Azadari : लखनऊ का गौरव सौ साल पुराना अजा़खाना
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सल्तनत मंजिल, निकट सिटी स्टेशन, लखनऊ का सौ साल पुराना अज़ाखाना
अजीत सिंह बागी ब्यूरो प्रमुख उत्तर प्रदेश
आज HTN Liveआपको लखनऊ का गौरवशाली इतिहास और संस्कृति तथा परम्परा से रूबरू कराता है
निकट सिटी स्टेशन, हामिद रोड स्थित सल्तनत मंजिल का अज़ाखाना वही शाही राजघरानों शानो-शौकत के साथ आज भी बरकरार है। इस अज़ाखाने को भव्य रूप देने का सेहरा खान बहादुर नवाब सय्यद हामिद हुसैन खाँ, ओ.बी.ई., लाइफ मजिस्ट्रेट एवं उनकी पत्नी रानी सल्तनत बेगम को जाता है। नवाब सय्यद मेंहदी हुसैन खाँ (स्पेशल मजिस्ट्रेट) एवं नवाब सय्यद रजा़ हसन खाँ (संस्थापक प्ले वे हाई स्कूल, निकट सिटी स्टेशन, लखनऊ) ने इस परम्परा को कायम रखने में अपना पूर्ण योगदान दिया। इनके बाद अब प्रोफेसर सय्यद अली हामिद एवं नवाबज़ादा सैयद मासूम रज़ा, (एडवोकेट) ने इस अज़ाखाने की उसी शानो-श़ौकत एवं रौनक को बरकरार रखा है एवं इसे और भव्य बनाने के लिए प्रयासरत हैं। इसमें कोई शक नहीं कि जिक्र जब भी लखनऊ के पुराने अज़ाखानों का होता है तो सल्तनत मंजिल का जिक्र जरूर आता है। सौ साल पुराने इस अज़ाखाने के बड़े से गोल दर के साथ बना हुआ शाहनशीन, चाँदी के अल्मों के बीच एक कुन्दन का अलम पुराने ज़रबफ के पटकों पर चाँदी सोने के तारों से किया हुआ ज़री का काम एवं मजलिस के दौरान गुलाब जल के लिए चाँदी के गुलाब पाश, अगरबत्तियों के लिए चाँदी का अगरबत्ती-दान और उसी दौर के शाही अन्दाज को प्रस्तुत करती चाँदी की खूबसूरत नक्काशी की हुई मशालें सभी कुछ शाही अन्दाज के हैं और अज़ाखाने की खूबसूरती को चार चाँद लगा रहे हैं। सल्तनत मंजिल परिवार के सदस्य अवध के पहले बादशाह गाज़ीउद्दीन हैदर के लॉ मिनिस्टर नवाब मीर शाह अली खाँ साहेब बहादुर के वंशज हैं।
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