देसी आम विलुप्त होय रहा है ----चतुरी चाचा के प्रपंच चबूतरे से -
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नागेन्द्र बहादुर सिंह चौहान
देसी आम की बात करते हुए चतुरी चाचा ने कहा- देसी अनाज अउ फल-सब्जी की तना देसी आम विलुप्त होय रहा। आज काल्हि तौ दशहरी, चौसा, सफेदा, आम्रपाली, अल्फांसो अउ अन्य विदेशी आमन की बाढ़ हय। आजु कय पीढ़ी गोला, गुल्ली, खटुवा, मिठुवा, सिंदुरिहा, बेलहा, फटहा, शकरहा, सिवनुहा अउ भदइला जइस आमन का जनतै नाइ। ई जमाने के लरिका-बिटिया देसी आमन केर स्वादु का जाने। बेचारे देसी आम द्याखय का नाइ पावत हयँ। गाँवन मा अब देसी आम के इक्का-दुक्का बिरवा बचे हयँ। हमरे द्याखत-द्याखत देसी आमन की बड़ी-बड़ी बगिया भिंजर गईं।
आज चतुरी चाचा बड़े इत्मीनान से अपने चबूतरे पर बैठे थे। आषाढ़ महीने का तीसरा दिन था। आसमान में बादल सूरज संग अठखेलियाँ कर रहे थे। हवा मंथर गति से डोल रही थी। चबूतरे के एक कोने पर एक बड़ी बाल्टी रखी थी। उसमें पके देसी आम तैर रहे थे। चबूतरे पर कासिम चचा, मुन्शीजी, ककुवा व बड़के दद्दा भी पालथी मारे बैठे थे। सब ललचाई नजरों से आम देख रहे थे। मेरे पहुंचते ही सब चहक पड़े।
चतुरी चाचा ने देसी आम के साथ प्रपंच शुरू किया। ककुवा ने चतुरी चाचा की बात को बढ़ाते हुए कहा- चतुरी भइय्या, सही कहेव तुम। देसी आम तौ गधे के सिर से सींघ की तना गायब होय गये। हमरी बगियम आम केरे सारे बिरवा सूख गये। बस कटहल अउ महुवा बचा हय। गांव मा अब तुमरिन बगिया मा देसी आम बचे हयँ। ई अमिया वही डिहवा वाली बगिया के हयँ न। पहिले हमरी अम्मा देसी अमिया ते खूब अमावट बनाउती रहयँ। बड़े-बड़े मटका मा नमक पानी क्यार घोल भरती रहयँ। फिर उहिमा पकी अमिया भरिके कपड़ा ते मटका क्यार मुंह बाँधि देती रहयँ। हम पंच साल भर मटका केरी पकी अमिया खाइत रहय।
चतुरी चाचा बोले- चतुरी भाई, तुमरे घरमा काहे, गांव मा सबके घरमा खूब आचार अउ अमावट बनत रहय तब। मटका मा पकी अमिया रखी जात रहीं। खैर, हमरी बगियम ई साइत खूब आम चुय रहे। आज तुम पंच अघायक खाय लेव देसी अमिया। अब चाय-पानी केरी जगह आम खात जाव। फिर हम सब प्रपंच को रोककर आम पर टूट पड़े। देखते ही देखते सारे आम खत्म हो गए। तब चतुरी चाचा ने चंदू बिटिया से एक बाल्टी आम और मंगवाए। सबने जी भरकर देसी आम का रसास्वादन किया।
मुन्शीजी ने प्रपंच को आगे बढ़ाते हुए कहा- देसी आम चाहे जितने खा लिए जाएं। कभी नुकसान नहीं करते हैं। वहीं, दशहरी आम ज्यादा खाने से पेट खराब हो जाता है। देसी आम रेसदार होता है। उसका आचार भी बहुत बढ़िया बनता है। पहले हम सबके घर में आम के चार टुकड़े करके खट्टा, मीठा आचार बनता था। साबुत गोला आम का किल्हा आचार भी बनता था। देसी आम का गलका अपना अलग ही स्वाद देता था। गांव की हाट-बाजार और शहर की मंडी में देसी आमों की खूब बिक्री होती थी। लेकिन, अब देसी आम खाने को भी नहीं मिलते हैं। हर तरह दशहरी, चौसा और सफेदा का बोलबाला है।
हमने कहा- वैसे इस बार आम के बागवान और व्यापारी घाटे में हैं। दशहरी में शुरू से ही तमाम प्रकार के रोग लगते रहे। किसान कीटनाशक छिड़कते रहे। नकली और महंगे कीटनाशक ने बागवानों की लागत बढ़ा दी। वहीं, आम की गुणवत्ता और उत्पादन घट गया। इससे बागवान सदमे में हैं। अब सब जने जापानी आम "मियाजाकी" की बाग लगाओ। कुछ खास गुणों के कारण दुनिया में यही सबसे महंगा आम है। मियाजाकी आम ढाई से पौने तीन लाख रुपये प्रति किग्रा भाव में बिकता है।
बड़के दद्दा ने यूपी में धर्मांतरण का मामला उठाते हुए कहा- लव जिहाद और धर्मांतरण से समाज में वैमनस्यता फैल रही है। विदेशी फंडिंग से हिन्दू, सिख, ईसाई को मुस्लिम बनाया जा रहा है। गैर मुस्लिम लड़कियों के साथ छल करके मुस्लिम लड़के पहले प्यार करते हैं। फिर उनसे शादी करके उन्हें जबरन मुस्लिम धर्म कबूल करवाते हैं। यह सिर्फ उत्तर प्रदेश में ही नहीं, बल्कि पूरे देश में पूर्व नियोजित तरीके से हो रहा है। मोदी सरकार को इसे रोकने के लिए कड़े कदम उठाने चाहिए। साथ ही, जनसँख्या विस्फोट को रोकने के लिए कोई सख्त कानून लाना चाहिए। दो-तीन से अधिक बच्चे पैदा करने वाले पिता और परिवार को किसी भी प्रकार की सरकारी सुविधा नहीं मिलनी चाहिए। बिना जनसँख्या वृद्धि रोके देश का समग्र विकास नहीं होगा।
इस पर कासिम चचा भड़क गए। चचा बोले- बड़के तुम्हारी बात ठीक हो सकती है, किंतु कहने का तरीका ठीक नहीं है। लव जिहाद जैसी कोई चीज मुस्लिम धर्म में नहीं है। इसके अलावा मुस्लिम धर्म यह भी नहीं कहता कि किसी को जबरन मुसलमान बना दो। ऐसा जो लोग कर रहे हैं। वह सच्चे मुस्लिम नहीं हो सकते हैं। हर किसी को यहां अधिकार है कि वह अपने पसन्द के धर्म का पालन करे। हर बालिग लड़के-लड़की को भी अधिकार है कि वे अपनी पसन्द के व्यक्ति से शादी करें। रही बात ज्यादा बच्चे पैदा करने की, तो कोई व्यक्ति जानबूझकर ज्यादा बच्चे पैदा नहीं करता है। बच्चे तो अल्लाह की मर्जी से ही होते हैं। किसी की जबरन नसबंदी करना ठीक नहीं होगा।
चतुरी चाचा ने विषय बदलते हुए कहा- लॉकडाउन खुलने के बाद लोग एक बार फिर घोर लापरवाही कर रहे हैं। इससे कोरोना की तीसरी लहर की आशंका बलवती हो रही है। लोग मॉस्क और दो गज की दूरी भूल चुके हैं। सार्वजनिक स्थानों पर रोज भारी भीड़ जमा होती है। ऐसे में कुछ किसान संगठन धरना-प्रदर्शन और ट्रैक्टर रैली भी कर रहे हैं। हालांकि, भारत सरकार कोरोना का टीका बहुत तेजी लगवा रही है। बच्चों के टीकाकरण पर भी कार्य चल रहा है।
हमने सबको कोरोना अपडेट देते हुए बताया कि विश्व में अबतक 18 करोड़ 11 लाख से अधिक लोग कोरोना की गिरफ्त में आ चुके हैं। इनमें से 39 लाख 25 हजार से ज्यादा लोगों की मौत हो गई। इसी तरह भारत में अबतक तीन करोड़ 18 लाख से ज्यादा लोग कोरोना से संक्रमित हो चुके हैं। इनमें तीन लाख 94 लाख से अधिक लोगों की जान नहीं बचाई जा सकी। विश्व के अनेक देशों की तरह भारत में कोरोना का 'डेल्टा प्लस' वैरियंट आ चुका है। यहां डेल्टा प्लस के 50 से अधिक मरीज मिल चुके हैं। अबतक करीब 32 करोड़ लोगों को मुफ्त वैक्सीन लगाई जा चुकी है। टीकाकरण और कोरोना संक्रमण को रोकने के मामले में उत्तर प्रदेश सबसे आगे है।
इसी के साथ आज का प्रपंच समाप्त हो गया। मैं अगले रविवार को चतुरी चाचा के प्रपंच चबुतरे पर होने वाली बेबाक बतकही लेकर फिर हाजिर रहूँगा। तबतक के लिए पँचव राम-राम!
- नागेन्द्र बहादुर सिंह चौहान
27 जून, 2021
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