सोहावल क्षेत्र मे घूमने वाले आवारा पशु जाने चले जाते हैं कहाँ।कैसे कोई उनको ढूढे नही मिलते है कदमों के निशां
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सोहावल तहसील क्षेत्र के गावों मे हजारों की तादाद मे घूमने वाले किसानो की फसलो को बर्बाद करने वाले आवारा पशु इस समय अचानक गायब हो रहे है।प्रशासन के अनुसार सभी पशुओं को आश्रय मे शरण देने के दावों मे भी दम नही माना जा सकता।बैदरापुर मे दो सौ प्लस तथा पिरखौली मे पांच सौ प्लस होने का अनुमान है।ऐसे मे प्रत्येक गावों मे सैकडों की संख्या मे घुमन्तू देखे जाने वालो 62ग्राम सभाओं के पशुओं को पशु शाला मे होने का दावा सही नही साबित किया जा सकता।कारण हजारो की सैकडों मे संख्या बल कैसे हो सकती है।अकेले रूदौली कोतवाली तहसील क्षेत्र शिवचरण का पूरवा की गौशाला मे सैकडों गाये देखी जाती थी।जिसे अचानक बंद कर सभी को छुट्टा कर दिया गया। और गोहन्ना मीसा गुजरन का पुरवा सोहावल तहसील क्षेत्र के बरईकला बरईखुर्द के किसानो की फसले चौपट करते रहे गोवंश होने के कारण किसान मुंह देखते रहे ।ऐसे मे इनका कालातीत मे चला जाना गायब होने पर संदेह व्यक्त करता है। राष्ट्रीय राजमार्ग मार्गों मे अवश्य एक्का दुक्का जानवरों की झुंड दिखाई देती है।जो दुर्घटना का शिकार हो घायल अथवा मौत के घाट उतर जाते है।और सड़क के किनारे टोल कर्मी खुले जंगलो मे छोड राहगीरों सहित बदबूदार हवा खिलाकर बीमारी का सामान दे जाते है। बावजूद की संख्या बल देखी जाऐ तो भी किसी स्तर पर सही कहना बेमानी होगी।बावजूद इसके कोई भी इस जबाब देही होने को तैयार नही है।शासन सत्ता को कही इसकी चिंता नही दिखाई देना संख्या बल कम होने से बर्बादी का शिकार हुए किसानो की नाराजगी से राहत दे सकती है लेकिन विपक्ष की भूमिका निभाने वाले राजनैतिक दल का इस मामले को नही उठाना कार्यशैली पर शंका का कारण माना जा सकता है।इस बाबत मे सपा युवा नेता उमेश यादव सोनू जीशान हैदर का कहना है मौजूदा प्रदेश सरकार गो वंशों की रक्षा के लिए अपने चहेतों को फायदा पहुंचाने के लिए बडे बडे बजट बनाने का दावा करती है।लेकिन पशु आश्रय मे साडो के अतिरिक्त घुमन्तू गाय नही रखी गयी।ऐसे मे सैकडों गाये कहाँ चली गयी।इसका जबाब किसी के पास नही है।शासन प्रशासन केवल एक विशेष वर्ग को केवल टार्गेट करने के लिए गोवंश की रक्षा की दुहाई दे रहा है।हकीकत मे इस सरकार मे कोई किसान पशु सहित आमजन मानस कोई भी सुरक्षित नही है। जनता गोली से तथा जानवर भूख प्यास से तड़प तड़प कर मर रहे है।सरकार राम राज देने की दुहाई देती है।
सोहावल तहसील क्षेत्र के गावों मे हजारों की तादाद मे घूमने वाले किसानो की फसलो को बर्बाद करने वाले आवारा पशु इस समय अचानक गायब हो रहे है।प्रशासन के अनुसार सभी पशुओं को आश्रय मे शरण देने के दावों मे भी दम नही माना जा सकता।बैदरापुर मे दो सौ प्लस तथा पिरखौली मे पांच सौ प्लस होने का अनुमान है।ऐसे मे प्रत्येक गावों मे सैकडों की संख्या मे घुमन्तू देखे जाने वालो 62ग्राम सभाओं के पशुओं को पशु शाला मे होने का दावा सही नही साबित किया जा सकता।कारण हजारो की सैकडों मे संख्या बल कैसे हो सकती है।अकेले रूदौली कोतवाली तहसील क्षेत्र शिवचरण का पूरवा की गौशाला मे सैकडों गाये देखी जाती थी।जिसे अचानक बंद कर सभी को छुट्टा कर दिया गया। और गोहन्ना मीसा गुजरन का पुरवा सोहावल तहसील क्षेत्र के बरईकला बरईखुर्द के किसानो की फसले चौपट करते रहे गोवंश होने के कारण किसान मुंह देखते रहे ।ऐसे मे इनका कालातीत मे चला जाना गायब होने पर संदेह व्यक्त करता है। राष्ट्रीय राजमार्ग मार्गों मे अवश्य एक्का दुक्का जानवरों की झुंड दिखाई देती है।जो दुर्घटना का शिकार हो घायल अथवा मौत के घाट उतर जाते है।और सड़क के किनारे टोल कर्मी खुले जंगलो मे छोड राहगीरों सहित बदबूदार हवा खिलाकर बीमारी का सामान दे जाते है। बावजूद की संख्या बल देखी जाऐ तो भी किसी स्तर पर सही कहना बेमानी होगी।बावजूद इसके कोई भी इस जबाब देही होने को तैयार नही है।शासन सत्ता को कही इसकी चिंता नही दिखाई देना संख्या बल कम होने से बर्बादी का शिकार हुए किसानो की नाराजगी से राहत दे सकती है लेकिन विपक्ष की भूमिका निभाने वाले राजनैतिक दल का इस मामले को नही उठाना कार्यशैली पर शंका का कारण माना जा सकता है।इस बाबत मे सपा युवा नेता उमेश यादव सोनू जीशान हैदर का कहना है मौजूदा प्रदेश सरकार गो वंशों की रक्षा के लिए अपने चहेतों को फायदा पहुंचाने के लिए बडे बडे बजट बनाने का दावा करती है।लेकिन पशु आश्रय मे साडो के अतिरिक्त घुमन्तू गाय नही रखी गयी।ऐसे मे सैकडों गाये कहाँ चली गयी।इसका जबाब किसी के पास नही है।शासन प्रशासन केवल एक विशेष वर्ग को केवल टार्गेट करने के लिए गोवंश की रक्षा की दुहाई दे रहा है।हकीकत मे इस सरकार मे कोई किसान पशु सहित आमजन मानस कोई भी सुरक्षित नही है। जनता गोली से तथा जानवर भूख प्यास से तड़प तड़प कर मर रहे है।सरकार राम राज देने की दुहाई देती है।
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