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गिद्ध शवों को नोचकर खाते है आज के कुछ गिद्ध उसका नाकरात्मक टेलीकास्ट कर आपना पेट भरते हैं

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वैसे तो जन्म और मृत्यु दोनों जीवन का शाश्वत सत्य है लेकिन गिद्ध केवल मृत्यु देखता है मृत्यु भी ऐसी की चहुँओर केवल मृत्यु ही दिखाई दे.. शव खुले पड़े हों.. गिद्ध को शवों तक निर्बाध मार्ग चाहिए। गिद्ध चाहते हैं कि शव और उनके बीच मे कोई न हो...कुछ गिद्ध इस आशा में शमशान में जाकर ही बैठ जाते हैं

कुछ गिद्ध ऐसे न भी हैं जिन्हें शवों को नोचकर खाना तो नही है लेकिन उसका टेलीकास्ट करना है क्योंकि उसी से उसका पेट भरेगा

ऐसे गिद्धों को चाहिएं...धधकती हुई चिताएं !, मरीजों से भरे हॉस्पिटल ! उनके रोते बिलखते परेशान परिजन !

लेकिन सोचिए कि ये गिद्ध आखिर यह सब दिखाकर क्या बताना चाहते है?

महामारी है, सबको पता है।
नियंत्रण से बाहर है
यह भी सबको पता है।

कहीं न कहीं इन गिद्धों का उद्देश्य जन भावनाओं को भड़काना, जनता भयभीत करना, अराजकता की स्थिति उत्पन्न करना ही प्रतीत होता है

माने या न मानें लेकिन ऐसे गिद्धों को सलाह है कि संभव हो तो सकारात्मक रिपोर्टिंग भी करिए..

ठीक हुए मरीजों का इंटरव्यू करिए..
ऑक्सिजन सिलिंडर कहा मिल रहा है यह बताइए..
ब्लड-प्लाज्मा डोनर्स का डेटा बेस बनाइये..
किस हॉस्पिटल में बेड खाली है यह बताइए..
एम्बुलेंस सर्विस का डिटेल दे..
महामारी से बचाव के लिए जागरूकता फैलाइये..
मास्क व शारिरिक दूरी के लिए सभी को प्रेरित कीजिये... मै अत्यंत दुःखी हूँ क्योंकि इस वक्त में किसी की कोई मदद नही कर पा रहा हूँ ,,,,, अपनो की और तकलीफ़ नही देख सकता डरा हूँ कि कब कहि से कोई मनहूस सूचना ना मिल जाये । टूटती सासों की डोर को आस्वासन की मजबूत जंजीर से बाँधने का प्रयास कर रहा हूँ लोगोको पुनः जीने का गुण सीखा रहा हूँ । और प्रार्थना कर रहा हूँ कि हमारे शहर , प्रदेश , देश और इस दुनिया से जल्द से जल्द इस महामारी की विदाई हो और एक निवेदन सकारात्मक ऊर्जा बनाये रखें । यही सबसे बड़ी दवा है ।

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