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सिंचित विद्या के विराट वटवृक्ष लखनऊ विश्वविद्यालय को अब 100 वर्ष पूरे हो गए

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                  Lucknow University


               अजीत सिंह बागी ब्यूरो प्रमुख

आचार्य नरेंद्र देव, प्रो. बीरबल सहानी, प्रो. मुखर्जी, जैसे महान व्यक्तियों के द्वारा सिंचित विद्या के विराट वटवृक्ष लखनऊ विश्वविद्यालय को आज 100 वर्ष पूरे हो गए। 1864 में कैनिंग कॉलेज के रूप में अवध के तालुकेदारों के द्वारा एक बीज बोया गया था, जो 25 नवंबर 1920 में तत्कालीन हूकूमत और राजा महमूदाबाद सरीखे लोगों की मेहनत के करण एक पौध का आकार ले सका और जो यहां के शिक्षकों  और विद्यार्थियों की वजह से आज वटवृक्ष का आकार ले चुका है। 1920 में स्थापित यह विश्विद्यालय वैसे तो अग्रेज़ी हूकूमत और उसी के सहयोग से बना मगर बात जब इस देश की आज़ादी की आयी तो यहां के विद्यार्थियों और शिक्षकों ने भी कोई कसर नही छोड़ी। आज जब ये विश्विद्यालय अपने जीवन के 100 वर्षों की एक लंबी यात्रा तय करके 101वें वर्ष में प्रवेश कर रहा है, ऐसे में ज़रूरी है यहाँ के गौरवशाली इतिहास को जीवित बनाये रखना। यहां पर पढ़ने वाले वर्तमान विद्यार्थी, यहां के पुरातन छात्र, वर्तमान एवं पूर्व प्रोफेसर्स और वे सभी लोग जिनका लखनऊ विश्वविद्यालय से किसी भी प्रकार का कोई सम्बन्ध रहा है, उन्हें गर्व करना चाहिए कि उनके इस विश्विद्यालय ने देश को प्रथम नागरिक के रूप में शंकर दयाल शर्मा दिए तो वहीं न्याय, शिक्षा, कला, ज्ञान एवं विज्ञान के क्षेत्र में भी अनगिनत रत्न दिए। लखनऊ विश्वविद्यालय के 100वर्ष पूर्ण होने पर बधाई। 
 विश्वविद्यालय के शताब्दी वर्ष के उपलक्ष में "अभिनव गुप्त संस्थान सौंदर्य शास्त्रीय तथा शैव दार्शनिक" द्वारा दिनांक 24 -11 -20 को "अभिनव संस्कृत कवि सम्मेलन" आयोजित किया गया |जिस के संरक्षक प्रोफेसर आलोक कुमार राय कुलपति, लखनऊ विश्वविद्यालय लखनऊ थे |प्रधान आयोजक प्रोफेसर बृजेश कुमार शुक्ल (पद्मश्री)निदेशक अभिनव गुप्त संस्थान,अधिष्ठाता कला संकाय ,लखनऊ विश्वविद्यालय, लखनऊ एवं संयोजक डॉ प्रयाग नारायण मिश्र समन्वयक ,अभिनव गुप्त संस्थान, लखनऊ विश्वविद्यालय लखनऊ थे |कवि सम्मेलन में मुख्य अतिथि प्रोफेसर अशोक कुमार कालिया कुलपति, संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय, वाराणसी ,विशिष्ट अतिथि डॉ वाचस्पति मिश्र अध्यक्ष उत्तर प्रदेश संस्कृत संस्थान, लखनऊ थे |आमंत्रित कवियों में प्रोफेसर आजाद मिश्र मधुकर, प्राचार्य राष्ट्रीय संस्कृत संस्थान भोपाल, प्रोफेसर ओमप्रकाश पांडे पूर्व सचिव महर्षि सांदीपनि वेद विद्या प्रतिष्ठान ,उज्जैन  प्रोफेसर राम लखन पांडे साहित्य संकाय अध्यक्ष ,केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय ,लखनऊ ,डॉक्टर रेखा शुक्ला पूर्व विभागाध्यक्ष ,संस्कृत विभाग जुहारी देवी गर्ल्स पीजी कॉलेज कानपुर, प्रोफेसर राम सुमेर यादव अध्यक्ष, संस्कृत प्राकृत भाषा विभाग लखनऊ विश्वविद्यालय लखनऊ, डॉक्टर संस्कृता मिश्रा खंड विकास अधिकारी, मलिहाबाद लखनऊ ,डॉ सत्यकेतु ,सहायक आचार्य संस्कृत प्राकृत भाषा विभाग लखनऊ विश्वविद्यालय, लखनऊ डॉक्टर सर्वेश त्रिपाठी पूर्व छात्र संस्कृत प्राकृत भाषा विभाग लखनऊ विश्वविद्यालय, लखनऊथे|| आमंत्रित कवियों ने कोरोना, स्मृति, बेटी तथा विश्वविद्यालय पर स्वरचित कविता पाठ के माध्यम से दर्शकों को मोहित कर दिया|डॉ  गौरव सिंह ने भी अपनी स्वरचित काव्य पाठ के माध्यम से  सभागार को उल्लास भर दिया| कार्यक्रम संयोजक डॉक्टर प्रयाग नारायण मिश्र ने संस्कृत विभाग के पूर्व छात्र डॉ चंद्र भूषण त्रिपाठी आई.ए.एस. सार्वजनिक निर्माण विभाग, विशेष सचिव को सम्मानित किया तथा प्रोफेसर निशी पांडे को डॉ ऋचा ने सम्मानित किया| कार्यक्रम में विश्वविद्यालय से संबद्ध महाविद्यालयों के शिक्षकों डॉक्टर रागिनी श्रीवास्तव डॉ रंजना श्रीवास्तव, डॉ मधुलिका श्रीवास्तव डॉ वंदना द्विवेदी, डॉ उषा मिश्रा डॉक्टर रिचा मुक्ता डॉ नगमा सुल्तान, डॉक्टर शुचि शुक्ला डॉ  राधा यादव, डॉ रीता तिवारी आदि उपस्थित रहे तथा छात्र छात्राओं ने भी उत्साह के साथ बड़ी संख्या में प्रतिभाग किया| कार्यक्रम का संचालन अशोक कुमार शतपथी सहायक आचार्य, संस्कृत विभाग लखनऊ विश्वविद्यालय,लखनऊ  ने किया!|
अंत में कार्यक्रम संयोजक डॉ प्रयाग नारायण मिश्र ने कार्यक्रम में आए हुए सभी अतिथियों एवं उपस्थित जनसमुदाय को धन्यवाद दिया

 

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