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गुरुर पैदा होने पर लोकतंत्र में कोई भी व्यक्ति जो निर्वाचित होकर पद पर आया है, पर जब वो यह भूल कर यह सोचने लगता है कि केवल वही सही है जो वो कह रहा है तो इसका अर्थ है कि उसके अंदर *तानाशाही* प्रवर्ति विकसित हो चुकी है

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 21 अगस्त की ही चुनाव कराने की जिद्द पर अड़े  luacta अध्यक्ष डॉ मनोज  पांडेय और महामंती डॉ अंशू  केडिया को एहसास हो जाना चाहिए कि अभो वो लोकतंत्र में ही है ,वापिस राजशाही में नही । 
21 अगस्त को luacta लखनऊ  के चुनाव का विरोध करने वाले सभी साथियों  को बधाई और उनके प्रतिरोध को सलाम ।  चुनाव तिथि परिवर्तित अब चुनाव 28 अगस्त को होगा । प्रतिरोध  करने  वाले साथी *मनीष हिंदवी*  और सभी साथियों ने  गलत का विरोध और आम  सहमति बनाकर साबित किया कि उनके लिए पद नही  संगठन , एकता और आम सहमति महत्वपूर्ण है । डॉ मनोज  पांडेय और महामंती डॉ अंशू केडिया द्वारा  सोसाइटी रजिस्ट्रेशन एक्ट 1860 तथा luacta संविधान विरोधी  कार्यपद्धति के विरुद्ध प्रतिरोध करके लोकतंत्र मूल्यों को ज़िंदा रखने का काम किया है वहीं 21 अगस्त से मात्र 28 अगस्त की तिथि परिवर्तन को सहमति देकर तथा संगठन के  हित में इनके ऐसी कार्यपद्धति होने पर भी सोसाइटी के  कार्यालय में एक भी लाइन लिखकर न  देंकर यह सुनिश्चित किया कि गलत का विरोध  तो होगा लेकिन संगठन को फसने नही दिया जाएगा ।  एक साथ दोनों काम विरले ही कर पाते है , इसके लिए साथी *मनीष हिंदवी , डॉ अमित कुमार राय , डॉ असद मिर्जा* व सभी अन्य साथी बधाई के पात्र है कि उन्होंने संगठन की एकता , आम सहमति तथा अगले महीने होने वाले fufucta चुनाव को दृस्टिगत रखते हुए 21 अगस्त की तिथि के स्थान पर 28 अगस्त की तिथि पर सहमति दर्ज कराई ।

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