इटियाथोक मंडल कार्यालय पर भाजपा कार्यकर्ताओं ने मनाई पंडित दीनदयाल उपाध्याय की जयंती
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रिपोर्ट सुशील कुमार द्विवेदी इटियाथोक गोंडा
इटियाथोक भाजपा मंडल कार्यालय पर पंडित दीनदयाल उपाध्याय की जयंती विचार दिवस के रूप में मनाई गई। जिसमें पंडित दीनदयाल के चित्र पर माल्यार्पण एवं पुष्पांजलि अर्पित की गई।
इस दौरान वरिष्ठ भाजपा नेता राम नाथ शुक्ला ने अपने उद्बोधन में कहा कि एकात्म मानववाद के प्रणेता पंडित दीनदयाल उपाध्याय का जीवन काफी कठिन परिस्थितियों में गुजरा। तीन वर्ष की अवस्था में ही उनके पिता तथा आठ वर्ष की अवस्था में माता का देहांत हो गया। शिक्षा पूरी करने के बाद मामी के आग्रह पर उन्होंने प्रशासनिक सेवा की परीक्षा दी। उसमें भी वे प्रथम स्थान पर रहे। तब तक वे नौकरी और गृहस्थी के बंधन से मुक्त रहकर संघ को सर्वस्व समर्पण करने का मन बना चुके थे। 1942 से उनका प्रचारक जीवन गोला गोकर्णनाथ (लखीमपुर, उ.प्र.) से प्रारंभ हुआ। 1947 में वे उत्तर प्रदेश के सहप्रान्त प्रचारक बनाए गए। भारतीय जनसंघ की स्थापना में दीनदयाल संगठन मन्त्री और फिर महामंत्री बनाए गए। मंडल अध्यक्ष सत्यव्रत ओझा ने कहा कि 1953 के कश्मीर सत्याग्रह में डॉ. मुखर्जी की रहस्यपूर्ण परिस्थितियों में मृत्यु के बाद जनसंघ की पूरी जिम्मेदारी दीनदयाल पर आ गई। वे एक कुशल संगठक, वक्ता, लेखक, पत्रकार और चिन्तक भी थे। लखनऊ में राष्ट्रधर्म प्रकाशन की स्थापना उन्होंने ही की थी।किसान मोर्चा के जिला महामंत्री पवन सिंह ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि राष्ट्र व समाज सेवा के लिए अपना सर्वस्व न्योछावर करने वाले महान शिक्षाविद, प्रखर राष्ट्रवादी, चिंतक, जन संघ के अध्यक्ष उपाध्याय जी को उनकी पुण्यतिथि पर विनम्र श्रद्धांजलि कोटि-कोटि नमन। इस अवसर पर कपिलेश्वर शुक्ला, बबलू तिवारी, अजय राठौर, सुशील कुमार द्विवेदी, अरुण गौतम, सुनील तिवारी, गोलू ओझा सहित अन्य भाजपा कार्यकर्ता व पदाधिकारी गण मौजूद रहे।
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