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लोक नृत्य से गुलजार हुई अवध की शाम: झूम उठे दर्शक ‘अमवां महुअवा के झूमे डलिया’

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लोक संस्कृति शोध संस्थान द्वारा आयोजित तीन दिवसीय लोक विमर्श का समापन


लखनऊ, 31 अगस्त 2019,
‘‘यदि हम अपनी पारम्परिक लोक संस्कृति की धरोहर संजोकर नहीं रख पाये तो आने वाली पीढ़ी के लिए इसकी जानकारी भी शेष नहीं रह पायेगी। विभिन्न जातीय नृत्य लुप्त हो गये हैं। धोबी नृत्य, फरुवाही नृत्य, मुसहरी नाच, डोमकच नाच, आदिवासी करमा नृत्य, जनजातीय आदिवासी नृत्य, झूमर नृत्य आदि कभी-कभी मंचों पर भले दिख जायें किन्तु जनजीवन से ये रास रंग धीरे-धीरे समाप्त हो रहे हैं।’’ यह चिन्ता वक्ताओं ने शनिवार को व्यक्त की।

लोक संस्कृति शोध संस्थान द्वारा आयोजित ‘लोक विमर्श’ के तीसरे व अन्तिम दिन लोक नृत्य पर चर्चा हुई। राय उमानाथ बली प्रेक्षागृह में ‘लोक नृत्य: अतीत, वर्तमान और सम्भावनायें’ विषय पर हुई परिचर्चा में लोक नृत्यविद मुनालश्री विक्रम बिष्ट, कुसुम वर्मा तथा लोक संस्कृति पर महनीय कार्य करने वाले कलाविद अशोक बनर्जी ने अपने विचार साझा किये। लोकनृत्य में प्रशिक्षित वरिष्ठ कलाकार ज्योति किरन रतन उत्तर प्रदेश ,महाराष्ट्र ,बिहार,असम, राजस्थान , जैसे प्रदशो के लोक्नृत्यो के बारे मे    बारीकियों से  सोदाहरण प्रस्तुत किया ।
जनजाति लोक कला एवं संस्कृति संस्थान तथा सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के लखनऊ स्थित रीजनल आऊटरीज ब्यूरो के सहयोग से आयोजित इस कार्यक्रम का संचालन दूरदर्शन की उद्घोषिका ऐष्वर्या शुक्ला ने किया।

परिचर्चा के बाद लोक नृत्य की मनोहारी प्रस्तुतियों पर लोग झूम उठे। भोजपुरी लोक गीत ‘अमवां महुअवा के झूमे डलिया’ पर पर्णिका श्रीवास्तव, ‘अंगनवा कागा बोले ओ मोरी गुइयां’ पर स्वरा त्रिपाठी, , वागीशा पन्त , सपना सिंह, अनुष्का यादव व अनामिका यादव ने चैमासा लाग्यो रे तथा कुसुम वर्मा ने साथी कलाकारों के साथ चूड़ी चमकै पर समूह नृत्य किया। मुनालश्री विक्रम बिष्ट के शिष्यों लवली घिल्डियाल व मीतू सिंह के निर्देषन में मनीषा यादव, रत्ना ओझा, अरिन्दम, मलखान सिंह, श्रेया जायसवाल, मोनिका सिंह, प्राची शर्मा, अवन्तिका, दीपिका, अंकु, नीतू सिंह, मानसी बिष्ट, कौस्तुभ द्विवेदी व प्रेम सिंह बिष्ट के साथ स्वयं विक्रम बिष्ट ने भी पहाड़ी लोक नृत्य थडिया चैफुला ‘ब्याली सैयां रे, के बासा रे तू...’ घसियारी गीत, प्रकृति गीत नृत्य व बेडू पाको बारहमासा जैसे पारम्परिक लोक नृत्य प्रस्तुत किये।

इस अवसर पर बंगाल का काला जादू के दलनेता मैजिकमैन आफताब ने साथी कलाकारों के साथ जादू के एक से बढ़कर एक कई हैरतअंगेज करतब दिखाये।

कार्यक्रम में मुख्य रुप से वरिष्ठ साहित्यकार डा. रामबहादुर मिश्र, परमानन्द पाण्डेय, मंजू श्रीवास्तव, सर्वेश माथुर, अनूप मिश्र, संस्थान के विशेष कार्याधिकारी होमेन्द्र कुमार मिश्र, जनसंपर्क अधिकारी जादूगर सुरेश कुमार, सरदार कंवलजीत सिंह, दबीर सिद्दीकी, शत्रुघ्न सिंह, अरुण पाण्डेय, सन्तोष शुक्ला आदि मौजूद रहे।


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