पाकिस्तान- हुर्रियत की दोस्ती से नाराज़ भारत ने उठाया ये सख्त कदम
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*हुर्रियत से पाकिस्तान की दोस्ती पर भारत अब सख्त हो गया है. अलगाववादियों को भाव देनेवाले पाकिस्तान के खिलाफ अब भारत ने ज़ोरदार सख्ती दिखाई है.*
हुर्रियत को लेकर भारत सरकार की सख्ती बढ़ती जा रही है. इसी सिलसिले में सरकार ने ठान लिया है कि वो हुर्रियत का हुक्का पानी बंद कराके मानेंगे.
दरअसल पाकिस्तान लगातार कश्मीर के अलगाववादी हुर्रियत नेताओं से संपर्क बनाए रखता है. मोदी सरकार को ये बात कभी रास नहीं आई. अब एक कदम आगे बढ़ते हुए भारत सरकार ने हुर्रियत को पूरी तरह बहिष्कृत करने की ठानी है. 23 मार्च को पाकिस्तान के नेशनल डे पर दिल्ली स्थित पाकिस्तान हाई कमिश्नर ने हुर्रियत नेताओं को भी न्यौता भेजा है. इससे नाराज़ भारत सरकार ने तय किया है कि उसकी ओर से पाकिस्तान के इस कार्यक्रम में कोई अधिकारी शामिल नहीं होगा.
पाकिस्तान नेशनल डे से एक दिन पहले आयोजित किए जा रहे रिसेप्शन में हुर्रियत नेताओं को भेजे गए न्यौते ने भारत सरकार को नाराज़ कर दिया है. पिछले पांच सालों में मोदी सरकार की नीति हुर्रियत और पाकिस्तान को अलग-थलग करने की रही है मगर पाकिस्तान अपनी हरकतों से बाज नहीं आया. वो हुर्रियत को हवा देता रहा. मजबूरन पुलवामा हमले के बाद कड़वे हुए संबंधों के बीच भारत सरकार को सख्त स्टैंड लेना पड़ा.
सूत्रों के मुताबिक भारत सरकार फरवरी में तब भी नाराज़ थी जब पाकिस्तानी विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने हुर्रियत नेताओं को एक और कार्यक्रम में बुलावा भेजा था. लंदन में रखा गया ये कार्यक्रम कश्मीर से संबंधित था.
पहले भी पाकिस्तान हाई कमिशन ने भारत सरकार की आपत्ति के बावजूद हुर्रियत नेताओं को न्यौते दिए हैं लेकिन पाकिस्तानी नेशनल डे में हिस्सा लेने से भारत सरकार ने अपने अधिकारियों को कभी रोका नहीं. ये पहली बार होगा जब भारत सरकार का रुख इतना ज़्यादा सख्त है. इस कार्यक्रम में साल 2015 में विदेश राज्यमंत्री वीके सिंह, 2016 में पर्यावरण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर, 2017 में विदेश राज्यमंत्री एम जे अकबर और 2018 में कृषि राज्यमंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत शामिल हो चुके हैं.
*हुर्रियत से पाकिस्तान की दोस्ती पर भारत अब सख्त हो गया है. अलगाववादियों को भाव देनेवाले पाकिस्तान के खिलाफ अब भारत ने ज़ोरदार सख्ती दिखाई है.*
हुर्रियत को लेकर भारत सरकार की सख्ती बढ़ती जा रही है. इसी सिलसिले में सरकार ने ठान लिया है कि वो हुर्रियत का हुक्का पानी बंद कराके मानेंगे.
दरअसल पाकिस्तान लगातार कश्मीर के अलगाववादी हुर्रियत नेताओं से संपर्क बनाए रखता है. मोदी सरकार को ये बात कभी रास नहीं आई. अब एक कदम आगे बढ़ते हुए भारत सरकार ने हुर्रियत को पूरी तरह बहिष्कृत करने की ठानी है. 23 मार्च को पाकिस्तान के नेशनल डे पर दिल्ली स्थित पाकिस्तान हाई कमिश्नर ने हुर्रियत नेताओं को भी न्यौता भेजा है. इससे नाराज़ भारत सरकार ने तय किया है कि उसकी ओर से पाकिस्तान के इस कार्यक्रम में कोई अधिकारी शामिल नहीं होगा.
पाकिस्तान नेशनल डे से एक दिन पहले आयोजित किए जा रहे रिसेप्शन में हुर्रियत नेताओं को भेजे गए न्यौते ने भारत सरकार को नाराज़ कर दिया है. पिछले पांच सालों में मोदी सरकार की नीति हुर्रियत और पाकिस्तान को अलग-थलग करने की रही है मगर पाकिस्तान अपनी हरकतों से बाज नहीं आया. वो हुर्रियत को हवा देता रहा. मजबूरन पुलवामा हमले के बाद कड़वे हुए संबंधों के बीच भारत सरकार को सख्त स्टैंड लेना पड़ा.
सूत्रों के मुताबिक भारत सरकार फरवरी में तब भी नाराज़ थी जब पाकिस्तानी विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने हुर्रियत नेताओं को एक और कार्यक्रम में बुलावा भेजा था. लंदन में रखा गया ये कार्यक्रम कश्मीर से संबंधित था.
पहले भी पाकिस्तान हाई कमिशन ने भारत सरकार की आपत्ति के बावजूद हुर्रियत नेताओं को न्यौते दिए हैं लेकिन पाकिस्तानी नेशनल डे में हिस्सा लेने से भारत सरकार ने अपने अधिकारियों को कभी रोका नहीं. ये पहली बार होगा जब भारत सरकार का रुख इतना ज़्यादा सख्त है. इस कार्यक्रम में साल 2015 में विदेश राज्यमंत्री वीके सिंह, 2016 में पर्यावरण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर, 2017 में विदेश राज्यमंत्री एम जे अकबर और 2018 में कृषि राज्यमंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत शामिल हो चुके हैं.
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