन के आवाहन पर आज प्रदेश भर के तमाम जनपदों से आये पेंशनर प्रतिनिधियों ने गांधी प्रतिमा, जी0पी0ओ0 पर शान्तिपूर्ण धरना, सत्याग्रह एवं सभा करके राज्य सरकार को प्राइवेट इलाज के भुगतान पर लगी रोक हटाने के लिए आगाह किया है और सर्वसम्मत प्रस्ताव पारित कर जिलाधिकारी के माध्यम से मा0 मुख्यमंत्री को ज्ञापन भेजकर प्रकरण में प्रभावी कार्यवाही कराये जाने की मांग की है। 
   संगठन के प्रदेश अध्यक्ष अमरनाथ यादव ने कहा कि केन्द्र सरकार से जुड़े मुद्दों पर मा0 प्रधानमंत्री जी को प्रस्तुत की जाने वाली सामुहिक याचिका पर हस्ताक्षर अभियान चल रहा है। जिसमें कर्मचारियों, शिक्षकों, पेंशनर्स के लिए भारत सरकार के 2008 के निर्णयानुसार नई उपभोक्ता मूल्य सूचकांक प्रणाली बनाने, मंहगाई भत्ता/राहत की बढ़ोत्तरी की गणना में दशमलव के बाद की संख्या को पूर्णांक बनाने, पेंशनर /पारिवारिक पंेशन को आयकर से मुक्त करने, सभी सेवाओं के लिए ‘‘एक पद एक पेंशन’’ की नीति निर्धारित करने, राशिकृत धनराशि की कटौती जो 98 माह में पूर्ण हो जाती है को 15 की बजाए 10 वर्ष पर समाप्त करने, एन0पी0एस0 के स्थान पर पुरानी सुनिश्चित पेंशन व्यवस्था लागू करने और एक राष्ट्रीय पेंशन नीति निर्धारित करने विषयक प्रधानमंत्री जी को प्रेषित की गयी नोटिस का संज्ञान प्रधानमंत्री कार्यालय ने लिया है जिसे आई0डी0 नम्बर  2018/ 039170  दिनांक 22.10.2018 द्वारा पोर्टल पर दर्ज किया गया है। जल्द ही सामूहिक याचिका प्रस्तुत की जायेगी। 
वरष्ठि उपाध्यक्ष बी0एल0 कुशवाहा ने कहा कि सरकार ने याचिका संख्या 14588/2009 में मा0 उच्च न्यायालय इलाहाबाद के जिस आदेश दिनांक 09.03.2018 के हवाले से प्राइवेट इलाज के भुगतान पर रोक लगाई है उसमें न्यायालय ने  कुल 21 निर्देश दिये हैं। कर्मचारी शिक्षक पेंशनर्स के हितों के विपरीत कदम तो उठा लिया गया परन्तु, अन्य निर्देशों सरकारी अस्पतालों, मेडिकल कालेजों में मेडिकल, पेरामेडिकल एवं अन्य अटेन्डिंग स्टाफ के रिक्त पदों को 7 माह में भरने, अस्पतालों की दशा में सुधार करने, अमीर-गरीब सभी को समान रूप से गुणवत्तापूर्ण मेडिकल सुविधाएं प्रदान करने, अस्पताल को आवंटित बजट का पूर्ण सदुपयोग करने आदि बिन्दुओं पर कार्यवाही परिलक्षित नहीं होती है। सरकारी अस्पतालों में विशिष्ट परामर्श, उपकरणों, जांच, दवाओं एवं अन्य सुविधाओं का अभाव बना हुआ है। दूसरी ओर प्रदेश में कैशलेश इलाज की व्यवस्था अभी तक लागू नहीं हुई ऐसे में आकस्मिकता में प्राइवेट इलाज का सहारा था वह भी छिन गया जिससे सेवानिवृत्त कर्मचारी व पेंशनर्स जो अब वरिष्ठ नागरिक हैं और इस अवस्था में जिन्हें गुणवत्तापूर्ण मेडिकल सुविधाओं की सर्वाधिक आवश्यकता है, के सामने इलाज का गम्भीर संकट खड़ा हो गया है जिससे वह बेहद परेशान, निराश व आक्रोशित हैं।
   महामंत्री बाबूलाल वर्मा एवं संयुक्त मंत्री ओ0पी0 त्रिपाठी ने इस बात पर जोर दिया कि मा0 सर्वोच्च न्यायालय ने याचिका संख्या 694/2015 शिवा कान्त झा बनाम भारत सरकार में अपने निर्णय दिनांक 13.04.2018 में स्पष्ट रूप से निरूपित किया है कि अच्छी गुणवत्तापूर्ण मेडिकल सुविधाएं पाना प्रत्येक सेवारत/ सेवानिवृत्त कर्मचारी का अधिकार है। सी0जी0एच0एस0 सिस्टम से सम्बद्ध अस्पतालों से इतर निजी अस्पतालों में कराये गये इलाज का भुगतान करने से सरकार इनकार नहीं कर सकती है। मा0 उच्च न्यायालय एवं मा0 सर्वोच्च न्यायालय में अपील में  इसे मेंशन किया जना चाहिए। 
  सभा को सुभाष चन्द्र त्यागी, एमए अल्वी, अंगद सिंह, अरसी उपाध्याय, राम स्वरूप कश्यप, अशोक सोनी, उदय राज सिंह, शेष नरायन सचान, आरसी कनौजिया, आरपी पाण्डेय, हसमुद्दीन खां, केजी वर्मा, गिरीश चन्द्र वर्मा, चन्द्रपाल सिंह, चन्द्रपाल यादव, पराग राम यादव, प्रेम चन्द्र गुप्ता, आरएन सिन्हा, जे0के सिंह, केपी ओझा, घनश्याम श्रीवास्तव आदि ने सम्बोधित किया।

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