शिया पी कालेज में"नेताजी सुभाष चन्द्र बोस की 126वीं जयंती व प्रराक्रम दिवस को हर्षोल्लासपूर्ण आयोजन"
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राष्ट्रीय सेवा योजना व एन सी सी कैडेटो ने शिया पी जी कालेज ने सर्वप्रथम सुबह में आज दिनांक 23 जनवरी 2023 को नेता जी जन्म के तत्वावधान में नेताजी सुभाष चंद्र बोस के की जयंती दिवस व प्रराक्रम दिवस को हर्षोल्लास के साथ मनाया गया और सुभाष चौक पर स्थित प्रतिमा पर पुष्पांजलि अर्पित किया गया। इस मौके पर विधानपरिषद के सदस्य इंजीनियर अवनीश सिंह जी व अन्य गणमान्य नागरिक मौजूद थे।
उसके उपरांत सर्वप्रथम महाविद्यालय की प्राचार्य प्रोफेसर सैय्यद शबीहे रज्जा बाकिर ने नेताजी की प्रतिमा पर माल्यार्पण कर उन्हें समस्त राष्ट्र की ओर से श्रद्धांजलि अर्पित की। एन०सी०सी० के कैडेट्स के द्वारा उन को भावभीनी सलामी दी गई। इस अवसर पर बोलते हुए प्राचार्य सैय्यद शबीहे रज्जा बाकिरने नेताजी को "संपूर्ण मनुष्यता का सर्वश्रेष्ठ प्रतिमान" स्थापित किया और कहा कि नेता जी क्रांति से ही आजादी दिलाने के पक्षधर इसलिए उन्होंने इसमें विदेशों में रह कर अपनी भूमिका का बखूबी निर्वहन किया और नौजवानों को एकत्रित कर सन 1943 में आजाद हिन्द फौज का गठन किया।
नेता जी महात्मा गांधी की अहिंसा वादी नीति से सहमत नहीं थे। इसीलिए उन्होंने नौजवानों में “तुम मुझे खून दो मैं तुम्हें आजादी दूँगा” का नारा बुलंद किया और युद्ध लड़कर अंग्रेजों को परास्त करने में अपनी भूमिका निभाई।
भारत के स्वतंत्रता संग्राम के आदरणीय नेता , नेताजी थे। द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान अंग्रेजो के खिलाफ लड़ने के लिए उन्होंने जापान के सहयोग से आजाद हिंद फौज का गठन किया। उनके द्वारा दिया गया , “जय हिंद” का नारा भारत का राष्ट्रीय नारा बन गया। नेताजी की 5 जुलाई 1943 को सिंगापुर के टाउन हॉल के सामने सुप्रीमो कमांडर के रूप में सेना को संबोधित करते हुए दिल्ली चलो का नारा दिया। नेताजी सुभाष चंद्र बोस सर्वकालिक नेता थे, वह ऐसे वीर सैनिक थे, इतिहास जिन की गाथा गाता रहेगा उनके विचार, कर्म और आदर्श अपनाकर राष्ट्र वह सब कुछ कर सकता है, जिसका वह हकदार है। नेता जी का कथन था – ” मुझे यह नहीं मालूम कि स्वतंत्रता के इस युद्ध में, हम में से कौन – कौन जीवित बचेंगे, परंतु मैं यह जानता हूं कि अंत में विजई हमारी ही होगी। यह हमारा कर्तव्य है कि हम अपनी स्वतंत्रता का मूल्य खून से चुकाएं ।
और नेताजी सुभाष चंद्र बोस सुंदरता समर के अमर सेनानी, मां भारती के सच्चे सपूत थे। नेताजी भारतीय स्वाधीनता संग्राम के उन्हें योद्धाओं में से एक थे, जिनका नाम और जीवन आज भी करोड़ों देशवासियों को मातृभूमि के लिए समर्पित होकर कार्य करने की प्रेरणा देता है।
राष्ट्रीय सेवा योजना के प्रभारी वहीद अलम ने कहा की नेता जी में नेतृत्व के चमत्कारिक गुण थे। जिनके बल पर उन्होंने आजाद हिंद फौज की कमान संभाल कर अंग्रेजों को भारत से निकाल बाहर करने के लिए एक मजबूत सशस्त्र प्रतिरोध खड़ा करने में सफलता हासिल की।
लेफ्टिनेंट आगा परवेज़ मसीह ने कहा कि नेताजी के द्वारा कहे गए कथन – ” एक ही इच्छा होनी चाहिए, मरने की इच्छा ताकि भारत जी सके।” उन्होंने यह भी कहा – ” मेरे पास एक लक्ष है, जिसे मुझे हर हाल में पूरा करना है। मेरा जन्म उसी के लिए हुआ है । मुझे नैतिक विचारों की धारा में ही बहना है। इस दौरान
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