Breaking News

धौरहरा लोक सभा सीट पर त्रिकोणीय संघर्ष का संभावना 6 मई को होगा मतदान

HTN Live


इतिहास रचने की तैयारी मे मतदाता

रिपोर्ट आदेश शर्मा ब्यूरो प्रमुख जनपद लखीमपुर खीरी
धौरहरा लोकसभा में अपने अपने वर्चस्व की लड़ाई सभी के लिए बड़ी चुनौती बनी हुई है। धौरहरा  में 2019 का लोकसभा चुनाव अपने आप में ऐतिहासिक होने जा रहा है.लोकसभा सीटों के लिहाज से सबसे बडे प्रदेश उत्तर प्रदेश की धौरहरा लोकसभा सीट कांग्रेस के लिये बेहद अहम मानी जारही है क्यो कि यहां पर राहुल गांधी परिवार|  के  खास सिपहसालार पूर्व केंद्रिय मंत्री - जितिन प्रसाद के सामने अपना अस्तित्व वचाने की चुनौती है
2008 परिसीमन के बाद वर्चस्व में आई धौरहरा लोकसभा सीट इस समय भारतीय जनता पार्टी के खाते में है.और रेखा वर्मा यहां की मौजूदा सांसद है
 ये सीट जो कि शाहाबाद लोक सभा सीट कहलाती थी  शाहजहांपुर व हरदोई  से अलग होकर वर्चस्व में आई थी. 2009 में यहां पहली बार चुनाव हुआ जिसमें कांग्रेस के जितिन प्रसाद जीते लेकिन अगले ही चुनाव में चली मोदी लहर में उन्हें हार का सामना करना पड़ा. अब 2019 के चुनाव में समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी का गठबंधन होने के साथ ही यहां की लड़ाई दिलचस्प हो गई है.विगत चुनाव में जीत व हार के बाद जितिन द्वारा क्षेत्र में लगातार जनसंपर्क बनायें रखने व किये गए कार्यों को इस बार क्षेत्रवासी ध्यान में रखे हुए है जिससे पूर्व सांसद चारों तरफ से मिल रहे  जनसमर्थन को देख गदगद नजर आने लगे है।पर देश मे चुनावो के दौरान तेजी से बदलते परिदृश्यो के चलते अंतिम समय पर क्या होगा ये तो आने वाला समय ही बतायेगा।
धौरहरा लोकसभा सीट का इतिहास
इस लोकसभा सीट का इतिहास काफी लंबा तो नहीं है लेकिन दिलचस्प है. 2009 में यहां पहली बार चुनाव हुए तो कांग्रेस नेता जितेंद्र प्रसाद के बेटे जितिन प्रसाद चुनाव जीते थे. जितिन प्रसाद शाहजहांपुर से चुनाव जीत कर यहां आए थे और पहले ही चुनाव में जबरदस्त जीत हासिल की.
लेकिन 2014 में चली मोदी लहर में उनका पत्ता पूरी तरह से साफ हो गया. पिछले लोकसभा चुनाव में यहां से बीजेपी की रेखा वर्मा ने बड़ी जीत दर्ज की. 2019 के चुनाव में कांग्रेस के जितिन प्रसाद यहां चौथे नंबर पर रहे थे, उन्हें सिर्फ 16 फीसदी ही वोट मिले थे.
धौरहरा लोकसभा सीट का समीकरण
धौरहरा लोकसभा सीट सीतापुर जिले के अंतर्गत आती है. 2014 के चुनाव के अनुसार यहां पर करीब 17 लाख मतदाता हैं, जिनमें से 8.4 लाख पुरुष और 7 लाख से अधिक मतदाता महिला हैं. बता दें कि सीतापुर जिला देश के 250 सबसे पिछड़े जिलों में से एक है.इस लोकसभा क्षेत्र में कुल 5 विधानसभा सीटें आती हैं. जिसमें धौरहरा, कस्ता, मोहम्मदी, मोहाली और हरगांव शामिल हैं. 2017 में हुए विधानसभा चुनाव में सभी सीटों पर भारतीय जनता पार्टी ने जीत दर्ज की थी.वहीं इस बार बीजेपी में भीतरघात का डर बना हुआ है।अगर ऐसा हुआ तो बीजेपी सांसद के लिये इस बार जीत हासिल करना टेढ़ी खीर साबित हो सकता है।

2014 का जनादेश
2014 के चुनाव में इस सीट पर मोदी लहर का असर साफ देखने को मिला.बीजेपी की ओर से रेखा ने करीब 34 फीसदी वोट हासिल किए और बड़ी जीत दर्ज की.उनके सामने खड़े बहुजन समाज पार्टी के उम्मीदवार दूसरे, समाजवादी पार्टी तीसरे और कांग्रेस की ओर से पूर्व सांसद जितिन प्रसाद चौथे नंबर पर रहे थे।पर 2019 में यहां का माहौल इसके विपरीत नजर आ रहा है।
वहीं मौजूदा सांसद रेखा वर्मा पिछले पांच वर्षों में क्षेत्र में चंद भ्रमणों के बाद भी जनता से सीधा संपर्क बनाने में नाकामयाब रही तथा इनके कार्यकाल में उम्मीद के मुताबिक विकास कार्य भी नहीं दिखाई पड़े जिसके विरोध का सामना इस बार क्षेत्र में इनको भारी पड़ता नजर आ रहा है। वही मितौली छेत्र मे बीजेपी कार्यकर्ताओ से विवाद के बाद इन्हे भितरघात से भी जूझना पड रहा है
क्षेत्र के प्रधान भी इनसे असंतुष्ट दिखाई देते है
गठबंधन प्रत्याशी अरसद सिद्दीकी के बाहरी होने पर जहां लोगो में इनके प्रति संसय बना हुआ है वहीं क्षेत्र में पार्टी के ही कुछ जिम्मेदारों की नाराजगी व पार्टी से जुड़े हुए लोगों से संपर्क न होना भी इनके चुनाव में असर डाल सकता है।जिससे इनको गठबंधन की नैया पार लगाने में बड़ी चुनौती का सामना करना पड़ सकता है।
परंतु अरशद सिद्दीकी के पिता इलियास आजमी भी पूर्व सांसद है तथा अऱशद सिद्दीकी की एक समाज सेवी संस्था रेड क्रिसेन्ट सोसाइटी आफ इंडिया जिसके चेयरमैन अऱशद सिद्दीकी है के द्वारा धौरहरा लोक सभा छेत्र मे पूर्व मे कराये गये तमाम जनसेवी कार्य व इसके चलते छेत्र के लगभग हर गांव मे अरशद सिद्दीकी की संस्था से जुडे कार्यकर्ताओ के सघन नेटवर्क के चलते अरशद सिद्दीकी नये प्रत्याशी होने के बाबजूद किसी परिचय के मोहताज नही है मुस्लिमो के अतिरिक्त हिन्दुओ के भी एक बडे वर्ग मे अरशद की सीधी पकड का लाभ अरशद को मिलना स्वाभाविक है
फ़िलहाल कुछ भी हो 2019 लोकसभा के चुनाव में यहां कांग्रेस का बेड़ा पार लगाने के लिए जितिन प्रसाद के लिए जहां चुनौती बना हुआ है वहीं बीजेपी सांसद रेखा वर्मा को भी अपनी नैया पार लगाने के लिए अपनो की ही नाराजगी दिखाई पड़ने लगी है।वहीं गठबंधन के प्रत्याशी अरसद सिद्दीकी को बाहरी प्रत्याशी का दाग मिटाने व चंद अपनो की भी मायूसी दूर करने के लिए बनी चुनौतियों से पार पाने के लिए कड़ी मशक्कत करनी पड़ेगी।क्षेत्र में आमजन का मूड देखने के बाद यहां त्रिकोणीय लड़ाई होना निश्चित हो गया है।इस लड़ाई में कौन विजय प्राप्त करेगा ये तो आने वाला समय ही बतायेगा पर सभी प्रत्याशी अपनी अपनी जीत का दावा ठोकने मे लगे हुये है

No comments