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घने कोहरे में भी गोमती सफाई में जुटे लोग

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स्वच्छ पर्यावरण आंदोलन सेना ने मकरसंक्रांति से पूर्व गोमती की सफाई की
-छह साल के बच्चे से लेकर 80 साल की महिला नदी सफाई में कर रहीं सहयोग
लखनऊ। वरिष्ठ संवाददाता
एक ओर छह वर्ष के रिषिकेश अपनी शारीरिक क्षमता के हिसाब से  गोमती नदी से निकली हुई मूर्तियो को एक  स्थान पर इकट्ठा कर रहे थे तो दूसरी ओर 80 वर्ष की  दादी मां अपनी वाणी से मनोबल बढ़ा रही थीं। मौका था मकर संक्रांति से पूर्व स्वच्छ पर्यावरण आंदोलन सेना की ओर से 30वें रविवार को किए गए गोमती सफाई अभियान की। 
गंदगी पर वार के कार्यक्रम के तहत हनुमान सेतु झूले लाल पार्क के निकट गोमती नदी तट पर सेना के  संयोजक रणजीत सिंह के  नेतृत्व में  हाथो में फावड़ा, पांचा, झाडू, तसला व डलिया लेकर स्वयंसेवकों ने चार डिग्री में गोमती नदी में प्रवेश किया। लगभग डेढ़ घंटे तक लगातार नदी के अन्दर से सैकड़ों मूर्तियां व लगभग डेढ़ कुंतल कचरा, पालीबैग व अन्य दूषित पदार्थों को निकाल कर एक स्थान पर इकट्ठा किया। अभियान में सेना की महिला बटालियन की अनुप्रिया खरवार, रुकमणी शर्मा, भावनी शर्मा व संगीता गुप्ता ने गोमती नदी से निकाली गई लगभग 300 मूर्तियो का भू विसर्जन किया। संकल्प शर्मा, विष्णु तिवारी, सुशान्त वर्मा, राजीव तिवारी, जय सिंह तोमर, प्रदीप मौर्या, शशांक सिंह, शिवराज सहित लगभग 30 से अधिक लोगों ने गोमती नदी की सफाई की। इसके बाद सबने मिलकर गोमती आरती की। 
प्रयास के बावजूद नहीं सुधर रही हालत


गोमती नदी के जिस तट पर स्वच्छ पर्यावरण सेना लगातार 30 सालों से स्वच्छता अभियान चला रही है। उसका कोई खास असर नहीं हो रहा है। इसकी वजह सरकारी तंत्र का नहीं जागना है। मन से लगने के बावजूद गोमती नदी में इतनी गंदगी व्याप्त है कि उसकी सफाई बिना मशीन के संभव नहीं है। नदी में मलबे की भरमार है जिसके कारण बदबू आ रही है। 

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