रेलवे को 100 रुपये कमाने के एवज में 113 रुपये तक खर्च करना पड़ रहा है
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भोपाल, 31 जनवरी भारत में लंबी दूरी के परिवहन और माल ढुलाई के बड़े साधनों में से एक है भारतीय रेल। मगर आपको यह जानकर अचरज होगा कि रेलवे को 100 रुपये कमाने के एवज में 113 रुपये तक खर्च करना पड़ रहा है। यह खुलासा सूचना का अधिकार (आरटीआई) के तहत मिले जवाब से हुआ है। मध्य प्रदेश के नीमच जिले के निवासी और सामाजिक कार्यकर्ता चंद्रशेखर गौड़ ने रेलवे के ऑपरेटिंग रेश्यो (परिचालन अनुपात) की जानकारी मांगी थी। गुरुवार को रेल मंत्रालय की ओर से जो ब्यौरा दिया गया है, वह आय और उसके एवज में होने वाले खर्च में बड़ा अंतर है। रेलवे ने गौड़ को त्रैमासिक ब्योरा दिया है। वर्ष 2017-18 का ऑपरेटिंग रेश्यो 107 प्रतिशत रहा। इसका आशय है कि रेलवे ने 100 रुपये कमाने के लिए 107 रुपये खर्च किए। गौड़ कहते हैं कि रेलवे के परिचालन में ऑपरेटिंग रेश्यो सबसे अहम होता है, क्योंकि यह रेलवे के समूचे कार्य-प्रदर्शन की गवाही देता है। इतना ही नहीं, इसे रेलवे का इंडिकेटर माना जाता है। रेलवे सूत्रों का कहना है कि रेलवे की प्रदर्शन का पैमाना ऑपरेटिंग रेश्यो होता है। यह रश्यिो बताता है कि रेलवे ने एक रुपया कमाने के लिए कितने पैसे खर्च किए। देश में बीते दो साल से रेल बजट को आम बजट के साथ ही पेश किया जाने लगा है। संसद में पहले रेल बजट और आम बजट अलग-अलग दिन पेश किए जाते थे। रेल मंत्रालय द्वारा गौड़ को उपलब्ध कराए गए ब्योरे में बताया गया है कि वर्ष 2017-18 में औसत तौर पर 107 प्रतिशत का ऑपरेटिंग रेश्यो आया है। पहली तिमाही में यह अनुपात 107़ 03, दूसरी तिमाही में 114़ 37, तीसरी तिमाही में 108़ 15 और चौथी तिमाही में 98़ 44 प्रतिशत था। वहीं वर्ष 2018-19 की पहली तिमाही में यह अनुपात 112़ 62, दूसरी तिमाही में 117़ 31 और तीसरी तिमाही में 110़ 83 प्रतिशत रहा। अगर हम बीते वर्षो में आरटीआई के तहत के मिली जानकारियों पर गौर करें, तो पता चलता है कि ऑपरेटिंग रेश्यो 2014-15 में 91़ 25 वर्ष 2015-16 में 90़ 48 और वर्ष 2016-17 में 96़ 50 प्रतिशत था।
भोपाल, 31 जनवरी भारत में लंबी दूरी के परिवहन और माल ढुलाई के बड़े साधनों में से एक है भारतीय रेल। मगर आपको यह जानकर अचरज होगा कि रेलवे को 100 रुपये कमाने के एवज में 113 रुपये तक खर्च करना पड़ रहा है। यह खुलासा सूचना का अधिकार (आरटीआई) के तहत मिले जवाब से हुआ है। मध्य प्रदेश के नीमच जिले के निवासी और सामाजिक कार्यकर्ता चंद्रशेखर गौड़ ने रेलवे के ऑपरेटिंग रेश्यो (परिचालन अनुपात) की जानकारी मांगी थी। गुरुवार को रेल मंत्रालय की ओर से जो ब्यौरा दिया गया है, वह आय और उसके एवज में होने वाले खर्च में बड़ा अंतर है। रेलवे ने गौड़ को त्रैमासिक ब्योरा दिया है। वर्ष 2017-18 का ऑपरेटिंग रेश्यो 107 प्रतिशत रहा। इसका आशय है कि रेलवे ने 100 रुपये कमाने के लिए 107 रुपये खर्च किए। गौड़ कहते हैं कि रेलवे के परिचालन में ऑपरेटिंग रेश्यो सबसे अहम होता है, क्योंकि यह रेलवे के समूचे कार्य-प्रदर्शन की गवाही देता है। इतना ही नहीं, इसे रेलवे का इंडिकेटर माना जाता है। रेलवे सूत्रों का कहना है कि रेलवे की प्रदर्शन का पैमाना ऑपरेटिंग रेश्यो होता है। यह रश्यिो बताता है कि रेलवे ने एक रुपया कमाने के लिए कितने पैसे खर्च किए। देश में बीते दो साल से रेल बजट को आम बजट के साथ ही पेश किया जाने लगा है। संसद में पहले रेल बजट और आम बजट अलग-अलग दिन पेश किए जाते थे। रेल मंत्रालय द्वारा गौड़ को उपलब्ध कराए गए ब्योरे में बताया गया है कि वर्ष 2017-18 में औसत तौर पर 107 प्रतिशत का ऑपरेटिंग रेश्यो आया है। पहली तिमाही में यह अनुपात 107़ 03, दूसरी तिमाही में 114़ 37, तीसरी तिमाही में 108़ 15 और चौथी तिमाही में 98़ 44 प्रतिशत था। वहीं वर्ष 2018-19 की पहली तिमाही में यह अनुपात 112़ 62, दूसरी तिमाही में 117़ 31 और तीसरी तिमाही में 110़ 83 प्रतिशत रहा। अगर हम बीते वर्षो में आरटीआई के तहत के मिली जानकारियों पर गौर करें, तो पता चलता है कि ऑपरेटिंग रेश्यो 2014-15 में 91़ 25 वर्ष 2015-16 में 90़ 48 और वर्ष 2016-17 में 96़ 50 प्रतिशत था।
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