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वैश्य व्यापारी महासभा ने मुख्यमंत्री से की व्यापारी सुरक्षा आयोग बनाने की मांग

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                      पवन पान्डेय ब्यूरो प्रमुख 

प्रदेश भर के व्यापारियों ने की निराला नगर के जेसी गेस्ट हाउस में की महा पंचायत


प्रदेश अध्यक्ष सत्य प्रकाश गुलहरे ने पेश किया 11 सूत्रीय मांग पत्र

जल्द नहीं हुई कार्यवाही तो होंगे आन्दोलन के लिए विवश

पीएम सीएम की महासभा ने की प्रशंसा

      लखनऊ। उत्तर प्रदेश वैश्य व्यापारी महासभा की प्रदेश कार्य समिति की महा पंचायत रविवार 31 जनवरी को हुई। इसमें प्रदेश अध्यक्ष सत्य प्रकाश गुलहरे ने मुख्य रूप से 11 सूत्रीय मांगों को पुरजोर उठाया। उन्होंने कहा कि इससे सम्बंधित ज्ञापन मुख्यमंत्री को पिछले साल 19 दिसम्बर को सौंपा जा चुका है पर अभी तक उस दिशा महज आश्वासन मिला है। उन्होंने कहा कि जल्द ही इस दिशा में कार्यवाही नहीं हुई तो आन्दोलन के लिए महासभा को विवश होना पड़ा।

      निराला नगर के जे.सी.गेस्ट हाउस में आयोजित इस महा पंचायत में वरिष्ठ उपाध्यक्ष राम गोपाल गोयल, प्रदेश महामंत्री संगठन अनूप अग्रवाल, प्रदेश महामंत्री के.पी.गुप्ता ने भी सम्बोधित किया। इस अवसर पर महासभा का प्रदेश अध्यक्ष-युवा अभिषेक अग्रवाल, जे.सी.फाउण्डेशन के अध्यक्ष अशीष अग्रवाल सहित अन्य उपस्थित रहे।

      इस महा पंचायत में पदाधिकारियों ने कहा कि देश में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और प्रदेश में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की नियत में दोष नहीं है पर प्रशासन उदसीनता से सरकार की छवि धूमिल हो रही है। उनकी प्रदेश सरकार से मांग है कि जीएसटी का सरलीकरण किया जाए। जीएसटी लागू होने के बाद वैट और व्यापार कर के जो भी प्रकरण लंबित हैं उनका एकमुश्त जमा समाधान योजना के तहत निस्तारण करवाया जाए। इससे सरकारी राजस्व की बढ़ोतरी भी होगी। सरकार को राजस्व देने वाले पंजीकृत और गैरपंजीकृत सभी व्यापारियों को वृद्धावस्था के समय पेंशन का लाभ दिया जाए। उत्तर प्रदेश शासन में वैश्य उप वर्गों का पिछली जाति के सम्मिलित होने की संस्तुति वर्ष 2008 से शासन में लंबित है उसे शीघ्र लागू किया जाए। कसौधन समाज जो पिछड़े वर्ग आयोग से प्रमाणित हैं उसके जाति प्रमाण पत्र, चित्रकूट, बांदा, हमीरपुर, बलरामपुर, गोंडा, खलीलाबाद, बस्ती में भी जारी कराए जाएं। हत्या-लूट जैसी दुर्घटनाओं से बचाव के लिए प्राथमिकता के आधार पर शस्त्र लाइसेंस जारी किये जाए। प्रदेश में व्यापारी सुरक्षा आयोग का भी गठन किेया जाए। उस आयोग में व्यापारियों की भागेदारी भी सुनिश्चित करवायी जाए। कानून की धारा 3 / 7 में न्यायालय के आदेश के पहले कोई कार्यवाही ना हो यह भी आश्वस्त करवाया जाए। व्यापारियों के लिए भी आयुष्मान योजना की तरह स्वास्थ्य योजना लागू की जाए। व्यापारी की हत्या अथवा दुर्घटना में उसके द्वारा लिए गए ऋण की माफ़ी और आश्रित को पेंशन या नौकरी दी जाए। सरकारी सस्ते गल्ले की दुकानदारों का कमीशन बढ़ाया जाए।

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