Lucknow : भाषा, भाव एवं प्रवाह का ऑनलाइन आगाज़ : एक दिवसीय नेशनल पोएट्री फेस्टिवल
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"मैं कौन हूँ मेरी प्रीत है क्या
और जीवन तेरी रीत है क्या
मैं दुःख का अंचल ओढ़ चलूँ
छाँव के रस्ते छोड़ चलूँ !"
जैसे भाव विचारों को समेटे और श्रोताओं को आह्लादित करता ऑनलाइन चलता रहा अंग्रेजी हिंदी , उर्दू और मराठी कवियों का सम्मलेन। भाषा भाव और प्रवाह का अद्भुत आमेलन रहा एक्सप्रेशंस इन लैंग्वेजेज एंड आर्ट्स फाउंडेशन लखनऊ और उत्तर महाराष्ट्र विश्वविद्यालय जलगांव से सम्बद्ध द बी पी सी दादासाहब नामदेव भोले कॉलेज भुसावल के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित एक दिवसीय नेशनल पोएट्री फेस्टिवल । कार्यक्रम में मराठी , अंग्रेजी हिंदी एवं उर्दू भाषाओँ के सोलह कवियों ने तीन सत्रों में अपनी रचनाओं का पाठ किया।
मराठी कवियों में शिरपुर से डॉ फुला बागुल ,सासवड पुणे से डॉ बबन चखले ,लोनार बुलडाणा से डॉ विशाल इंगोले ,सांगली से डॉ सुनील तोरने और नासिक से डॉ जयश्री वाघ ने अपने रचनाओं का पाठ किया। अंग्रेजी कवियों में लखनऊ से डॉ नरेंद्र दानी , उन्नाव से डॉ बैजनाथ गुप्ता, संभलपुर ओडिशा से मानसी महाराणा ,नासिक से डॉ किशोर निकम , नंदुरबार से डॉ जीतेन्द्र बागुल एवं पटना से डॉ शिव कुमार यादव ने अपने अंग्रेजी काव्य का पाठ किया।
हिन्दी कवियों में लखनऊ के आलोचक एवं कवि डॉ ब्रजेश , श्री अरुण कुमार मिश्रा , समस्तीपुर बिहार से डॉ शम्भू नाथ झा ,सुल्तानपुर से डॉ अरुण कुमार निषाद ने अपनी कविताओं का पाठ किया।
इसी श्रृंखला में लखनऊ की प्रख्यात उर्दू -अंग्रेजी कवियत्री सुश्री वसफ़िया हसन नक़वी ने अपनी कविताओं का पाठ किया।
सभी तीनो सत्रों में कवियों ने मानवता , प्रेम , बंधुत्व ,एवं अचार विचार , व्यव्हार सम्बन्धी मूल्यों को इंगित किया। कवियों ने समाज में फैली कुरीतियों को भी इंगित किया।
अंग्रेजी सत्र का सञ्चालन करते हुए दादासाहब नामदेव भोले कॉलेज भुसावल की अंग्रेजी विभाग की प्राध्यापक डॉ अंजलि पाटिल ने कवियों का आभार एवं स्वागत किया तथा एक्सप्रेशंस इन लैंग्वेजेज एंड आर्ट्स फाउंडेशन की तरफ से कार्यक्रम की सहसंयोजिका सुश्री सनाविया फरीद ने सञ्चालन किया।
कार्यक्रम के उद्घाटन सत्र में समारोह के पैट्रन एवं कॉलेज के प्राचार्य डॉ आर पी फलक तथा आयोजन समिति के चेयरमैन और संयोजकडॉ संजय विट्ठल बाविस्कर ने अतिथयों , कवियों एवं श्रोताओं का सवागत किया। डॉ संजय विट्ठल बाविस्कर ने वर्तमान परिवेश में इ माध्यमों द्वारा ऐसे आयोजनों के औचित्य एवं महत्त्व पर प्रकाश डाला। एक्सप्रेशंस इन लैंग्वेजेज एंड आर्ट्स फॉउण्डेशन्स की संस्थापक एवं अध्यक्ष प्रो आर पी सिंह एवं सचिव डॉ कुलवंत सिंह ने कवियों एवं दर्शकों को शुभकामना सन्देश प्रेषित किये। कार्यक्रम के सह आयोजक एवं एक्सप्रेशंस इन लैंग्वेजेज एंड आर्ट्स फॉउण्डेशन्स के तकनीकी निदेशक डॉ वैदूर्य जैन ने बताया की वर्तमान महामारी के समय काव्य एवं साहित्य जीवन को असीम प्रेरणा देते हैं। एक्सप्रेशंस इन लैंग्वेजेज एंड आर्ट्स फाउंडेशन इस दिशा में सदैव तत्पर है , और काव्य एवं सृजन श्रृंखला में यह उनका चौथा आयोजन है। कार्यक्रम के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं संयोजक डॉ संजय वी बाविस्कर ने बताया की ऐसे आयोजनों से राष्ट्रीय एकता और अखंडता को बल मिलता है , देश के विभिन्न भागों से जुड़े कवि संस्कृति एवं जीवन के सेतु के रूप में कार्य करते है।
"मैं कौन हूँ मेरी प्रीत है क्या
और जीवन तेरी रीत है क्या
मैं दुःख का अंचल ओढ़ चलूँ
छाँव के रस्ते छोड़ चलूँ !"
जैसे भाव विचारों को समेटे और श्रोताओं को आह्लादित करता ऑनलाइन चलता रहा अंग्रेजी हिंदी , उर्दू और मराठी कवियों का सम्मलेन। भाषा भाव और प्रवाह का अद्भुत आमेलन रहा एक्सप्रेशंस इन लैंग्वेजेज एंड आर्ट्स फाउंडेशन लखनऊ और उत्तर महाराष्ट्र विश्वविद्यालय जलगांव से सम्बद्ध द बी पी सी दादासाहब नामदेव भोले कॉलेज भुसावल के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित एक दिवसीय नेशनल पोएट्री फेस्टिवल । कार्यक्रम में मराठी , अंग्रेजी हिंदी एवं उर्दू भाषाओँ के सोलह कवियों ने तीन सत्रों में अपनी रचनाओं का पाठ किया।
मराठी कवियों में शिरपुर से डॉ फुला बागुल ,सासवड पुणे से डॉ बबन चखले ,लोनार बुलडाणा से डॉ विशाल इंगोले ,सांगली से डॉ सुनील तोरने और नासिक से डॉ जयश्री वाघ ने अपने रचनाओं का पाठ किया। अंग्रेजी कवियों में लखनऊ से डॉ नरेंद्र दानी , उन्नाव से डॉ बैजनाथ गुप्ता, संभलपुर ओडिशा से मानसी महाराणा ,नासिक से डॉ किशोर निकम , नंदुरबार से डॉ जीतेन्द्र बागुल एवं पटना से डॉ शिव कुमार यादव ने अपने अंग्रेजी काव्य का पाठ किया।
हिन्दी कवियों में लखनऊ के आलोचक एवं कवि डॉ ब्रजेश , श्री अरुण कुमार मिश्रा , समस्तीपुर बिहार से डॉ शम्भू नाथ झा ,सुल्तानपुर से डॉ अरुण कुमार निषाद ने अपनी कविताओं का पाठ किया।
इसी श्रृंखला में लखनऊ की प्रख्यात उर्दू -अंग्रेजी कवियत्री सुश्री वसफ़िया हसन नक़वी ने अपनी कविताओं का पाठ किया।
सभी तीनो सत्रों में कवियों ने मानवता , प्रेम , बंधुत्व ,एवं अचार विचार , व्यव्हार सम्बन्धी मूल्यों को इंगित किया। कवियों ने समाज में फैली कुरीतियों को भी इंगित किया।
अंग्रेजी सत्र का सञ्चालन करते हुए दादासाहब नामदेव भोले कॉलेज भुसावल की अंग्रेजी विभाग की प्राध्यापक डॉ अंजलि पाटिल ने कवियों का आभार एवं स्वागत किया तथा एक्सप्रेशंस इन लैंग्वेजेज एंड आर्ट्स फाउंडेशन की तरफ से कार्यक्रम की सहसंयोजिका सुश्री सनाविया फरीद ने सञ्चालन किया।
कार्यक्रम के उद्घाटन सत्र में समारोह के पैट्रन एवं कॉलेज के प्राचार्य डॉ आर पी फलक तथा आयोजन समिति के चेयरमैन और संयोजकडॉ संजय विट्ठल बाविस्कर ने अतिथयों , कवियों एवं श्रोताओं का सवागत किया। डॉ संजय विट्ठल बाविस्कर ने वर्तमान परिवेश में इ माध्यमों द्वारा ऐसे आयोजनों के औचित्य एवं महत्त्व पर प्रकाश डाला। एक्सप्रेशंस इन लैंग्वेजेज एंड आर्ट्स फॉउण्डेशन्स की संस्थापक एवं अध्यक्ष प्रो आर पी सिंह एवं सचिव डॉ कुलवंत सिंह ने कवियों एवं दर्शकों को शुभकामना सन्देश प्रेषित किये। कार्यक्रम के सह आयोजक एवं एक्सप्रेशंस इन लैंग्वेजेज एंड आर्ट्स फॉउण्डेशन्स के तकनीकी निदेशक डॉ वैदूर्य जैन ने बताया की वर्तमान महामारी के समय काव्य एवं साहित्य जीवन को असीम प्रेरणा देते हैं। एक्सप्रेशंस इन लैंग्वेजेज एंड आर्ट्स फाउंडेशन इस दिशा में सदैव तत्पर है , और काव्य एवं सृजन श्रृंखला में यह उनका चौथा आयोजन है। कार्यक्रम के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं संयोजक डॉ संजय वी बाविस्कर ने बताया की ऐसे आयोजनों से राष्ट्रीय एकता और अखंडता को बल मिलता है , देश के विभिन्न भागों से जुड़े कवि संस्कृति एवं जीवन के सेतु के रूप में कार्य करते है।
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